October 25, 2024

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रायबरेली25अक्टूबर24*भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे पूर्व प्रधान के प्रतिनिधि लगा रहे मनगढ़ंत आरोप अनुराग चौधरी

रायबरेली25अक्टूबर24*भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे पूर्व प्रधान के प्रतिनिधि लगा रहे मनगढ़ंत आरोप अनुराग चौधरी

रायबरेली25अक्टूबर24*भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे पूर्व प्रधान के प्रतिनिधि लगा रहे मनगढ़ंत आरोप अनुराग चौधरी

ग्रामीणों ने एकात्रित होकर पूर्व प्रधान प्रतिनिधि का खोला काला चिठ्ठा

महराजगंज/रायबरेली। जमुरावां गांव के दलित बिरादरी के पूर्व में रहे प्रधान के नाम पर लाखों रुपए डकारने वाले व अपने को प्रधान प्रतिनिधि बताने वाले पहले खुद की गिरहबां झांक कर देखें की उनके कार्यकाल में ग्राम सभा में जितना भ्रष्टाचार हुआ है उतना आज तक किसी भी ग्राम पंचायत में नहीं हुआ और अपने को फंसता देख मुझ पर आरोप लगा रहे हैं यह उद्गार आज महराजगंज विकासखंड के जमुरावां ग्राम पंचायत भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए नवनियुक्त ग्राम प्रधान अनुराग चौधरी व्यक्त कर रहे थे। बताते चले कि, महराजगंज विकासखंड के जमुरावा ग्राम पंचायत में 2021 के पंचायत चुनाव में सुरक्षित सीट के चुनाव में रोशन लाल ग्राम प्रधानी का चुनाव जीता था जबकि अपने साक्ष्यों व अभिलेखों को छुपा कर नाबालिक से स्वत अपने आप को बालिक बढ़कर ग्राम प्रधान बन गया था जिसका वाद ग्रामीणों द्वारा उप जिलाधिकारी महराजगंज के न्यायालय में दायर किया गया था जिसको संज्ञान में लेते हुए उप जिलाधिकारी ने 2024 में प्रधान को नाबालिक होने के चलते अयोग्य घोषित करते हुए पुनः चुनाव कराने के निर्देश दिए थे जिस पर चुनाव हुआ और अनुराग चौधरी प्रधान निर्वाचित हुए तथा पूर्व प्रधान रोशन लाल का प्रतिनिधि बनकर दीपू यादव ने विगत 3 वर्षों तक गांव में अनेक विकास कार्यों के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया व लोगों पर दबाव बनाकर आए दिन प्रताड़ित किया करते थे। वही पंचायत सहायक श्रीमती अंजू ने भी दीपू यादव पर आरोप लगाते हुए बताया कि शैक्षिक योग्यता व मेरिट के आधार पर मेरा चयन होना निश्चित था फिर भी मुझसे (120000)एक लाख बीस हजार रुपए लेकर मेरा चयन पंचायत सहायक के पद पर कराया गया जो जांच का विषय है तो वही शौचालय मनरेगा मजदूरी व इंटरलॉकिंग सहित अनेक कार्यों में धन निकालकर धन हड़पने का भी आरोप ग्रामीणों ने खुले तौर पर लगाया है इससे यह साफ जाहिर होता है कि दो माह पूर्व नव नियुक्त ग्राम प्रधान अनुराग चौधरी पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं तथा पूर्व प्रधान द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए प्रधान अनुराग चौधरी को बदनाम करने का काम किया जा रहा। इस मौके पर प्रधान अनुराग चौधरी,अमित त्रिपाठी उर्फ मोनू, इंद्रपाल यादव, सरयू प्रसाद निर्मल, भजनी, रामलाल, पंचायत सहायक अंजू देवी, कमला, ज्ञानवती, सुशीला, नंदन, राजकुमार तिवारी, विनोद तिवारी, शीतला प्रसाद, धर्मपाल, रामलाल, भेला, सुरेंद्र,औसान शिवबरन, सुरेश मौर्य, रामसागर मौर्य, अरुण मौर्य, राजेश मौर्य, अनूप मौर्य, राम बहादुर पासवान, अंकित मिश्रा, कमलेश निर्मल, संदीप, कल्लू मौर्य, श्री राम शुक्ला, राकेश चौकीदार सहित सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

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Taza Khabar

संस्कृत विभाग की शोध संगोष्ठी संपन्न वाराणसी से प्राची राय यूपीआजतक गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर के भाषा संकाय के अन्तर्गत संस्कृत विभाग की पूर्व शोध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन विभागीय शोध समिति एवं अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार कक्ष में किया गया। जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे संस्कृत विभाग शोधार्थिनी रजनी सिंह ने अपने शोध-प्रबन्ध शीर्षक ‘‘ब्रह्मवैवर्तपुराण: एक समीक्षात्मक अध्ययन’’ नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि ब्रह्मवैवर्त पुराण मुख्यतः वैष्णव पुराण है। इसके प्रमुख प्रतिपाद्य देवता विष्णु-परमात्मा श्रीकृष्ण हैं। यह चार खण्डों में विभाजित है- ब्रह्मखण्ड, प्रकृति खण्ड, गणपतिखण्ड तथा श्रीकृष्णजन्मखण्ड। ब्रह्मखण्ड में सबके बीज रूप परमब्रह्म परमात्मा (श्रीकृष्ण) के तत्त्व का निरुपण है। प्रकृतिखण्ड में प्रकृति स्वरूपा आद्याशक्ति (श्री राधा) तथा उनके अंश से उत्पन्न अन्यान्य देवियों के शुभ चरित्रों की चर्चा है। गणपतिखण्ड में (परमात्मास्वरूप) श्री गणेश जी के जन्म तथा चरित्र आदि से सम्बन्धित कथाएँ हैं। श्रीकृष्ण जन्मखण्ड में (परमब्रह्म परमात्मास्वरूप) श्री कृष्ण के अवतार तथा उनकी मनोरम लीलाओं का वर्णन है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और उनकी अभिन्नस्वरूपा प्रकृति-ईश्वरी श्री राधा की सर्वप्रधानता के साथ गोलोक-लीला तथा अवतार-लीला का विशद वर्णन है। इसके अतिरिक्त इसमें कुछ विशिष्ट ईश्वरकोटि के सर्वशक्तिमान् देवताओं की एकरूपता, महिमा तथा उनकी साधना-उपासना का भी सुन्दर प्रतिपादन है। ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथाएँ अतीव रोचक, मधुर ज्ञानप्रद और कल्याणकारी है। वर्तमान जनमानस में व्याप्त बुराइयों को दूर करने हेतु ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार आचरण करने से लोगों का हृदय आनन्दित होगा और उनमें व्याप्त बुराइयों के शमन में सहायता मिलेगी तथा समाज में चतुर्दिश शान्ति स्थापित होगी और सभी सुखी होंगे। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी रजनी सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक डॉ० (श्रीमती) नन्दिता श्रीवास्तव, संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० समरेन्द्र नारायण मिश्र, प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० अमरजीत सिंह, प्रोफे०(डॉ०) सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ०शिवशंकर यादव, प्रोफे० (डॉ०) विनय कुमार दुबे, डॉ० कमलेश, प्रदीप सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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संस्कृत विभाग की शोध संगोष्ठी संपन्न वाराणसी से प्राची राय यूपीआजतक गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर के भाषा संकाय के अन्तर्गत संस्कृत विभाग की पूर्व शोध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन विभागीय शोध समिति एवं अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार कक्ष में किया गया। जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे संस्कृत विभाग शोधार्थिनी रजनी सिंह ने अपने शोध-प्रबन्ध शीर्षक ‘‘ब्रह्मवैवर्तपुराण: एक समीक्षात्मक अध्ययन’’ नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि ब्रह्मवैवर्त पुराण मुख्यतः वैष्णव पुराण है। इसके प्रमुख प्रतिपाद्य देवता विष्णु-परमात्मा श्रीकृष्ण हैं। यह चार खण्डों में विभाजित है- ब्रह्मखण्ड, प्रकृति खण्ड, गणपतिखण्ड तथा श्रीकृष्णजन्मखण्ड। ब्रह्मखण्ड में सबके बीज रूप परमब्रह्म परमात्मा (श्रीकृष्ण) के तत्त्व का निरुपण है। प्रकृतिखण्ड में प्रकृति स्वरूपा आद्याशक्ति (श्री राधा) तथा उनके अंश से उत्पन्न अन्यान्य देवियों के शुभ चरित्रों की चर्चा है। गणपतिखण्ड में (परमात्मास्वरूप) श्री गणेश जी के जन्म तथा चरित्र आदि से सम्बन्धित कथाएँ हैं। श्रीकृष्ण जन्मखण्ड में (परमब्रह्म परमात्मास्वरूप) श्री कृष्ण के अवतार तथा उनकी मनोरम लीलाओं का वर्णन है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और उनकी अभिन्नस्वरूपा प्रकृति-ईश्वरी श्री राधा की सर्वप्रधानता के साथ गोलोक-लीला तथा अवतार-लीला का विशद वर्णन है। इसके अतिरिक्त इसमें कुछ विशिष्ट ईश्वरकोटि के सर्वशक्तिमान् देवताओं की एकरूपता, महिमा तथा उनकी साधना-उपासना का भी सुन्दर प्रतिपादन है। ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथाएँ अतीव रोचक, मधुर ज्ञानप्रद और कल्याणकारी है। वर्तमान जनमानस में व्याप्त बुराइयों को दूर करने हेतु ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार आचरण करने से लोगों का हृदय आनन्दित होगा और उनमें व्याप्त बुराइयों के शमन में सहायता मिलेगी तथा समाज में चतुर्दिश शान्ति स्थापित होगी और सभी सुखी होंगे। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी रजनी सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक डॉ० (श्रीमती) नन्दिता श्रीवास्तव, संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० समरेन्द्र नारायण मिश्र, प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० अमरजीत सिंह, प्रोफे०(डॉ०) सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ०शिवशंकर यादव, प्रोफे० (डॉ०) विनय कुमार दुबे, डॉ० कमलेश, प्रदीप सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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