मुम्बई11दिसम्बर*मंत्री चंद्रकांत पाटील के खिलाफ एट्रोसिटीज एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए।*
(डेमोक्रेटिक रिपाई के पैंथर डॉ. माकणीकर की मांग।)
मुंबई दि (संवावदाता)
कर्मवीर भाऊराव पाटिल, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और महात्मा फुले ने लोगों से भीख मांगकर शुरू किए स्कूल, येह अपमानकारक बयान है
राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल का. सार्वजनिक रूप से उनके बयान का विरोध किया जा रहा है और मंत्री चंद्रकांत पाटील के खिलाफ ऍट्रॉसिटी ऍक्ट के तहत कार्रवाई की मांग डॉ. राजन माकनीकर ने कि है।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रॅटिक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं बागी पत्रकार डॉ. माकणीकर ने कहा कि इतिहास का विडंबन बनाने की साजिश भाजपा सरकार कर रही है और बहुजन महापुरुषों का उपहास उड़ाने का सत्र चलाया है. के बात अत्यंत निंदनीय है।
उस समय महात्मा फुले महाराष्ट्र के सबसे बड़े ठेकेदार थे। टाटा की आय जहां 20 हजार रुपये थी, वहीं राष्ट्रपिता महात्मा फुले की आय 21 हजार रुपये थी। तमाम तरह की सुविधाओं के बावजूद उन्होंने बहुजन समाज के लड़के-लड़कियों को पढ़ाई के लिए येशोआराम छोड़ खुद को समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
कठिन दौर में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने मिलिंद कॉलेज से लेकर अपने खर्चे पर सिद्धार्थ कॉलेज की स्थापना की। ढेरों दान आने पर भी बाबासाहेब ने कोई सहायता स्वीकार नहीं की थी।
पैंथर डॉ. राजन माकणीकर ने आगे कहा कि मंत्री चंद्रकांत पाटिल की पिछली पीढ़ी जब दूसरे के घरो मे गाय-भैसे चराती थी उस दौरान महात्मा ज्योतिबा फुले और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की आय के बारे में मंत्री पाटील ने बात नहीं करनी चाहिए। क्यू की वोह बात उनकी औकात के बाहर है.
डॉ. माकणीकर ने भीख मांगकर गुजारा करने वालों को सलाह दी है कि वे अपनी औकात ना भुले. महाराष्ट्र से जल्दी माफी मांगे अगर नहीं मांगते हैं तो उन्हें मुंबई में पैर नहीं रखने दिया जाएगा.
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