October 29, 2025

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लखनऊ26फरवरी*योगी संत हैं या जातिवादी,लौटनराम निषाद ने आदित्यनाथ योगी को दिया खुली बहस की चुनौती*

लखनऊ26फरवरी*योगी संत हैं या जातिवादी,लौटनराम निषाद ने आदित्यनाथ योगी को दिया खुली बहस की चुनौती*

लखनऊ26फरवरी*योगी संत हैं या जातिवादी,लौटनराम निषाद ने आदित्यनाथ योगी को दिया खुली बहस की चुनौती*

*ओमप्रकाश राजभर व संजय निषाद नाली के कीड़े,पूछा-क्या हुआ अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण मुद्दे का?*

लखनऊ।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चौ.लौटनराम निषाद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रश्न करते हुए पूछा है कि वे साफ करें कि वे योगी,संत हैं या कट्टरपंथी जातिवादी व ढोंगी।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की जो बोलभाषा निकल रही है,वह एक संत या योगी की नहीं,बल्कि एक सामन्ती व हिटलरशाही चरित्र के तुच्छ जातिवादी की परिलक्षित हो रही है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दूसरे पर टिप्पणी करने से पहले अपने चाल-चरित्र,आचरण,संस्कार व व्यक्तित्व-कृतित्व पर विचार कर लें कि क्या वे अपने संस्कार व चरित्र से पिता का सम्मान व संस्कार किये हैं?अभी तक का मुख्यमंत्री का जो चरित्र उभरकर आया है,वह एक कट्टरपंथी तुच्छजातिवाद से प्रेरित जातिवादी व समाज विध्वंसक की ही छबि का परिचय दिया है।दूसरों को संस्कार का पाठ पढ़ाने वाले मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री बताये कि क्या वे जिस पंथ को मानते हैं,उसके अनुसार अपने पिता व माता का संस्कार किये।प्रधानमंत्री अपनी पत्नी को अपनी सास का अंतिम दर्शन करने से पुलिस बल लगाकर घर में बंधक क्यों बनवाये? मुख्यमंत्री ने यादव,निषाद, भूमिहार,ब्राह्मण,प्रजापति,पाल,पटेल,मौर्या,लोधी,मुसलमान पर बुलडोजर चलवाये व सम्पत्ति सीज करवाये पर क्या कोई ठाकुर माफिया,अपराधी नहीं मिला?क्या राजपूत ही साफ-पाक हैं,शेष जातियां माफिया व अपराधी हैं?सपा सरकार को एक जाति की सरकार बताने वाले मुख्यमंत्री सवर्णवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे,क्या इनके कारनामे व चयन प्रक्रिया जातिवादी व सवर्णवादी नहीं हैं?
निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गिरगिटिया किस्म का नेता बताते हुए कहा कि इनके बोलभाषा व चरित्र एक योगी व संत का कत्तई नहीं है।योगी आदित्यनाथ सांसद रहते हुए संसद में निषाद, मल्लाह, केवट,बिन्द, कश्यप आदि को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग करते थे,7 जून 2015 को कसरवल निषाद आरक्षण आंदोलन को उचित ठहराते हुए आंदोलन का समर्थन किये थे तो आज डबल इंजन की सरकार से निषाद मछुआरा व अतिपिछड़ी जातियों को एससी का दर्जा दिलाने में देरी क्यों हो रही है?मुख्यमंत्री जी,20 दिसम्बर,2021 को मझवार की पर्यायवाची जातियों की जानकारी के लिए आपने आरजीआई को जो पत्र लिखे थे,उसका क्या जवाब आया,उसे सार्वजनिक करिए।राम-निषादराज की मित्रता के नाम पर आप व भाजपा ढोंग करती है।अखिलेश यादव की सरकार ने 5 अप्रैल को निषादराज जयंती के सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था,जिसे आप मुख्यमंत्री बनते ही रद्द कर दिया।सामाजिक न्याय व नारी सशक्तिकरण की प्रतीक वीरांगना फूलन देवी की 25 जुलाई,2021 को स्थापित कराए जाने वाली प्रतिमाओं को स्थापित कराने से आपने पुलिस बल लगाकर रोकवा दिए,क्या यह नारी जाति व अतिपिछड़ा निषाद विरोधी कार्य नहीं था? राममंदिर तीर्थस्थल निर्माण ट्रस्ट की 15 सदस्यीय कमेटी में किसी भी पिछड़े को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया,क्या यह जातिवादी कृत्य नहीं है?मुख्यमंत्री बनते ही 13 अप्रैल,2017 को निजी मेडिकल,डेंटल,इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट संस्थाओं में ओबीसी,इस,एसटी का आरक्षण खत्म कर दिए,यह पिछड़ा विरोधी कार्य नहीं है?आपकी सरकार में ई-टेंडरिंग व खुली नीलामी की व्यवस्था कर बालू मोरम खनन,मत्स्य पालन अधिकार मछुआरों से छीन लिया गया,तो यह निषाद विरोधी कार्य नहीं है?लौटनराम निषाद ने मुख्यमंत्री को सबक साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दिया है।
निषाद ने निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद व सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर को नाली का कीड़ा करार देते हुए कहा कि ये पारिवारिक व पुत्रमोह में अपने ज़मीर को गिरवी रखकर अपने समाज के साथ घोर अन्याय करा रहे हैं।उन्होंने कहा कि ये दोनों नेता जो भाजपा के भाट बने हुए हैं,तो क्यों नहीं मझवार,तुरैहा,गोंड़,बेलदार,शिल्पकार, पासी तड़माली को परिभाषित करा रहे और सामाजिक न्याय समिति की सिफारिश लागू करा रहे।उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश राजभर व संजय निषाद गिरगिटिया राजनीति का परिचय देते हुए समाज को बेवकूफ बनाकर निजस्वार्थ के लिए नीच राजनीति कर रहे हैं।ये दोनों नेता अपनी जाति व वर्ग के नेता नहीं,बल्कि परिवारवादी व सौदेबाज किस्म के बहेलिया हैं।संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर अपने बेटों के राजनीतिक समायोजन कराने के लिए भाजपा की गुलामी कर रहे हैं।राजभर व निषाद दोनों पलटू राम हैं,जिन्हें अपनी जाति के हित से नहीं बल्कि अपने परिवार की भलाई से मतलब है।उन्होंने कहा कि संजय निषाद व ओमप्रकाश बताएंगे कि उन्होंने निषाद व राजभर को कितना प्रतिनिधित्व, सम्मान व अधिकार दिलाये।ये दोनों मायावती के पदचिन्हों पर चलते हुए समाज के नाम पर सौदेबाजी करते हैं।खाता न बही ओमप्रकाश व संजय जो कहे वही सही,ये दोनों बरसाती मेंढक व कौम के नाम पर सौदेबाजी करने वाले धोखेबाज, गद्दार व शातिर जाति माफिया हैं।उन्होंने कहा कि नेताजी के आशीर्वाद नहीं मिला होता तो ओमप्रकाश राजभर बाबतपुर में ऑटो रिक्शा चलाते होते और अखिलेश यादव का आशीर्वाद नहीं मिलता तो संजय निषाद दलाली व कच्ची शराब की दोहरी दलाली करते जीवन गुजारते।निषाद ने कहा कि कुत्ता से दोस्ती व दुश्मनी दोनों ठीक नहीं होता है।कुत्ता को दुलारे तो चाटकर गंदा करता है और दुत्कारेगे तो काट लेगा।इसलिए कुत्ते से दूरी बनाकर रहना ही उचित होता है।इसलिए कुत्ते से अपने को दूर रखना ही उत्तम होता है।जिस तरह कुत्ते की दुम कितना भी प्रयास करने पर सीधी नहीं होती,उसी तरह नीच चरित्र का व्यक्ति भी अपने दुष्चरित्रता से किसी भी दशा में बाज नहीं आता है,जैसे बिच्छू डंक मारने का अपना स्वभाव नहीं छोड़ता।

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