*अब्दुल जब्बार एडवोकेट*
*अयोध्या31मई25*हिंदी पत्रकारिता दिवस पर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने आयोजित की गोष्ठी*
भेलसर(अयोध्या)हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने डॉ0 मो0 शब्बीर की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का आयोजन किया।गोष्ठी का संचालन मुदस्सिर हुसैन ने किया।
गोष्ठी में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट तहसील रूदौली इकाई के अध्यक्ष अब्दुल जब्बार ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के रहने वाले पेशे से अधिवक्ता पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने कोलकाता को अपना कर्मस्थली बनाते हुए कोलकाता के 37 अमरतल्ला कोलूटोला बड़ा बाजार मार्केट के पास से 30 मई 1826 को उदंत मार्तंड (साप्ताहिक समाचार पत्र) का पहला अंक 500 प्रतियो के साथ प्रकाशन किया गया था अपनी धार्मिक प्रवृत्ति के चलते ही न सिर्फ उन्होंने भगवान सूर्य के नाम पर अपने समाचार पत्र का प्रकाशन किया बल्कि समाचार प्रशासन का दिन भी उन्होंने मंगलवार को ही चुना प्रत्येक मंगलवार को समाचार पत्र की प्रतियां निकालकर पाठकों तक पहुंचती थी, अंग्रेजी सरकार द्वारा समाचार पत्र को 16 फरवरी 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ला एवं उनके सहयोगी मुन्नू ठाकुर को समाचार पत्र चलाने का लाइसेंस प्रदान किया गया था, पंडित जुगल किशोर शुक्ला यह चाहते थे की समाचार पत्र न सिर्फ कोलकाता बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराऐ और इसके लिए उन्होंने सरकार से डाकदर में छूट मांगी, किंतु अंग्रेजी सरकार ने डाक दरों में छूट देने से इनकार कर दिया, उदंत मार्तंड को किसी प्रकार की सरकारी सहायता प्राप्त नहीं थी जिससे समाचार पत्र की लागत अधिक आती थी, 50 पैसे प्रति कॉपी ,जो उसे समय एक बहुत बड़ा मूल्य थी और फिर वही हुआ जिसका असर आज भी छोटे समाचार पत्र बुरी तरह से झेल रहे हैं उतंड मार्तंड पर भी वित्तीय संकट प्रारंभ हो गया, कहीं से कोई सहायता ना मिल पाने के कारण उदंत मार्तंड आर्थिक संकटों से घिर गया और अंततः 79 अंक के प्रकाशन के बाद 4 दिसंबर 1827 को इसे बंद कर देना पड़ा।भले ही यह अखबार लम्बी दूरी नहींं तय कर पाया लेकिन इतिहास में अपनी खास जगह बनाई और इसके बाद कई हिन्दी अखबारों का दौर शुरू हुआ, जो आज भी वित्तीय संकट और बिना सरकारी सहायता प्राप्त किये हुए निरंतर जारी है। इसमें कोई दो राय नहीं की पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा बेहद कठिन परिस्थितियों में उदंत मार्तंड का प्रकाशन किया गया था ऐसे समय में जब अंग्रेजी और उर्दू भाषाओं के समाचार पत्रों का बोलबाला था ऐसे में हिंदी समाचार पत्र का प्रकाशन करना ही अपने आप में एक बेहद साहसिक कदम था।उन्होंने पत्रकारों से निडर व निर्भीक होकर सत्यता लिखने का आह्वान किया।
गोष्ठी को विकास वीर यादव, आलम शेख़, अर्जुन शर्मा, काज़ी इबाद शकेब,अमरनाथ यादव, ललित कसौंधन, रियाज़ अंसारी, शाहरुख शेख़, निहाल अख्तर,फ़रीद बाबा ने भी सम्बोधित किया।
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