अब्दुल जब्बार
अयोध्या06जुलाई25*मुहर्रम की दसवीं तारीख को ग़म और अज़ा का मंजर
या हुसैन की सदाओं से गूंजा इलाका
मुहर्रम केवल एक मजहबी पर्व नहीं,बल्कि इंसानियत,बलिदान और एकता का प्रतीक
भेलसर(अयोध्या)मुहर्रम की दसवीं तारीख रविवार को रुदौली सर्किल क्षेत्र में अज़ा और मातम का माहौल रहा। हज़रत इमाम हुसैन अ०स० और उनके 72 जांनिसारों की शहादत की याद में ताज़िए का जुलूस निकाला गया,जिसमें बड़ी तादाद में अकीदतमंद शरीक हुए।
नगर रुदौली में इरशाद मंजिल पर अकीदतमंदों ने सीनाजनी कर ग़मगीन माहौल में नम आंखों से लोगों ने ताज़िए को इमाम बाग़ व दुधाधारी में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया।
रुदौली सर्किल के अंतर्गत ग्राम नेवरा,मवई,बसौढी,मोहम्मदपुर,सण्डवा,चंद्रामऊ,कोंडरा,सीवन,वाजिदपुर,मंगरौडा,रानी मऊ, पंचलो आदि गांवों में सुबह से ही मोहल्लों में गहमा-गहमी का माहौल रहा। हर गली से ताज़िए निकलते रहे,जिन्हें देखने और उन्हें रुख्सत करने के लिए लोग सड़कों पर उमड़ पड़े।ग्राम नेवरा में ताजियों के साथ नौहाख़्वानी,मातम और सीनाजनी करते हुए जुलूस मुख्य मार्गों से होता हुआ कर्बला परसी तालाब पहुंचा,जहां पूरे अदब और एहतराम के साथ ताज़िए को सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिए गए।
ताजियों की विदाई के वक्त का मंजर बेहद ग़मगीन था। छोटे बच्चे से लेकर बुज़ुर्गों तक की आंखें नम थीं। या हुसैन… या हुसैन… की सदा के साथ फिज़ा में मातम छाया रहा। कई जगहों पर शबीहें भी रखी गई थीं, जिनकी ज़ियारत के लिए लोग दूर-दूर से आए।पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, क्षेत्राधिकारी आशीष निगम, प्रभारी निरीक्षक संजय मौर्या सहित पूरा अमला मोहर्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में सतर्क रहा।
थाना मवई प्रभारी सुरेश कुमार पटेल ने सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम कर रखा था। पुलिस बल के जवान जुलूस के साथ तैनात रहे। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई थी ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
सबील और लंगर से मिली राहत
गर्मी और उमस के बीच कई स्थानों पर अकीदतमंदों ने सबीलें लगाईं थीं,जहां राहगीरों को ठंडा पानी,शरबत व चाय वितरित की गई। अज़ादारी में शामिल हुए सभी वर्ग के लोगों की गंगा जमुनी तहजीब देखने को मिली। हर धर्म के लोग तजिए के साथ साथ चल रहे थे।
अंतिम पड़ाव – ग्राम नेवरा में प रसी तालाब पर कर्बला
जुलूस अपने अंतिम पड़ाव पर कर्बला पहुंचा,जहां ताज़ियों को पूरे एहतराम और रस्मों के साथ दफनाया गया।
इस पूरे आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि मुहर्रम केवल एक मजहबी पर्व नहीं, बल्कि इंसानियत,बलिदान और एकता का प्रतीक है।
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