हरिद्वार23जुलाई25* सद्चिन्तन जो लोग संसार के धन संपत्ति पुत्र पौत्र मान सम्मान और पद अधिकार आदि की प्राप्ति होने पर
कालुराम जयपुरिया
🪴जो लोग संसार के धन संपत्ति पुत्र पौत्र मान सम्मान और पद अधिकार आदि की प्राप्ति होने पर भगवान की कृपा मानते हैं वे कृपा का रहस्य नहीं समझते। इन सब की प्राप्ति होने पर इनमें मोह बढ़ता है।🦚🪷_*
*_🌿⭐🌺दिन रात इन्हीं का चिंतन होता है। विषय चिंतन से क्रमशः आसक्ति कामना क्रोध वा लोभ सम्मोह स्मृतिभ्रंश बुद्धिमान होकर अन्त में सर्वनाश – आत्मा का पतन हो जाता है।🌹🌱_*
*_🦜🍀🔔कारण भगवान ने यह तन भी परमात्मा से प्रेम करने आत्मसाक्षात्कार करने के लिए मिला हुआ है।मिला हुआ का अर्थ है यह तन भगवान के कृपा का कर्ज है।🌷🌿_*
*_🍃🥀🎋अतः जो वस्तुएं भगवान को भुलाकर आत्मा के पतन में कारण हो उनकी प्राप्ति में भगवत्कृपा कैसी!यह तो कृपा का विस्मरण है।कृपा तो तब है जब चित् भगवत्चिंतन परायण हो जाय।🌻☘️🦜_*
*_🚩🪷॥ जय श्री राम ॥🪷🚩_*
*_🪷🌷 शुभप्रभात्🌷🪷_*
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