June 18, 2025

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महोबा17जून25*बाइक सवार तीनों मृतकों की एक निकली अर्थी , गांव में मातम, गांव पहुंचे शव तो मची चीख पुकार

महोबा17जून25*बाइक सवार तीनों मृतकों की एक निकली अर्थी , गांव में मातम, गांव पहुंचे शव तो मची चीख पुकार

महोबा17जून25*बाइक सवार तीनों मृतकों की एक निकली अर्थी , गांव में मातम, गांव पहुंचे शव तो मची चीख पुकार
नहीं जले गांव में चूल्हे पसरा रहा सन्नाटा

फोटो,,,, ग्राम मुड़हारी में मृतकों की एक लगी अर्थी और उमडी ग्रामीणों की भीड़

अजय कुमार विश्वकर्मा महोबा यूपी आज तक

महोबा । जिले के श्री नगर ननोरा बेलाताल रोड पर सोमवार को इको गाड़ी और बाइक सवार एक गांव के सजातीय तीन लोगों की मौत के बाद मंगलवार को गांव में मातमी माहौल रहा। जैसे ही मृतकों के शव पहुंचे तो पीड़ित परिवार में चीत्कार मच गई। एक साथ तीनों की अर्थी लगा कर अंतिम संस्कार किया गया। शव यात्रा में इलाके के लोगों की बड़ी भीड़ पहुंची।
कोतवाली कुलपहाड़ा के अंतर्गत ग्राम मुढारी में दो चचेरे भाई भरतलाल कुशवाहा व अजय कुशवाहा अपने मुहल्ले के दोस्त संजू उर्फ़ संजीव कुशवाहा एक साथ बाइक पर सवार होकर बेलाताल श्रीनगर मार्ग के रास्ते ननोरा गांव अपने फूफा लक्ष्मीप्रसाद कुशवाहा से कुछ दिन पूर्व लिए रुपये वापिस देने जा रहे थे।
शादी समारोह पार्टियों में भोजन बनाने की मजदूरी करने वाले तीनों हलवाई का काम करते थे। जिसमें मुख्य रूप से भरतलाल मुख्य कारीगर था। अन्य दोनों सहयोग के तौर पर सादी विवाह एवं अन्य कार्यक्रमो में खाना बनवाने में हाथ बटवाते थे।उन्हें क्या पता की फूफा के यहाँ पहुंचने से पहले ही ठीक उसी वक्त मौत उनका पीछा कर रही होंगी। श्री नगर बेलाताल रोड पर चरखारी के बगरोन निवासी कृपाल कुशवाहा के पुत्र कुश की पत्नी कंचन की दूसरी विदाई कराने के लिए उदयभान पुत्र कृपाल परिवार रिश्तेदार के साथ इको गाड़ी से श्रीनगर के रास्ते ननवारा गांव जा रहे थे।उसी वक्त ननोरा के पास बाइक सवार तीन लोगों और चार पहिया वाहन इको गाड़ी की आमने – सामने जोरदार भिड़ंत हो गई थी। जिस घटना में 5लोगों की मौत हो गई थी। जिसमें मुढारी के तीन युवक दर्दनाक घटना में मौके पर ही तीनों की मौत हो गई।आमजन के दिलों को झकझोर देने वाली इस भीषण घटना से हर ग्राम मुडहारी ग्रामवासी की आंखे नम हो गई यहाँ तक की गांव की हर गली एवं रास्तो में सन्नाटा पसरा हुआ है। घटना के बाद से मृतको के गांव में चूल्हे नहीं जले । हर व्यक्ति बड़े -बूढ़े और बुजुर्ग की जुबा से यहीं बात सुनाई दें रही थी की ऐसा वाक्या और समय गांव में पहली बार देखा गया। गरीब रोजमर्रा से जूझने वाले परिजनों पर दर्द का पहाड़ टूट पड़ा है। एक साथ तीन – तीन चिताये जलाई गई है। संजू उर्फ़ संजीव अपने पिता राकेश का एकलौता वारिश था। जिसके घर का चिराग बुझ गया। संजू की तीन बहिने है।बड़ी बहिन पूजा जिसकी एक वर्ष पहले सादी हुई है। दूसरी तुलसा और तीसरी बहिन ख़ुशी अविवाहित है। पिता की आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब है। पिता राकेश भी बीमारी से परेशान रहते हैं ।वही मृतक भरतलाल की तीन संताने है।जिनमे दो बेटी मानसी 5 वर्ष व दानवी 4 वर्ष की है। लड़का रज्जू साढ़े तीन वर्ष का है।भरतलाल के तीनो बच्चों एवं पत्नी रामकली का रो रोकर बुरा हाल है। मृतक भरतलाल के पिता आशादीन हलवाई का काम एवं किसानी करते है। मृतक अजय तीन भाई है।अजय भाइयो में मझला है।अजय के पिता सुनील मजदूरी एवं खेतीपाती कर परिवार का भरण पोषण करते है।तीनों मृतकों की अंतिम यात्रा एक साथ निकाली गई और तीनो का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा में शामिल लोगो की लंबी लाइन थी। हजारों की तादाद में लोगों की भीड़ शव यात्रा में शामिल थी।

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