लखनऊ16सितम्बर25*राजधानी में अस्पतालों की आपातकालीन सेवा बहुत ही खराब स्थिति में….*
*अभी तक राम मनोहर लोहिया बचा हुआ था, पर अब नहीं….*
*कहीं पर स्टाफ रहते हैं नदारद, तो कहीं लापरवाही के साथ जुगाड़ का है सहारा…*
*अगर जेब गरम हो तो कोई ना कोई मिल जाएगा इमरजेंसी में सहारा….*
लखनऊ/राजधानी लखनऊ में केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, सिविल की बर्बाद आपातकालीन सेवा को छोड़ एक राम मनोहर लोहिया अस्पताल बचा था। पर मंगलवार को करीब 4 बजे से यह महसूस हो गया, कि अब राम मनोहर लोहिया भी नहीं बचा है। ऐसा लग रहा था जैसे मरीज पर एहसान करने के लिए बैठे हैं मेडिकल स्टाफ। इसके साथ ही कहीं डॉक्टर गायब हो जाएं, तो कहीं कंपाउंडर, और नर्सों पर तो रात में घर जाने या गायब हो जाने पर तो रियायत बरती गई है।
अगर देखा जाए तो ज्यादातर स्टाफ या तो गायब थे या सोने के लिए अंदर एक कोना ढूंढ कर पसरे हुए थे, पर ये सब चुपके से भी होता है और ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ के संज्ञान में भी होता है। ऐसे हालात में बेचारे मरीज जाए तो कहां जाए।
इन डॉक्टरों, कंपाउंडरों और नर्सों को क्या गायब होने या सोने के लिए राम मनोहर लोहिया प्रशासन सैलरी देता है या सिर्फ खानापूर्ति के लिए।
ऐसा नहीं कि हर डॉक्टर या कंपाउंडर या नर्स अपनी जिम्मेदारी को निभा नहीं रहे, कुछ डॉक्टरों, कंपाउंडरों और नर्सों की मौजूदगी से ही राम मनोहर लोहिया की आपातकालीन सेवा की साख बची हुई है।
स्वास्थ मंत्री आश्वासन का दिलासा देने में व्यस्त हैं, राम मनोहर लोहिया के डायरेक्टर एमओयू और कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। प्रशासनिक भवन में मौजूद डॉक्टर और अधिकारी शिकायतों का सामना करने से बचते रहते हैं। क्या होगा बेचारे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का, अगर आपका जुगाड़ हो या डॉक्टरों से परिचय हो या आपकी जेब गरम हो, तो आपके लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी सेवा तत्पर मौजूद है, नहीं तो भटकते रहिए, कोई सुनने वाला नहीं…..!

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