May 6, 2024

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वाराणसी26अप्रैल24*कड़ी धूप व लू से बचने के कारण व बचाव।*

वाराणसी26अप्रैल24*कड़ी धूप व लू से बचने के कारण व बचाव।*

वाराणसी26अप्रैल24*कड़ी धूप व लू से बचने के कारण व बचाव।*

*वाराणसी से संवाददाता प्राची राय यूपीआजतक*

कड़ी धूप में काम करने वालों, गरीब तबके के लोगों, खिलाड़ियों, बच्चे, बूढ़े और बीमार लोगों को लू लगने का डर ज्यादा रहता है। लू लगने के बाद उसका इलाज किया जाए इससे बेहतर है कि हम लू लगने से पहले ही अपना बचाव कर लें। लिहाजा इन जरूरी बातों का ध्यान रखें.इस विषय पर डां राजलक्ष्मी राय. अथर्व होमियो मिशन सुसुवाहि वाराणसी की प्रसिद्ध डॉक्टर से लू लगने के कारण उपाय पर बात किया गया है उन्होंने लू लगने का कारण व बचाव बताया। जिसका उपाय करके हम सभी लू से बच सकते है।

*कैसे लग जाती है लू?*

डॉक्टर राजलक्ष्मी राय ने बताया कि ‘लू लगने पर शरीर का तापमान अचानक बहुत बढ़ जाता है। गर्मी की वजह से शरीर में पानी और नमक की ज्यादा कमी होने पर लू लगने की आशंका होती है। तेज धूप और गर्मी में नंगे बदन रहने वालों, बिना छाते या सिर को बिना ढके धूप में घूमने वालों, टीन से बने घरों में रहने वालों, तेज आग के सामने काम करने वालों, खेतों में काम करने वालों, खुली धूप में आने-जाने व काम करने वालों, लो इम्युनिटी वालों, शारीरिक रूप से कमजोर, बच्चों, बुजुर्गों, ज्यादा एक्सर्साइज करने वालों और कम पानी पीने वाले लोगों को अक्सर लू लग जाती है। जब शरीर का थर्मोस्टेट सिस्टम यानी शरीर का तापमान कंट्रोल करने वाला सिस्टम शरीर को ठंडा रखने में नाकाम हो जाता है तो शरीर में गर्मी भर जाती है और पानी किसी-न-किसी रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है। इससे शरीर की ठंडक कम हो जाती है और लू लग जाती है।

*क्या होता है लू लगने पर?* डॉक्टर राजलक्ष्मी राय ने बताया कि
– लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है।
– मसल्स में खिंचाव लगता है, शरीर टूटने लगता है और प्यास बढ़ जाती है।
– कई बार बुखार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जैसे कि 105 या 106 डिग्री फॉरेनहाइट।
– ब्लड प्रेशर लो हो जाता है और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का बैलेंस बिगड़ जाता है। ऐसे में बेहोशी भी आठ सकती है।
– इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। ठीक वक्त पर इलाज न कराया जाए तो मौत भी हो सकती है।

*लू के लक्षण* डॉक्टर राजलक्ष्मी राय ने बताया कि
बेहोशी आना, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, उलटी आना, चक्कर आना, दस्त, सिरदर्द, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना और हाथ-पैरों में कमजोरी आना या निढाल होना लू लगने के लक्षण हैं। लू लगने पर काफी पसीना आ सकता है या एकदम पसीना आना बंद भी हो सकता है।

*लू लगने पर क्या करें?* डॉक्टर राजलक्ष्मी राय ने बताया कि
– सबसे पहले मरीज को ठंडी और छायादार जगह में बिठाएं, कपड़े ढीले कर दें, पानी पिलाएं और ठंडा कपड़ा उसके शरीर पर रखें।
– शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश करें। लू लगने पर ऐसा करना सबसे जरूरी है।
– लगातार तरल पदार्थ देकर उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें। नमक व चीनी मिला हुआ पानी, शर्बत आदि दें।
– उसके हाथ-पैरों की हल्के हाथों से मालिश करें। तेल न लगाएं।
– गुलाब जल में रुई भिगोकर आंखों पर रखें। फिर भी आराम न आए तो डॉक्टर के पास ले जाएं।

*लू लगने पर खानपान*
बेल या दूसरी तरह के शर्बत और जौ का पानी दें। खिचड़ी दे सकते हैं। तलवों, हथेलियों व माथे पर चंदन का लेप और सिर पर मेहंदी लगाएं। बाहर का खाना न खाएं। घर में भी परांठा, पूड़ी-कचौड़ी आदि तला-भुना न खाएं। नींबू पानी और इलेक्ट्रॉल पीते रहें। शुगर के मरीज बिना चीनी सेवन करें।चीनी का शर्बत और ठंडाई लें। आधा दूध और आधा पानी मिलाकर लस्सी बनाकर पीयें।

*कैसे करें बचाव*** ‘डॉक्टर राजलक्ष्मी राय ने बताया कि कुछ सावधानियां बरत कर लू और गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है…
– तेज गर्म हवा में बाहर जाने से बचें। नंगे बदन और नंगे पैर धूप में न निकलें।
– घर से बाहर पूरी आस्तीन के और ढीले कपड़े पहनकर निकलें, ताकि उनमें हवा लगती रहे।
– ज्यादा टाइट और गहरे रंग के कपड़े न पहनें।
– सूती कपड़े पहनें। सिंथेटिक, नायलॉन और पॉलिएस्टर के कपड़े न पहनें।
– खाली पेट घर से बाहर न जाएं और ज्यादा देर भूखे रहने से बचें।
– धूप से बचने के लिए छाते का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, सिर पर गीला या सादा कपड़ा रखकर चलें।
– चश्मा पहनकर बाहर जाएं। चेहरे को कपड़े से ढक लें।
– घर से पानी या कोई ठंडा शरबत पीकर निकलें, जैसे आम पना, शिकंजी, खस का शर्बत आदि। साथ में पानी की बोतल लेकर चलें।
– बहुत ज्यादा पसीना आया हो तो फौरन ठंडा पानी न पीएं। सादा पानी भी धीरे-धीरे करके पीएं।
– रोजाना नहाएं और शरीर को ठंडा रखें।
– घर को ठंडा रखने की कोशिश करें। खस के पर्दे, कूलर आदि का इस्तेमाल करें।
– बाजार में बिक रहे पहले से कटे हुए फल तो बिलकुल न खाएं।

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