मुरादाबाद14सितम्बर25*हिंदी दिवस पर कृषक पब्लिक इंटर कॉलेज कांठ में गूंजे प्रेरणादायी विचार
शिक्षकों के विस्तृत विचारों और बच्चों की उत्साहभरी भागीदारी ने समारोह को बनाया विशेष
कांठ। क्षेत्र का नामचीन संस्थान कृषक पब्लिक इंटर कॉलेज कांठ , में हिंदी दिवस धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में बच्चों ने जहां छोटे-छोटे विचार रखकर अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम जताया, वहीं शिक्षकों और प्रबंधन के विचारों ने समारोह को नई ऊँचाई दी , कक्षा (12 बी ) की राधिका ने कहा कि “हिंदी हमारी पहचान है”। निशा (12 बी) ने कहा कि “हिंदी हमारे संस्कारों की आत्मा है” । आँचल (11 बी) ने कहा कि “हिंदी दिवस हमें अपनी जड़ों की याद दिलाता है।” रोहित (12 बी) कहा कि “हिंदी हमारी एकता की डोर है।” दिव्यांशु (10 बी) ने कहा कि “हिंदी हमें गर्व दिलाती है।” संदीप (10 बी) ने कहा कि “हिंदी भारत की आवाज़ है।” याहिया (7 ए) ने कहा कि “हिंदी सबसे सरल भाषा है।” आकिफ़ा (6 ए) ने कहा कि, “हिंदी मातृभूमि की मिठास है।”
नमरा (7 ए) ने कहा कि, “हिंदी दिलों को जोड़ती है।”
कार्यक्रम में शिक्षकों और प्रबंधन ने भी अपने विचार रखे
कॉलेज चेयरमैन नूर मुहम्मद ने अपने संबोधन में कहा कि “हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि यह हमारी अस्मिता और अस्तित्व का प्रतीक है। यदि हमें आने वाली पीढ़ियों में भारतीयता की जड़ें मजबूत करनी हैं, तो हमें हिंदी के प्रयोग को जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ावा देना होगा।”
एम.डी. रविंद्र कुमार ने कहा, हिंदी हमारे राष्ट्र की आत्मा है। अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं का महत्व अपनी जगह है, लेकिन यदि हम अपनी मातृभाषा को भुला देंगे तो हमारी जड़ें कमजोर हो जाएंगी। हमें हिंदी को तकनीक, शिक्षा और व्यवसाय के हर क्षेत्र में आगे लाना होगा।”
प्रिंसिपल ए. चंद्रपाल सिंह ने कहा, “हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि आत्मसम्मान का सबसे बड़ा आधार अपनी भाषा होती है। हिंदी के बिना भारतीय संस्कृति अधूरी है। हमें गर्व होना चाहिए कि हिंदी विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक है।”
वॉइस प्रिंसिपल ए. निकिता राणा ने कहा, “हिंदी केवल बोलचाल का माध्यम नहीं, बल्कि सादगी, अपनापन और आत्मीयता का प्रतीक है। बच्चों को हिंदी का अभ्यास सिर्फ किताबों तक सीमित न रखकर व्यवहार में करना चाहिए।”
प्रिंसिपल बी. समरीन परवीन ने कहा, “हिंदी राष्ट्र की शक्ति है। यह भाषा सभी भारतीयों को जोड़ने का कार्य करती है। हमें गर्व है कि हिंदी दिवस हमें अपनी एकता और संस्कृति का बोध कराता है।”
वहीं वॉइस प्रिंसिपल बी. अफीफ़ा परवीन ने कहा, “हिंदी का प्रचार-प्रसार ही आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ी सौगात है। हमें बच्चों को यह सिखाना होगा कि हिंदी केवल विषय नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर है।”
समारोह के अंत में यह स्पष्ट संदेश मिला कि हिंदी दिवस केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान, संस्कृति और आत्मसम्मान का पर्व है। विद्यार्थियों की छोटी-छोटी पंक्तियाँ और शिक्षकों के दमदार विचारों ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।
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