भोपाल18मई2024*यूपीआजतक न्यूज चैनल पर मध्यप्रदेश से महत्वपूर्ण खबरें
[18/05, 8:41 am] +91 82185 65001: *दुष्कर्म की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए धमकाना भी आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा*
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में साफ किया कि दुष्कर्म की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देने का रवैया भी आत्महत्या दुष्प्रेरण की श्रेणी में आता है। इसी के साथ न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने महिला चिकित्सक व उसकी मां के विरुद्ध एफआइआर निरस्त करने से इनकार कर दिया।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि युवक पीएससी की तैयारी कर रहा था, अपराधिक प्रकरण में फंसने पर उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती। इसी वजह से अवसाद ग्रस्त होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने विवश हो गया। इस सिलसिले में आरोपित महिला चिकित्सक व उसकी मां के विरुद्ध आत्महत्या दुष्प्रेरण का प्रकरण चलाए जाने की समुचित सामग्री उपलब्ध है, इसलिए उनको फिलहाल राहत नहीं दी जा सकती।
दरअसल, बालाघाट निवासी डा. शिवानी निशाद तथा उसकी मां रानी बाई ने मंडला जिले के बम्हनी थाने में आत्महत्या दुष्प्रेरण की धारा के तहत दर्ज प्रकरण को निरस्त किए जाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि मृतक युवक की मां कालोनी में आतंक मचाती थी। मां और बेटे के विरुद्ध कालोनी में रहने वाले कई लोगों ने पुलिस में प्रकरण भी शिकायत दर्ज करायी थी।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि चंद्रशेखर उर्फ पवन आहूजा व उसकी मां का नाली में कचरा फैंकने के कारण विवाद था। पड़ोसियों ने युवक व उसकी मां के विरुद्ध बालाघाट के कोतवाली थाने में अपराधिक प्रकरण दर्ज करवाये थे। युवक मकान गिरवी रखकर पीएससी की तैयारी के लिए इंदौर चला गया था। मानसिक तनाव के कारण उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था।वह बालाघाट आया तो पड़ोस में रहने वाली आवेदक डा. शिवानी निशाद ने दुष्कर्म व छेड़छाड़ की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाने की धमकी दी थी। युवक अपने पिता के साथ अक्टूबर जिला मंडला स्थित बम्हनी बंजर चला गया था। इस दौरान पड़ोसियों से उसकी मां का विवाद हुआ था।
[18/05, 8:41 am] +91 82185 65001: *मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर दर्ज आठ हजार वन अपराध के प्रकरण समाप्त करेगी सरकार*
भोपाल। मध्य प्रदेश के आदिवासियों पर दर्ज करीब आठ हजार वन अपराध राज्य सरकार खत्म करेगी। इसके लिए वन मुख्यालय ने सभी डीएफओ को कार्ययोजना भेजी है। इसके लिए वन मुख्यालय ने सभी वन मंडलाधिकारियों (डीएफओ) को कार्ययोजना भेजी है।इस कार्य योजना के अनुसार आगामी तीन माह में वन अधिनियम 1927 एवं वन्य प्राणी (संरक्षण अधिनियम 1972) के अंतर्गत अनुसूचित जनजातीय वर्ग के व्यक्तियों के विरुद्ध विगत 10 वर्षों के पंजीबद्ध प्रकरणों के निराकरण के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है, जिन्हें समाप्त किया जाना है। वन मुख्यालय के अनुसार, वन विभाग एवं न्यायालय में लंबित कुल प्रकरणों की संख्या सात हजार 902 है।
अनुसूचित जनजातीय वर्ग के व्यक्तियों के विरूद्ध विगत 10 वर्षों के पंजीबद्ध प्रकरणों में से लंबित 3470 प्रकरणों के निराकरण के लिए कार्य आयोजना तैयार की गई है। 40 जिलों के वनमंडलों में 0 से 100 प्रकरण हैं जिनमें वन विभाग के पास 875 प्रकरण लंबित हैं जिन्हें एक माह में निराकृत किया जाना है।11 जिले बालाघाट, बैतूल, रायसेन, सतना, सागर, दमोह, सिवनी, उमरिया, अनूपपुर, शिवपुरी एवं गुना के वनमंडलों में 100 से 300 प्रकरण हैं जिनमें वन विभाग के पास 2085 प्रकरण लंबित हैं जिन्हें दो माह में निराकृत किया जाना है। एक जिले बुरहानपुर वनमंडल में 300 से अधिक प्रकरण हैं जिनमें से वन विभाग के पास 513 प्रकरण लंबित हैं जिन्हें तीन माह में निराकृत करना है। इस प्रकार वन विभाग के पास कुल 3470 प्रकरण लंबित हैं।
*10 वर्ष में 30 हजार से अधिक प्रकरण दर्ज, 22 हजार 717 किए निराकृत*
पिछले दस वर्षों में सभी जिलों के वनमंडलों में कुल 30 हजार 619 प्रकरण दर्ज हुए हैं। जिनमें से 22 हजार 717 प्रकरण निराकृत कर दिए गए हैं। वहीं लंबित प्रकरणों की संख्या सात हजार 902 है जिनमें से 3470 प्रकरण वन विभाग के पास लंबित हैं और चार हजार 432 प्रकरण न्यायालय में लंबित हैं। न्यायालय में लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के लिए सरकारी वकीलों के माध्यम से राज्य सरकार न्यायालय से अनुरोध कर रही है।
[18/05, 8:41 am] +91 82185 65001: *मध्य प्रदेश में चार जून के बाद ही स्वेच्छानुदान दे पाएंगे विधायक, नए हितग्राही भी अभी नहीं जुड़ेंगे*
भोपाल। भले ही मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो गया हो, मगर लाड़ली बहना, राशन के लिए पात्रता पर्ची समेत किसी भी योजना में नए हितग्राही अभी नहीं जुड़ सकेंगे। विधायक भी अभी न तो स्वेच्छानुदान राशि स्वीकृत कर पाएंगे और न ही क्षेत्र विकास निधि के काम ही स्वीकृत होंगे।इस संबंध में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सामान्य प्रशासन विभाग से स्थिति साफ करते हुए बताया है कि अभी चुनाव की आचार संहिता प्रभावी है, इसलिए इस अवधि में कोई भी नीतिगत कार्य बिना आयोग की अनुमति के नहीं किए जा सकते हैं।
मध्य प्रदेश में चार चरणों में सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो चुका है। इसके बाद विभिन्न योजनाओं में नए नाम जोड़ने और हटाने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने के संबंध में कुछ जिलों से मार्गदर्शन मांगा गया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से पूछा तो स्पष्ट किया गया कि आचार संहिता मतगणना की प्रक्रिया पूरी होते तक प्रभावी रहती है।
ऐसे में कोई भी नीतिगत कार्य बिना आयोग की अनुमति के नहीं किया जा सकता है। किसी भी हितग्राहीमूलक योजना में नए नाम अभी शामिल नहीं किए जाएंगे। विधायक भी स्वेच्छानुदान हो या फिर क्षेत्र विकास निधि से होने वाले कामों को स्वीकृति नहीं दे सकते हैं। निर्वाचन से जुड़े किसी भी अधिकारी-कर्मचारी का स्थानांतरण भी नहीं होगा।किसी भी अधिकारी की पदस्थापना करनी हो तो पहले आयोग को प्रस्ताव भेजकर अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं निर्वाचन से जुड़े किसी भी अधिकारी का अवकाश भी बिना अनुमति स्वीकृत नहीं किया जाएगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का कहना है कि मतदान के पहले जो स्थिति थी, वही आज भी है। विभागों को नीतिगत कोई भी काम करना है या नए हितग्राही जोड़ने है तो उसके पहले अनुमति लेनी होगी। मतगणना चार जून को होगी।
*प्रस्ताव भेजने से पहले औचित्य का परीक्षण कर लें*
सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से कहा है कि चुनाव आयोग से अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव भेजने से पहले उसके औचित्य का परीक्षण कर लें। इसमें यह अवश्य देखें कि चार जून के बाद आचार संहिता समाप्त हो जाएगी तब पहले अनुमति लेकर कार्य करना क्यों आवश्यक है। यदि अति आवश्यक न हो तो प्रस्ताव भेजने से बचना चाहिए।
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