वाराणसी28दिसम्बर24*काशी में करोड़पति साहित्यकार का निधन:*
बेटे-बेटी ने निकाला तो वृद्धाश्रम में रहने लगे; अंतिम संस्कार में भी नहीं आया परिवार
.पद्मश्री सम्मान लेने से कर दिया था मना
80 करोड़ प्रॉपर्टी के मालिक रहे वृद्धाश्रम मे
वाराणसी के साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का शनिवार सुबह निधन हो गया। खंडेलवाल 80 करोड़ की प्रॉपर्टी मालिक थे। उन्होंने 400 किताबें लिखीं थीं।
खंडेलवाल काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में 17 मार्च, 2024 से रह रहे थे। श्रीनाथ खंडेलवाल ने शनिवार सुबह 8 बजे वाराणसी के ‘दीर्घायु अस्पताल’ में अंतिम सांस ली। इसके बाद भी उनके घर से कोई नहीं आया।
अमन करीब ने ही हीरामनपुर के काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में खंडेलवाल को रखवाया था। खंडेलवाल मार्च 2024 से यहां रहे रहे थे। वृद्धाश्रम के केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया, उन्हें 25 दिसंबर को सीने में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत और किडनी की समस्या के कारण अस्पताल में एडमिट कराया गया। यहां इलाज के दौरान उनका शनिवार सुबह 9 बजे देहांत हो गया।
रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने तुरंत इसकी सूचना अमन कबीर को दी। अमन कबीर ने बताया- यहां आने के बाद सबसे पहले कमिश्नर कौशल राजा शर्मा को घटना की जानकारी दी गई। जिस पर उन्होंने परिजनों को सूचना देने को कहा।
श्रीनाथ खंडेलवाल जी के बेटे को फोन किया गया तो उसने आने में असमर्थता जताई। कहा वह बाहर है नहीं आ सकता है। इसके बाद उसकी बेटी को फोन किया गया, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। न ही मैसेज का कोई जवाब दिया।
अमन करीब ने बताया, इसके बाद हम लोग शव लेकर सराय मोहना घाट पहुंचे और उनका अंतिम संस्कार किया। मैंने पिडंदान के ही साथ उन्हें अजय कुमार के साथ मिलकर मुखाग्नि दी।
एसएन खंडेलवाल की पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद चौकाने वाला है. यह बनारस के एक समृद्ध परिवार से आते हैं. वर्तमान समय में आज भी लंका पर इनका एक बड़ा मकान है, जिसकी करोड़ों में कीमत है. एसएन खंडेलवाल ने बताया कि एक बेटा- बेटी और पत्नी है. बेटा अपनी पत्नी के साथ अपने सास ससुर के घर रहता है, उनका ख्याल रखता है. बेटी सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट है. अपनी बेटी की थीसिस उन्होंने ही तैयार किया था, जिस पर उनकी बेटी को सम्मानित भी किया गया. उनका एक और बेटा था जो उनका बेहद ख्याल रखता था, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं है. अब परिवार का कोई भी उनका ख्याल नहीं रखता. पत्नी बच्चे कोई उनसे मिलने नहीं आता और वह बेहद खुश भी रहते हैं. उनके सिर्फ ऊपर वाला है, उन्ही के लिए वह जीवित है और उनके आशीर्वाद से ही लेखन का काम कर रहे हैं. अब यह आश्रम ही उनका परिवार है और यहां रहने वाले लोग ही उनके मित्र हैं.
श्रीनाथ खंडेलवाल , 15 वर्ष की आयु में पहली किताब लिखी थी, . पद्मपुराण लिखा, मत्स्य पुराण 2000 पन्नों का लिखा है. तंत्र पर करीब 300 किताबें लिखी हैं. कुछ अभी छप रही हैं. शिवपुराण का 05 खंडों में अनुवाद किया है. आसामी और बांग्ला भाषाओं में अधिक अनुवाद किया है.16 महापुराणों का कर चुके हैं अनुवाद :उन्होंने बताया कि, अभी एक किताब लिख रहा हूं नरसिंह पुराण. वह इंग्लिश में है. भारत में उसकी कोई प्रति नहीं है. अंग्रेज इसे ले गए तो उसे अपने यहां छापा. . अभी तक 21 या 22 उपपुराण और 16 महापुराणों का अनुवाद अब तक किया है. किताब लिखने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग नहीं करते हैं. शुरू से ही हाथ से लिखते रहे हैं.पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर दिया था कहते हैं कि उसका मैंने सम्मान किया. उसके योग्य नहीं हूं.
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