भागलपुर बिहार ,08 अगस्त 2023
शैलेन्द्र कुमार गुप्ता,यू पी आज तक
उत्कृष्ट धर्म क्या है? – *परम पूज्य विशल्य सागर जी महाराज जी के द्वारा बताया गया*
जैन दर्शन का अथवा विश्व दर्शन का महत्वपूर्ण सूत्र दिया गया है जिसमें कहा गया है कि वास्तव में उत्कृष्ट धर्म क्या है इस कालतम में धर्म रुपी परिभाषा बतला दी गई है और तीन महत्वपूर्ण बिंदु बतलाई गई है “धम्मो मंगल मुक्किट्ठो ,, उत्कृष्ट कोई मंगल यदि है , उत्कृष्ट धर्म यदि कोई है तो वह अहिंसा,संयम और तप ।जिसके पास ये तीन शाक्तियां है ।वास्तव में उसके लिए देवता भी नमस्कार करते है प्रणाम करते है सबसे पहले धर्म बतलाया आहिंसा ।
आहिंसा भी संयम और तप की वृद्धि के लिए है ,साधना और आराधना भी आहिंसा के लिए है पूरी की पूरी जो भी सत्य साधना की जाती है या दिगम्बरत्व साधना की जाती है उन सबका धैय अगर कोई है तो आहिंसा परमब्रह्य की सिद्धि करता है हमारे आचार्य भगवंतो ने आहिंसा को परमब्रह्य कहा है आहिंसा के लिए संस्कृति और प्रकृति का आधार स्तम्भ कहा है अगर आज प्रकृति सन्तलुत है ,संस्कृति सुरक्षित हैं तो उसका मुख्य आधार बिंदु अहिंसा है और उस अहिंसा की साधना करने वाले हमारे ऋषि ,मुनिगण और उसका पालन करने वाले आप सब भक्तगण हैं “धम्मो दया विशुद्घो,, जैन दर्शन में महान आचार्य 2000 वर्ष पहले जैन दर्शन के आध्यात्म के मशीहा आचार्य कुंदकुंद स्वामी का नाम सुना होगा उन्होंने लिखा है कि धर्म क्या है धर्म वही है जो दया से विशुद्घ है जिसमें दया नही,करुणा नहीं,अहिंसा नही,मानवता नही ,व्यहारिकता नही ,विचारों की शुद्धि नही ,आचार की शुद्धता नही ,हृदय की पवित्रता नहीं ये बिंदु जहाँ नहीं है वही अधर्म है और जहाँपर ये सब बिंदु है वही धर्म है और इन सबसे युक्त है वही धर्मात्मा है ।हम यहाँ पर वही अहिंसा ,,करुणा और दया की बात।
हम गौशाला में शब्दात्मक नही मैंने यहा क्रियात्मक देखा है सबसे बड़ी तो खुशी की बात तो यही है कि शब्दों की दया,करुणा अलग है लेकिन जहां पर आचरित की जाती है क्रियात्मक की जाती है और व्यवहार में परिरक्षित होती है आचार्य भगवंतो ने कहा उसी का नाम धर्म है और यहा जीता जागता धर्म दिख रहा है कि हम सबकी सेवा कर लेते है परिवार की सेवा भी करते है रिश्तेदारो को भी सम्हालते है मित्रों को भी मानव मानव को भी देख लेता है लेकिन सच्चा मानव वह है जो मानवता को साथ में लेकर के पशु Phle पशु न मान करके पशु के अंदर मानवता को,भगवता को देखते हैं भारत देश आध्यात्मिक संस्कृति है इसलिए भारतीय संस्कृति में पशु को पशु नही कहा जाता है गाय को गाय नही गाय को माता के दर्ज के साथ पुकारा गया है।
More Stories
पूर्णिया बिहार21जून25* अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर एसपी के आदेशानुसार योग शिविर का आयोजन किया गया।
पूर्णिया बिहार20जून25*नशे के विरुद्ध पूर्णिया पुलिस की कार्रवाई 40.35 ग्राम स्मैक के साथ दो तस्कर को किया गया गिरफ्तार
रोहतास20जून25*बिहार आखरी घर कब्रिस्तान के चंदे का हिसाब मांगने पर सदर को मिला जान से मारने की धमकी