November 18, 2025

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अयोध्या 18/11/25*तहसील के कर्मचारियों पर साक्ष्य छुपाने का लगा आरोप पत्रावली की जांच करने की हुई मांग।*

अयोध्या 18/11/25*तहसील के कर्मचारियों पर साक्ष्य छुपाने का लगा आरोप पत्रावली की जांच करने की हुई मांग।*

अयोध्या 18/11/25*तहसील के कर्मचारियों पर साक्ष्य छुपाने का लगा आरोप पत्रावली की जांच करने की हुई मांग।*

*न्यायिक तहसीलदार मिल्कीपुर रंजन वर्मा व उनके पेशकार शोमलिक पांडेय*

*अन्याय को जीताने के लिए SDM के नाक के नीचे छुपाए गए साक्ष्य पीड़िता को नहीं मिला न्याय।*

मिल्कीपुर/अयोध्या*सिस्टम का मोतियाबिंद।*

धरातल की सच्चाई पर एक नजर सूबे की योगी सरकार की केंद्र बिंदु अयोध्या में तहसील मिल्कीपुर कर्मचारी अन्याय को जीतने के लिए छुपा देते हैं साक्ष्य न्यायिक तहसीलदार रंजन वर्मा और न्यायिक पेशकार शोमलिक पांडेय पर लगा आरोप मामला अयोध्या जनपद के तहसील मिल्कीपुर का है तहसील क्षेत्र के ग्राम रामपुर जोहान पूरे मंशा उपाध्याय के पुरवा निवासिनी विधवा महिला प्रेम कुमारी पत्नी स्वर्गीय सुनील कुमार उपाध्याय ने पत्रावली जांच करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी अयोध्या, राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ से की शिकायत पीड़िता महिला प्रेम कुमारी ने बताया कि वरासत का वाद न्यायालय तहसीलदार न्यायिक मिल्कीपुर वाद संख्या 2021042030405244 मुकदमा प्रेमा बनाम गांव सभा धारा 34 यूपी आर सी ग्राम रामपुर जोहान तहसील मिल्कीपुर जनपद अयोध्या विचाराधीन था जिसकी पीड़िता ने साक्ष्य के रूप में परिवार रजिस्टर की नकल आधार कार्ड, पेन कार्ड, निर्वाचन कार्ड, विद्युत बिल भुगतान की रसीद की कॉपी, राशन कार्ड, विधवा पेंशन प्रमाण पत्र, ग्राम प्रधान का विधवा प्रमाण पत्र, ग्राम पंचायत अधिकारी की रिपोर्ट, ए डी ओ पंचायत हैरिंग्टनगंज का आदेश, गांव सभा पंचायत का प्रस्ताव की कॉपी, ई-श्रम कार्ड, मृत्यु प्रमाण पत्र, अनिल कुमार के पुत्र प्रिंस का बयान की मेरी चाची प्रेम कुमारी से मेरे परिवार के ऊपर मुकदमा किया कोतवाली बीकापुर की रिपोर्ट में है उसको भी दाखिल किया इसी प्रकार के कई और दस्तावेज पत्रावली में दाखिल किया फिर भी भ्रष्टाचार के चलते तहसीलदार न्यायिक रंजन वर्मा मिल्कीपुर व पेशकार शोमलिक पाण्डेय की मिली भगत के चलते इतने साक्ष्य के बावजूद विधवा के हक में आदेश न पारित करके मृतक के भाई के नाम गलत तरीके से आदेश पारित कर दिया सोचने का विषय यह है कि पेशकर व तहसीलदार न्यायिक के नजर में इतने साक्ष्य प्रयाप्त नहीं हैं तहसील पर उठ रहा सवाल आखिर क्यों इतने साक्ष्य दबा दिए गए क्यों नहीं मिला पीड़िता को न्याय क्या मजबूरी थी जो इतने साक्ष्य को दबा कर पीड़िता महिला के विपक्ष में आदेश पारित किया गया फिलहाल पीड़िता महिला ने पत्रावली की जांच के लिए की शिकायत अब देखना यह है कि न्याय मिलेगा या नहीं।

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