June 28, 2025

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कानपुर देहात 7 मार्च 2025*अकीदत के साथ पढ़ी गई रमजान के पहले जुमे की नमाज,मांगी अमन चैन की दुआएं*

कानपुर देहात 7 मार्च 2025*अकीदत के साथ पढ़ी गई रमजान के पहले जुमे की नमाज,मांगी अमन चैन की दुआएं*

कानपुर देहात 7 मार्च 2025*अकीदत के साथ पढ़ी गई रमजान के पहले जुमे की नमाज,मांगी अमन चैन की दुआएं*

राजपुर कानपुर देहात।कस्बा व क्षेत्र मे माहे रमजान के पहले जुमे की नमाज अकीदत के साथ अदा की गई,मस्जिदे नमाजियो से भरी रही।नमाज मे मुल्क की तरक्की व मोहब्बत से रहने की दुआएं मांगी गई।शुक्रवार को कस्बे की नई जामा मस्जिद मे हाफिज गौस खाँ ने, पुरानी जामा मस्जिद मे हाफिज नियामत उल्ला व नूरी जामा मस्जिद मे हाफिज सैय्यद इमाम मियाँ बरकाती कादरी ने माहे रमजान के पहले जुमें की नमाज अदा करायी इसके अलावा क्षेत्र के रमऊ,जल्लापुर सिकन्दरा व खासवरा मे रमजान माह का पहला जुमा अकीदत के साथ पढ़ा गया।मस्जिदे नमाजियो से भरी रही।मुस्लिम महिलाओ ने अपने घरों मे नमाज अदाकर कुरान ए पाक की तिलावत की।नूरी जामा मस्जिद के कारी व हाफिज मोहम्मद आजाद ने बताया कि रमजान का यह मुबारक महीना है,जुमे को रमजान मुबारक के 6 रोजे मुकम्मल हो चुके है।अल्लाह ने मुस्लिम लोगो के लिए रोजा फर्ज किया है।इस महीने की सभी लोगो को अदब के साथ एहतराम करना चाहिए।रोजेदार खुशनसीब हैं,जिसके लिए हर रोज जन्नत सजायी जाती हैं।बताया कि रोजेदार की मगफिरत के लिए दरिया की मछलियां दुआ करती हैं। रोजा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है असल रोजा तो वह है जिससे अल्लाह राजी हो जाए। जब हाथ उठे तो भलाई के लिए, कान सुने तो अच्छी बातें, कदम बढ़े तो नेकी के लिए, आंख देखे तो जायज चीजों को।वहीं हाफिज सैय्यद इमाम मियाँ अली बरकाती कादरी ने बताया कि रमजान माह मे गरीब लोगों की दिल खोलकर मदद करे।अल्लाह का हुक्म है कि रोजेदार अपनी हैसियत के अनुसार इस महीने में गरीब लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें। रोजा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है, बल्कि गरीबों से हमदर्दी का नाम है। रोजेदार तब तक अपना रोजा इफ्तार नहीं कर सकता जब तक वह यह न देख ले कि उसके पड़ोसी के घर में खाने के लिए कुछ है भी या नहीं, अगर नहीं है तो उसका फर्ज बनता है कि पहले उसे खाना दे बाद में खुद खाए। रोजा इंसान को एक अच्छा इंसान बनाता है,कहा कि इंसानियत का पता तब चलता है जब पेट भूखा हो। रमजान में रोजेदार से अल्लाह कोई हिसाब-किताब नहीं लेता, रोजेदार जमकर गरीबों पर पैसा खर्च कर सकता है। जिस व्यक्ति के पास माल-ए-हैसियत होती है, उसे जकात देनी होती है, यह एक तरीके से टैक्स होता है अमीर वर्ग के ऊपर जो गरीब लोगों को दिया जाता है। (फोटो-कस्बे के नूरी जामा मस्जिद मे जुमे की नमाज मे दुआ मांगते मुस्लिम भाई)

*संवाददाता प्रशान्त शर्मा कानपुर देहात यूपी आजतक*

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