October 27, 2025

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भोपाल2जुलाई24*मप्र में अब विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष भी स्वयं भरेंगे अपना आयकर, इनके लिए अलग से था नियम*

भोपाल2जुलाई24*मप्र में अब विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष भी स्वयं भरेंगे अपना आयकर, इनके लिए अलग से था नियम*

भोपाल2जुलाई24*मप्र में अब विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष भी स्वयं भरेंगे अपना आयकर, इनके लिए अलग से था नियम*

भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव और मंत्री द्वारा स्वयं का आयकर सरकारी खजाने से न भरने की व्यवस्था के बाद अब विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भी अपना आयकर स्वयं के खर्च पर भरेंगे। इसकी घोषणा सोमवार को सदन में विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है, मुख्यमंत्री और मंत्री अब अपना आयकर स्वयं के खर्च पर भरेंगे, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष के नाते मैं भी अपना आयकर स्वयं भरूंगा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, हम भी इसमें शामिल है।

प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री तथा मंत्री (वेतन और भत्ते) अधिनियम 1972 की धारा नौ ‘क’ में संशोधन करके वेतन और भत्ते पर सरकार द्वारा आयकर दिए जाने का प्रविधान समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में विधानसभा के मानसून सत्र में ही संशोधन विधेयक प्रस्तुत होगा, जिसके प्रारूप का अनुमोदन सोमवार को कैबिनेट द्वारा किया गया।

*विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के लिए अलग से था नियम*
इसमें विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष शामिल नहीं थे, क्योंकि इनके लिए अलग से अधिनियम है। ऐसे में, विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार के निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए कहा, मैं भी इसमें स्वयं का शामिल करता हूं। इससे विधानसभा पर उसका बोझ नहीं आएगा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भी इसमें शामिल हैं।

*यह था अध्यादेश*
प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का आयकर भी सरकार ही भरती है। यही नहीं, इनको मिलने वाली अन्य सुविधाएं, जैसे उनको दिए गए आवास के किराए को भी आयकर छूट के दायरे में रखा गया है। यह छूट इन्हें 1997 में अध्यादेश के माध्यम से दी गई थी और बाद में विधानसभा में विधेयक लाकर मध्य प्रदेश अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष (वेतन और भत्ते) अधिनियम 1972 की धारा 8 (क) में संशोधन करके इसे एक जनवरी 1994 की तिथि से लागू किया गया था। जब यह विधेयक विधानसभा में लाया गया था, तब भाजपा विपक्ष में थी, लेकिन किसी भी सदस्य ने इसका विरोध नहीं किया था।