Unnao30अक्टूबर25*उन्नाव के पशुपालन विभाग में एक पर गाज, दो पर रहम निष्पक्षता पर उठे सवाल*
*भ्रष्टाचार पर नकेल, मगर चाहतों पर करम!*
*सूत्रों से खबर सदर पशुपालन विभाग में तैनात डाक्टर पर भी हो सकती है कार्रवाई भ्रष्टाचार*
*उन्नाव के पशुपालन विभाग में एक पर गाज, दो पर रहम निष्पक्षता पर उठे सवाल*
उन्नाव*जिले के पशुपालन विभाग में मची गड़बड़ियों के बीच शासन ने बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी *डॉ. महावीर सिंह* को निलंबित कर दिया है। ठेका प्रक्रिया में हेराफेरी, मानकविहीन कार्यों का भुगतान और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के बाद यह कार्रवाई की गई है।
जानकारी के अनुसार, *प्रमुख सचिव (पशुधन) मुकेश मेश्राम* ने शासनादेश जारी कर डॉ. सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। बताया जा रहा है कि यह आदेश *31 अक्टूबर को डॉ. सिंह की सेवानिवृत्ति से महज एक दिन पहले* जारी किया गया, जिसने विभाग में हलचल मचा दी है।
*एक ही रिपोर्ट में तीन नाम, पर एक पर ही गाज*
मामले की जांच के लिए 13 अक्टूबर को तीन अधिकारियों के खिलाफ आदेश जारी हुए थे। इनमें मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के साथ *दो डिप्टी सीवीओ*, क्रमशः *सिकंदरपुर कर्ण* और *सदर अस्पताल* से जुड़े अधिकारी शामिल थे।
डीएम की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई, जिसके आधार पर शासन ने डॉ. सिंह के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई तो कर दी, लेकिन दोनों डिप्टी अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
यही वजह है कि एक ही जांच रिपोर्ट में तीनों के नाम शामिल होने के बावजूद अलग-अलग कार्रवाई ने *विभागीय निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।*
*शासन का त्वरित एक्शन, लेकिन चयन पर उठे सवाल*
सूत्रों का कहना है कि शासन ने रिपोर्ट मिलते ही “त्वरित कार्रवाई” का हवाला देकर निलंबन आदेश पारित किया, परंतु अन्य दो अधिकारियों को ‘क्लीन चिट’ देने जैसा रवैया अपनाया गया। विभागीय कर्मचारियों और स्थानीय सूत्रों का मानना है कि यह कदम “पक्षपातपूर्ण” प्रतीत होता है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट में तीनों अधिकारियों पर ठेकेदार से मिलीभगत, कार्यों की गुणवत्ता में लापरवाही और वित्तीय अनुशासन के उल्लंघन जैसे आरोप दर्ज थे। फिर भी दो अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न होना शासन के निर्णय पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
*“एक पर कहर, दो पर रहम” — चर्चा में विभाग*
इस पूरे प्रकरण के बाद जिले में चर्चा जोरों पर है। कर्मचारी संगठन और कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस कार्रवाई को *“एकतरफा”* बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है।
विभागीय दफ्तरों में इसे लेकर हड़कंप का माहौल है, जबकि कई कर्मचारी इसे “पूर्वनियोजित कार्रवाई” बता रहे हैं।
जिले के पशुपालन विभाग में लंबे समय से अनियमितताओं की शिकायतें सामने आती रही हैं। ठेकेदारी प्रक्रिया में पारदर्शिता और भुगतान में नियमों की अनदेखी को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं।
*जांच की मांग तेज़*
अब इस पूरे मामले पर जिले में *निष्पक्ष और व्यापक जांच* की मांग तेज़ हो गई है।
कर्मचारियों का कहना है कि यदि रिपोर्ट में तीनों के नाम हैं, तो कार्रवाई भी समान रूप से होनी चाहिए। वहीं शासन स्तर पर फिलहाल दो अधिकारियों पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया गया है।
उन्नाव के पशुपालन विभाग की यह कार्रवाई भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सख़्ती का संकेत देती हो, मगर जांच रिपोर्ट में असमान निर्णय से शासन की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
*“भ्रष्टाचार पर नकेल — पर चाहतों पर करम”*, यही फिलहाल उन्नाव प्रशासन की सबसे बड़ी सुर्खी बन गई है।

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