अयोध्या28अक्टूबर25“जय सिया राम” के जयघोष से गूंजा सरैठा गाँव,संपन्न हुआ श्रीराम-सीता विवाह
पूर्व एसडीएम विकासधर दूबे का हुआ भव्य स्वागत,रामलीला स्थल पर उमड़ा श्रद्धा और उल्लास का सागर
भेलसर(अयोध्या)रुदौली तहसील के ग्रामसभा सरैठा में चल रही श्रीरामलीला में रविवार की रात्रि श्रीराम-सीता विवाह का भव्य मंचन संपन्न हुआ। जैसे ही मंच पर जनकपुरी की सजावट और बारात का आगमन दिखाया गया,पूरा पंडाल “जय सिया राम” और “जय श्रीराम” के जयघोष से गूंज उठा। श्रद्धालु,महिलाएँ,बच्चे और बुजुर्ग सभी भक्ति भाव से सराबोर होकर दिव्य प्रसंग का रसपान करते रहे।
श्रीरामलीला के पांचवें दिन का यह आयोजन धार्मिक भक्ति,सांस्कृतिक गौरव और उत्सव की भावना का जीवंत उदाहरण बना। विवाह प्रसंग में जनकपुरी की सजावट,सीता स्वयंवर, शिवधनुष भंग और जयमाल के दृश्य ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। मंच पर कलाकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम,जनकनंदिनी सीता,लक्ष्मण, राजा जनक और विश्वामित्र के पात्रों को जीवंत कर दिया।
पूर्व एसडीएम विकासधर दूबे का आगमन बना आकर्षण का केंद्र
इस पावन अवसर पर रुदौली में पूर्व में तैनात रहे उपजिलाधिकारी विकास धर दूबे मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर पहुंचे। उनके आगमन पर क्षेत्रवासियों ने उन्हें पुष्पमालाओं से लाद दिया और अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। कई लोगों ने उनके साथ सेल्फी लेकर इस क्षण को यादगार बनाया।
मंच पर उपस्थित आदर्श श्रीरामलीला समिति सरैठा के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार नितेश सिंह,समिति अध्यक्ष माताफेर शुक्ला,पवन राजपूत, अमलेश वर्मा,प्रदीप रावत,डॉ. प्रमोद रावत,सुनील यादव सहित अन्य समाजसेवियों ने अतिथि का स्वागत किया।
अपने उद्बोधन में श्री दूबे ने कहा
“श्रीरामलीला भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं,बल्कि आदर्श जीवन का सजीव संदेश है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से हमें संयम,सेवा और सत्यनिष्ठा की प्रेरणा मिलती है।”उन्होंने समिति और ग्रामीणों को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन समाज में सद्भाव और एकता की भावना को सशक्त करते हैं।
जनता में दिखा उत्साह
एसडीएम विकास धर दूबे के कार्यकाल को किया याद
ग्रामीणों ने बताया कि श्री दूबे का रुदौली कार्यकाल जनहित कार्यों और सहज प्रशासनिक व्यवहार के लिए आज भी याद किया जाता है। उनके आगमन से लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिला। उपस्थित श्रद्धालुओं ने कहा कि श्री दूबे सदैव जनसेवा के लिए तत्पर रहते हैं,इसीलिए आज भी लोग उन्हें स्नेह और सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
भक्ति और संस्कृति का संगम बना सरैठा
लीला के दौरान जनकपुरी की झाँकियाँ,पुष्प वर्षा,मंगल गीत और पारंपरिक संगीत ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। मंचन में सीता स्वयंवर के दृश्य के साथ “सीता राम जय जय सिया राम” की ध्वनि से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा।
मंदिरों और घरों में दीप जलाकर श्रद्धालुओं ने इस पवित्र अवसर को मनाया। देर रात तक ग्रामीण लीला स्थल पर डटे रहे और श्रीराम–सीता विवाह के पावन दृश्य का आनंद लेते रहे।
आयोजन की सफलता का श्रेय आदर्श श्रीरामलीला समिति सरैठा को जाता है,जिसके सदस्यों ने दिन-रात मेहनत कर लीला के प्रत्येक दृश्य को जीवंत रूप दिया। सुरक्षा,प्रकाश व्यवस्था, मंच सज्जा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रबंधन अनुकरणीय रहा।

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