August 7, 2025

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मथुरा27अगस्त24*करोड़ों रूपय साजो सज्जा के नाम पर खर्च करने वाले प्रशान को गेट न0 3 पर बने गुम्बत का एक टूटा मटका नहीं आया नजर

मथुरा27अगस्त24*करोड़ों रूपय साजो सज्जा के नाम पर खर्च करने वाले प्रशान को गेट न0 3 पर बने गुम्बत का एक टूटा मटका नहीं आया नजर

मथुरा27अगस्त24*करोड़ों रूपय साजो सज्जा के नाम पर खर्च करने वाले प्रशान को गेट न0 3 पर बने गुम्बत का एक टूटा मटका नहीं आया नजर

गेट न0 1 की भव्य सजावट के मुकाबले जन्भूमि के अन्य गेटो पर सजाई एलई डी बल्बों की गिनती की झालर

मथुरा।श्री कृष्ण के 5251 वें जन्म दिवस पर नहीं दिखी पहली सी चमक सन् 2023 में आयी भक्तों की भीड़ के सामने इस बार सन् 2024 में कम संख्या में नजर आये दर्शनार्थी। देखा जा सकता है जन्माठमी पर गेट न0 1 की भव्य सजावट की गई तो वहीं जन्मस्थान के अन्य गेटों पर मात्र 10 या 11 से एक भी ज्यादा नही पायी जब की गेट न0 1 से 99 प्रशित श्रद्धालु गेट न0 3 से ऐंट्री करता है। जिसके उपर गुम्बत के टूटे मटके के साथ सूने रहे तीनो गुम्बत बाहर से आये कुछ श्रद्धालुओं ने आप बीती कुछ स्थितियों का वर्णन किया तो कुछ ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं में निकाला खोट

एमपी रीवा से मथुरा जन्मस्थान पहली वार परिवार संग आए है बृजेश मिश्रा कहते है कि जहां से सभी श्रद्धालु गुजर रहे है वहीं कुछ बुजुर्ग भी हैे और वहीं से मोटर साइकिल चार पहिया कार गुजर रहीं है अगर गाड़ी लोकल है तो उनसे कहीं कि वह कहीं साइड में वहनों को लगाए या किसी पार्किंग में करें अगर किसी बृद्ध को कोई चोट लगती है इसका जिम्मेदार पुरी कानून व्यवस्था होगी

करन रायग्राम जिला पीलीभीत के रहने वाले राजेन्द्र कुमार ने बताया की वह दुसरी वार मथुरा घुमने आये है और कहते है जब कृष्ण पैदा हुए थे तो उनकी बुआओं ने कान्हा के फलरूए पोतला कुंड में धोए थे और आज उसी पर शांती सी छायी है जब पहले आए थे तो रंग बिरंगी पानी की फब्बारों के साथ कान्हा की बांसुरी की मधुर धुन बजती थी और अब तो कुछ कमी सी लग रही है बिना बांसुरी धुन के

बिहार से आयी अरूणा देवी कहती है की में दुसरी बार आई और पहले जब अयी थी तो दर्शन भी नही हो पाऐ थे और अब बहुत आराम से दर्शन हो गए जब हम आते थे तो दूर से पता लग जाता थी की श्री कृष्ण की नगरी में पहुंच गए है और अब तो एहसास मंदिर में जाने से आता है और अब संख्या भी भक्तों की कम रही है इसलिए मन थोड़ा मायुस सा है

मथुरा की अर्चना कहती है की हमे जन्माष्ठमी का बहुत इंतजार रहता है और बात व्यवस्था की पुछ रहे है तो पहले भुतेश्वर चौराहे के त्रिशुल को ही देख लो इतना पैसा लगाया सजावटें करी पर एक त्रिशुल पर लगी पक्षियों की बीट किसी को नही दिखी पहले लाइटिंग त्रिशुल के उपर तक रहती थी और अब तो शायद पैसे की तंगी आने कारण कम से काम चला रहे है

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