*यूपी: 25 माह से फरार चल रहा एक लाख के इनामी पूर्व महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार ने कोर्ट में किया आत्मसमर्पण*
महोबा के एक व्यापारी से छह लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोपी मोस्टवांटेड आईपीएस मणिलाल पाटीदार ने शनिवार को लखनऊ कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। व्यापारी की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से मौत हो गई थी जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
दो साल से फरार चल रहे आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार ने आज शनिवार को लखनऊ कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। वह महोबा के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे तब उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने महोबा के एक खनन व्यापारी से छह लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। उन्हें 9 सितंबर 2020 को निलंबित किया गया था तब से वह फरार थे।
एसआईटी ने उन्हें व्यापारी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया था। उन पर महोबा कोतवाली और विजिलेंस में मुकदमा दर्ज किया गया था।
मणिलाल पाटीदार 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। एडीजी जोन प्रयागराज ने उन पर एक लाख रुपये का पुरस्कार घोषित किया था। उत्तर प्रदेश की तमाम पुलिस व एजेंसी मणिलाल पाटीदार को पकड़ने में नाकाम रही। उन्होंने आज लखनऊ में एडीजे 9 की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।
महोबा के खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने 7 सितंबर 2020 को वीडियो वायरल कर पुलिस अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए थे। इंद्रकांत त्रिपाठी को 9 सितंबर 2020 को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगी थी और 14 सितंबर को कानपुर के अस्पताल में निधन हो गया था।
प्रदेश सरकार ने तत्कालीन आईजी वाराणसी विजय सिंह मीणा की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन कर जांच के लिए महोबा भेजा था। बार-बार बुलाए जाने के बाद भी पाटीदार एसआईटी के सामने पेश नहीं हुए थे। एसआईटी ने अपनी जांच में पाटीदार को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी माना था।
*मणिलाल पाटीदार थानों के ‘कारखास सिपाहियों के जरिए चलाते थे अवैध वसूली का गिरोह*
उत्तर प्रदेश के महोबा में एसपी रहे मणिलाल पाटीदार के खिलाफ आईजी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक,वह अपराधियों की तरह संगठित गिरोह चलाकर अवैध उगाही कर रहे थे। मुंहमांगा महीना न मिलने पर उन्होंने एक निजी फर्म की गिट्टी लदी गाड़ियां पकड़वा दी। जांच रिपोर्ट में एसपी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि भी हुई है।
मणिलाल पर पीपी पांडेय इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से भी महीने के दो लाख उगाही के आरोप लगे हैं। चित्रकूट रेंज के तत्कालीन आईजी के सत्यनारायण द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के प्रॉजेक्ट मैनेजर अमित तिवारी को सिपाही राजकुमार कश्यप ने 29 व 30 मई 2020 को एसपी से उनके आवास में मिलवाया। मुलाकात से पहले अमित का मोबाइल फोन जमा करवा लिया गया। एसपी मणिलाल ने अमित से पूछा कि उसकी कितनी गाड़ियां चल रही हैं। उसने 46 गाड़ियां बताईं तो कप्तान ने कहा कि तुम्हारी 86 गाड़ियां चल रही हैं। अगर गाड़ियां चलानी है तो हर माह दो लाख रुपये देने होंगे।
*20 मई से 27 जून 2020 के बीच हुई 37 बार बात*
आईजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसपी के करीबी सिपाही राजकुमार कश्यप और अमित ने 20 मई से 27 जून 2020 के बीच एक-दूसरे को 37 कॉल कीं। इनमें से 24 कॉल सिपाही की तरफ से की गईं। जांच में कॉल डिटेल, लोकेशन, अमित को एसपी आवास बुलाने, उसके फोन जमा करवाने व गाड़ियां चलाने के लिए एसपी द्वारा दो लाख रुपये महीना मांगने की भी पुष्टि हुई है।
*पैसे नहीं मिले तो दर्ज करवाए फर्जी मुकदमे*
जब अमित ने एसपी को पैसे नहीं दिए गए तो उसकी कंपनी के ट्रकों को फर्जी आरोपों में रोका और पकड़ा गया। कंपनी के लोगों को गिरफ्तार कर फर्जी मुकदमे लिखवाए गए।
*इन्द्रकांत त्रिपाठी हत्याकांड*
आठ सितंबर 2020। यह वो दिन था, जब दोपहर करीब दो बजे महोबा जिले के कबरई कस्बे से चार किमी दूर बघवा खुड़ा के पास सड़क किनारे कार में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी गोली लगने से लहूलुहान हालत मिले। इस घटना से मानो भूचाल आ गया। इंद्रकांत ने दो घंटे पहले करीब 12 बजे फेसबुक पर वीडियो वायरल कर अगले दिन नौ सितंबर को प्रेस कांफ्रेंस कर एसपी महोबा के भ्रष्टाचार के सुबूत पेश करने की बात कही थी। इससे पहले भी सात सितंबर 2020 को भी वह एक वीडियो वायरल कर तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर वसूली का दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए जान को खतरा बता चुके था।
कारोबारी ने कानपुर में 13 सितंबर को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। घटना को हुए पूरे दो साल बीत गया, लेकिन इंद्रकांत मौत प्रकरण के मुख्य आरोपित एक लाख रुपये के इनामी और भगोड़े आइपीएस पाटीदार को पकडऩा तो दूर, उसकी छाया तक नहीं पहुंच सकी। दो साल से उसकी तलाश में लगी प्रयागराज की दो विशेष टीमें, एसटीएफ, विजिलेंस और महोबा जिले की पुलिस को मिलाकर 25 टीमें पकड़ने में नाकामयाब रहीं । उन्होंने आज लखनऊ में एडीजे 9 की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।
क्रशर कारोबारी इंद्रकांत ने मणिलाल पाटीदार पर छह लाख रुपये हर माह रंगदारी मांगने के आरोप के साथ रकम न देने पर हत्या का अंदेशा जताया था। पुलिस के दबाव व कानूनी कार्रवाई की धमकियों से त्रस्त होकर मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भी भेजा था। कार्रवाई तब शुरू हुई, जब कारोबारी को गोली लगने के बाद मामला गर्माया। दिवंगत के भाई रविकांत त्रिपाठी ने पूर्व एसपी व थाना प्रभारी कबरई देवेंद्र शुक्ल सहित चार लोगों के खिलाफ कबरई थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। विशेष जांच दल (एसआइटी) की जांच के दौरान बाद में कारखास सिपाही अरुण यादव का नाम मामले में जोड़ा गया। हत्या का मामला आत्महत्या में परिवर्तित हो गया। कबरई के पूर्व एसएचओ देवेंद्र शुक्ला को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया दिया गया जबकि कारखास सिपाही अरुण कुमार यादव ने सरेंडर कर दिया था। इस समय प्रकरण में बर्खास्त एसओ शुक्ला,सिपाही अरुण यादव के साथ आरोपित सुरेश सोनी और ब्रह्मदत्त द्विवेदी लखनऊ जेल में हैं।
*इन्द्रकांत त्रिपाठी की मौत से पहले सोशल मीडिया में वायरल वीडियो* – https://youtu.be/ZQgevJNcNZA
इन्द्रकांत त्रिपाठी की मौत से पहले उनका और महोबा के पूर्व विधायक अरिमर्दन सिंह की बातचीत का ऑडियो इन्द्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद सोशल मीडिया में खूब हुआ था वायरल जिसमे मणिलाल पाटीदार के छह लाख मांगने का जिक्र किया था – https://youtu.be/ZslTF30oXcQ
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