October 17, 2025

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लखनऊ07नवम्बर*यूपीआजतक न्यूज़ से लखनऊ की खास खबरें

लखनऊ07नवम्बर*यूपीआजतक न्यूज़ से लखनऊ की खास खबरें

[07/11, 16:50] Monu Kushwaha Billhaur Knp: ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, एक्रिपाम
सस्य विज्ञान विभाग
च0 शे0 आ0 कृषि एवं प्रौ०वि०वि०, कानपुर।
दिनांक- 07.11.2022
अधिकतम तापमान (डिग्री०से०) : 30.6 (+0.7)
न्यूनतम तापमान (डिग्री०से०) : 16.4 (+1.2)
सापेक्षिक  आर्द्रता अधिकतम : 91 प्रतिशत
सापेक्षिक आर्द्रता न्यूनतम : 57 प्रतिशत
हवा की औसत गति : 1.5 कि०मी०/घंटा
हवा की दिशा- उत्तर पूर्व
वर्षा (मि०मी०) : 0.0
पूर्वानुमान  : सीएसए यूनिवर्सिटी एवं भारतीय मौसम विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले 5 दिनों में हल्के से माध्यम बादल छाए रहने के आसार हैं किंतु वर्षा की कोई संभावना नहीं है।अभी तापमानो मैं एक दो डिग्री का उत्तार चढ़ाव जारी रहेगा
डा०यस०यन०सुनील पांडेय
कृषि मौसम वैज्ञानिक/नोडल ऑफिसर
ग्रामीण मौसम सेवा एवं फसल योजना
देश भर में मौसम प्रणाली:
चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी और भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के आसपास के हिस्सों पर बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा कोमोरिन क्षेत्र से दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी और भूमध्यरेखीय हिंद महासागर पर बने हुए चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र तक फैली हुई है। हरियाणा के ऊपर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। 9 नवंबर को दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी श्रीलंका तट पर निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होने की उम्मीद है। यह अगले 48 घंटों में और सशक्त हो सकता है और उत्तर-पश्चिम दिशा में तमिलनाडु तट की ओर बढ़ेगा।
कृषि मौसम वैज्ञानिक
अगले 24 घंटों के दौरान मौसम की संभावित गतिविधि
अगले 24 घंटों के दौरान, दक्षिण तमिलनाडु और दक्षिणी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। तमिलनाडु और केरल के शेष हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है | दक्षिण आंतरिक कर्नाटक तटीय कर्नाटक और रायलसीमा में हल्की बारिश संभव है। जम्मू कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद में हल्की से मध्यम बारिश और हिमपात संभव है। उत्तराखंड में छिटपुट हल्की बारिश और हिमपात हो सकता है। कानपुर ,दिल्ली और एनसीआर का वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब से खराब श्रेणी में रहेगा।
[07/11, 16:50] Monu Kushwaha Billhaur Knp: संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी डब्लूएमओ ने अपनी वार्षिक जलवायु स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि 1990 के दशक की तुलना में पिछले एक दशक में समुद्री स्तर में दोगुनी वृद्धि हुई है और जनवरी 2020 के बाद से इसमें और इजाफा हुआ है। यह दशक शुरू होने के बाद से, समुद्री स्तर सालाना 5 मिलीमीटर (.2 इंच) की दर से बढ़ रहा है, जबकि 1990 के दशक में यह दर 2.1 मिलीमीटर (.08 इंच) थी।
[07/11, 16:50] Monu Kushwaha Billhaur Knp: धरती को बचाने के लिए मिस्र में COP27 की बैठक शुरू, संयुक्त राष्ट्र ने दिए डराने वाले आंकड़े

COP 27: धरती को बचाने के लिए दुनियाभर के नेता मिस्र के शर्म अल-शेख में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ता के लिए जुटे हैं। इस वार्ता के बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेतावनी दी है कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। समुद्र स्तर में लगातार इस कारण से वृद्धि हो रही है।
शर्म अल-शेख: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने रविवार को आगाह किया कि पृथ्वी पर गर्मी और समुद्री जलस्तर में वृद्धि बदतर रूप अख्तियार करती जा रही है और ऐसा पहले की तुलना में काफी अधिक तेजी से हो रहा है। दुनियाभर के नेता मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता के लिए जुटने लगे हैं, जिसके बीच संगठन ने यह चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा, “ताजा वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट जलवायु अव्यवस्था का लेखा-जोखा है। हमें महत्वाकांक्षी और विश्वसनीय जलवायु कार्रवाई के जरिए इस संकट का हल निकालना चाहिए
[07/11, 16:50] Monu Kushwaha Billhaur Knp: डब्लूएमओ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि रिकॉर्ड के अनुसार पिछले आठ साल सबसे गर्म रहे हैं। डब्ल्यूएमओ के प्रमुख पेटेरी तालस ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया, “(बर्फ) पिघलने और समुद्र का जल स्तर बढ़ने के मामले में काफी कुछ हाथ से निकल चुका है। अभी तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं।” उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर गर्मी और समुद्री जलस्तर में वृद्धि बदतर रूप अख्तियार करती जा रही है और ऐसा पहले की तुलना में काफी अधिक तेजी से
दो हफ्ते तक चलेगी बैठक
शर्म अल शेख के लाल सागर रिसॉर्ट में COP27 के शिखर सम्मेलन में विश्व भर के 120 से अधिक नेताओं का आना अभी बाकी है। दो सप्ताह तक होने वाली इस बैठक में देशों के बीच जलवायु कार्रवाई पर बातचीत होगी। COP27 के अध्यक्ष मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने सभी नेताओं से आग्रह किया है कि रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण से खाद्य और ऊर्जा संकटों को जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के रास्ते में न आने दें।