June 29, 2024

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ललितपुर14जनवरी*मसूर खरीद के बाद अब नैफेड की उर्दा खरीद में भी भ्रष्टाचार*

ललितपुर14जनवरी*मसूर खरीद के बाद अब नैफेड की उर्दा खरीद में भी भ्रष्टाचार*

जिला –ललितपुर
नाम—-कृष्ण बिहारी उपाध्याय
फोन न–9450037114- 7007083637
ट्यूटर– @UpadhayayBihari

ललितपुर14जनवरी*मसूर खरीद के बाद अब नैफेड की उर्दा खरीद में भी भ्रष्टाचार*

*नहीं खुला क्रय केंन्द्र और बिचोलियों से की जा रही हैउर्द की खरीदी ।*

*राधिका मल्टी स्टेट और किसान बहु उद्दसीय कर रहीं है जनपद में खरीद*

*किसानों का हक मारते बिचोलियों और कंपनी का सिंडीकेट ।*
ललितपुर
मसूर खरीद घोटाले के बाद अब जनपद में नेफेड से अधिकृत ऐजेंसियां कर रही हैं उरदा खरीद में भी भारी अनियमित्ताये और भ्रष्टाचार।
नाफेड ने उरदा खरीद को दो ऐजेंसी राधिका मल्टीस्टेट और किसान बहुउद्देशीय को उरदा खरीद की जिम्मेदारी सौंपी है।और इन ऐजेंसियों ने जनपद में अभी तक ना तो कोई क्रय केंद्र खुला है और ना ही किसानों से खरीद की जा रही है।
जबकि ललितपुर से लगभग 11– 12 सौ कुंटल उरदा खरीद कर झांसी वेयरहाउस भेज दिया गया है।सारी खरीद किसानों से ना होकर बिचौलियों और दलालो के माध्यम से की जा रही है और इसमें किसानों के आर्थिक हितो को भारी नुकसान पहुचाया जा रहा है बिचौलियों द्वारा 4000 से ₹4500 रुपया कुन्टल में उरदा खरीद कर राधिका मल्टीस्टेट को 6471 /-रूपया में बेच दिया जा रहा है और यह कंपनी इसे झांसी के वेयरहाउस में जमा करा दे रही है।
किसानों को इस खरीद में कोई लाभ नहीं मिल रहा है बिचोलिये और खरीद प्रभारी श्याम बिहारी की मिली भगत से यह पूरा खेल खेला जा रहा है । मंडी सचिव की भूमिका भी संदेह के घेरे में.हैं ।
और प्रशासन पूरी तरह बेखबर है।जनपद का किसान पहले ही प्राकृति की मार से जूझ रहा है और उसीपर बिचोलिया और नैफेड प्रभारी भी उनके हितो पर डांका डाल रहे हैं । जनपद के किसानों के हितों के प्रति प्रशासन तुरंत प्रभाव हे संज्ञान लेकर इस घोटाले को रोके।
और.सस्ते दामों में खरीद कर नैफेड के नियत दाम 6471/-पर बेचकर करोड़ों रुपए की हो रही बंदरबांट की जांच करायें
है बताते चलें कि नेफेड ने मसूर खरीद के लिए भी राधिका मल्टी स्टेट को जिम्मेदारी सौंपी थी जिसमे भारी अनियमितताएं और बन्दरबाट की शिकायतें मिली थी और तत्कालीन जिला अधिकारी ने जांच के बाद दोषी मानते हुए शासन को जांच आख्या भेजी थी इसके बाद भी कोई कार्यवाही न होना और पुनः उर्दा खरीद मिलना नेफेड की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खडे करता है ।
आखिर कब तक बिचोलिया और यह मल्टी स्टेट ऐजेंसियां जनपद के किसानों का शोषण करती रहेगी।

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