मध्यप्रदेश20मई25*सट्टा -जुंआ, शराब और मेडिकल नशे की आगोश में रीवा संभाग!
हर थाने के साथ साथ आबकारी विभाग की माहवारी तय, कैसे आएंगे अच्छे दिन..!
अमर रिपब्लिक सतना। नशा मुक्ति अभियान की सरेआम धज्जियां उड़ानें वालों की सूची में रीवा संभाग का नाम प्रमुखता से आता है। यहां पर हर तरह का नशा बेलगाम होकर गांव गांव की गलियों तक पहुंच गया है। मजेदार बात यह है कि यह कीर्तिमान कानून के रखवालों के खुले संरक्षण में स्थापित किया गया है। सट्टा – जुंआ, अवैध शराब और मेडिकल नशा रीवा संभाग के जड़ों तक समा गया है। यहां पर इतना बड़ा गिरोह सक्रिय रहता है कि नशा मुक्ति अभियान अपने आप मजाक समझ में आ जाता है। रीवा संभाग में आने वाले सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल और अनुपपुर जिले में मुख्यालय से लेकर तमाम गांवों तक सट्टा -जुंआ, अवैध शराब और मेडिकल नशे का कारोबार फैला हुआ है। बताया जाता है कि रीवा संभाग के सभी जिलों में संचालित होने वाले प्रत्येक थाना, जिले के आबकारी विभाग के खुले संरक्षण में ही नशे का अवैध कारोबार परवान चढ़ा है। संभाग के रीवा जिले को मेडिकल नशे का जनक कहा जाता है। विंध्य की इसी धरा से नशीली मेडिकल शीशी और गोलियों का कारोबार शुरू हुआ है। सतना, रीवा, मऊगंज, मैहर सीधी, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल और अनुपपुर के शहरी क्षेत्रों में ही जगह-जगह मेडिकल नशे का सामान बेंचने का धंधा डंके की चोंट पर किया जाता है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में संचालित होने वाले प्रत्येक पुलिस थाना को उनके थाना क्षेत्र में होने वाले अवैध कारोबार के एवज में भारी भरकम नजराना हर महीने चढ़ाया जाता है। यही वजह है कि थानों की पुलिस अवैध कारोबार पर कार्यवाही करने का एक तरफ दिखावा करती है तो वहीं दूसरी ओर स्वयं दो नंबरी काम को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तैयार रहती है। शराब माफियाओं द्वारा ही अवैध कारोबार को चलाया जाता है और यहां भी थानों की पुलिस हमेशा नतमस्तक नजर आती है। नशे के साथ साथ सट्टा -जुंआ का गोरखधंधा भी रीवा संभाग के सभी जिलों में बराबर फल फूल रहा है। सतना, रीवा सहित अन्य जिलों में दर्जनों सटोरियों का गिरोह सक्रियता से बराबर काम करता है। आबकारी विभाग को भी अवैध शराब कारोबार की पूरी जानकारी रहती है, इसके बाद भी कार्यवाही का केवल दिखावा किया जाता है। यहां पर शासन को अवैध शराब कारोबार से बड़े राजस्व की क्षति बराबर झेलनी पड़ रही है।
*पुलिस अधीक्षकों का निरंतर प्रयास फिर भी अनियंत्रित नशे का कारोबार जारी*
रीवा संभाग के आधा दर्जन से अधिक जिलों में पदस्थ सभी पुलिस अधीक्षकों को बखूबी यह पता है कि शराब के साथ साथ मेडिकल नशे का अनियंत्रित कारोबार बड़ी चुनौती है। सट्टा -जुंआ की बीमारी से भी जिम्मेदार परिचित हैं इसलिए बराबर हर बैठकों में थाना प्रभारियों को सट्टा -जुंआ, शराब और मेडिकल नशे के खिलाफ निरंतर कार्यवाही का निर्देश जारी करते हैं, इसके बाद भी शहर से लेकर गांवों तक फैल चुकी बीमारी का स्थाई समाधान करने की दिशा में ठोस कदम नजर नहीं आते हैं। मुखबिर तंत्र का विस्तार करते हुए थानों की पुलिस नशा के साथ साथ सट्टा -जुंआ के अवैध कारोबार पर सफलता के साथ सार्थक नकेल कस सकती है। लेकिन अफसोस सिपाही से लेकर साहब तक ऊपरी कमाई का वर्षों पुराना सिस्टम ही फालो करना चाहते हैं, इसलिए जड़ से दोनों बीमारी को समाप्त करने के लिए जिम्मेदारी के साथ प्रयास नहीं किया जाता है। आम आदमी भी यह अच्छी तरह जानता है कि जिस दिन रीवा संभाग के सभी थानों की पुलिस यह चाह लेगी की कोई नशा और सट्टे का कारोबार नहीं होगा तो किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं है कि वह विंध्य की धरा पर गलत काम कर सके। अब पुलिस को स्वयं यह तय करना है कि उसे शहरों और गांवों में किस तरह का माहौल चाहिए? पुलिस ने ऊपरी कमाई की हसरत पूरी करने के लिए अवैध कारोबार को सबसे बड़ा औजार बना रखा है। ऐसे में नशा मुक्ति अभियान हमेशा मजाक ही महसूस होगा..?
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