June 22, 2025

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भागलपुर04.08.2024*कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवरतक”पर सम्मेलन शुरू।

भागलपुर04.08.2024*कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवरतक”पर सम्मेलन शुरू।

सबौर भागलपुर से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता यूपी आजतक

भागलपुर04.08.2024*कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवरतक”पर सम्मेलन शुरू।

*बीएयू में शुरू हुआ कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवर्तक विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन*

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवरतक” (Grassroots Innovation and innovaters in Transforming Agri-Food System) (GIITAS-2024) विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन का शुभारम्भ आज दिनांक 04.08.2024 को हुआ | विश्वविद्यालय के 15 वीं स्थापना दिवस के पूर्व दिवस से शुरू हुआ यह राष्ट्रीय सम्मलेन स्थापना दिवस 05 अगस्त तक चलेगा | राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, गुजरात के सहयोग से आयोजित इस सम्मलेन में राज्य भर से नवाचारी किसान हिस्सा ले रहे हैं | सम्मलेन का उद्देश्य कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करना है |
आज सम्मलेन के उद्घाटन समारोह में अतिथियों को अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया | अतिथियों में डॉ अरविन्द सी. रानाडे, निदेशक राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, डॉ वी. वी. सदामते योजना आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार और मुख्य समन्वयक कृषि एक्सटेंशन प्लेटफार्म एसए(टीएएएस), डॉ. यू.के. दुबे, उप रजिस्ट्रार, पीपीवी एवं एफआरए, नई दिल्ली के अलावा कौशल्या फौन्डेशन से श्री कौशलेन्द्र कुमार और सम्मानित किसान इत्यादि मौजूद रहे | सत्र की अध्यक्षता डॉ. डी.आर. सिंह, माननीय कुलपति, बीएयू, सबौर ने की। अतिरिक्त गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. आर.के. सोहने, संयोजक और प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू, सबौर; डॉ. ए.के. सिंह, अनुसंधान निदेशक, बीएयू, सबौर; डॉ. ए.के. साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर; और डॉ. ए.के. ठाकुर, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना शामिल थे।
माननीय कुलपति डॉ डी. आर. सिंह ने आज के दौर में कृषि क्षेत्र में नवाचार की नितांत आवश्यकता पर बल दिया | उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक नित्य नए पेटेंट हासिल कर रहे हैं लेकिन अब हमारे वैज्ञानिक किसानों द्वारा विकसित तकनीक को परिष्कृत करके पेटेंट दर्ज कराएँगे और पेटेंट के उपरांत प्राप्त रायल्टी को किसानों से साझा करेंगे | उन्होंने कहा कि किसान से बड़ा नवाचारी कोई अन्य क्षेत्र के लोग नहीं करते लेकिन किसानों को उनकी खोज को पहचान नहीं मिलती | अब विश्वविद्यालय अपने राज्य के किसानों के नवाचार को ऑफिसियल सोशल मीडिया प्लेटफोर्म से देश दुनिया में प्रचारित करेगा और किसान को उनका वाजिव पहचान दिलाएगा | माननीय कुलपति ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देने में नवप्रवर्तकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया कि किसानों के योगदान को एक पुस्तक के रूप में दर्ज किया गया है, जिसमें वैज्ञानिक मार्गदर्शन के तहत प्रौद्योगिकियों को और परिष्कृत किया जाना है। भविष्य में बेहतर प्रौद्योगिकियों को उद्योग के साथ साझा किया जाएगा, जिसमें रॉयल्टी किसानों और वैज्ञानिकों के बीच विभाजित होगी। उन्होंने प्रयोगशाला के एनएबीएल प्रमाणन का भी महत्व बताया, जो राज्य के लिए एक उपलब्धि है। उन्होंने विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री पर ध्यान आकर्षित करवाया, जिसे केंद्र सरकार से 3-स्टार रेटिंग मिली है। उन्होने अपने उद्बोधन में 54 राज्य उत्पादों के भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणीकरण के लिए चल रहे कार्य पर जोर दिया। उन्होंने प्रशाल मे उपस्थित आगंतुक नवाचारी किसानों को ख़रीफ़ मक्का और ख़रीफ़ प्याज की नई किस्मों और मूंगफली में अनुसंधान हस्तक्षेपों के बारे में सूचित किया, और किसानों से अपने विकास के लिए एक ज्ञान भागीदार के रूप में विश्वविद्यालय का साझेदार बनने का आग्रह किया। माननीय कुलपति ने अपने संबोधन में आगे कहा कि जल्द ही बीएयू सबौर आम की गुणवत्तायुक्त फलन को बढ़ावा देने के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन करेगा साथ ही आने वाले दिनों में एक्सपोर्टर सम्मलेन भी आयोजित करेगा | माननीय कुलपति ने आगंतुक किसानों से अहवान किया कि अपने बच्चों को कृषि शिक्षा की ओर अग्रसर करें | उन्होंने कहा कि मेडिकल सायंस के बाद कोई दूसरा बड़ा सायंस है तो वह एग्रीकल्चर सायंस ही है, अतः सिर्फ मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा की ओर भागने से बेहतर है कि कृषि को अपनाएं |
अपने स्वागत भाषण में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आर. के. सोहाने ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रसार के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों और कृषि में नवाचार को बढ़ावा देने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अब तक के प्रयासों से अवगत कराया | डॉ. सोहाने ने ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म सिंचाई, फूलों की खेती, औषधीय पौधों की खेती और वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन सहित विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित विभिन्न मूल्य वर्धित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कृषि और पशुधन क्षेत्रों में नवीन विस्तार मॉडल पर भी चर्चा की, जिन्हें अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया जा रहा है, और विश्वविद्यालय के आईसीटी नवाचारों पर अंतर्दृष्टि साझा की, जैसे कि 450,000 से अधिक बार देखा जाने वाला एक प्रमुख यूट्यूब चैनल है बी ए यू, सबौर ।
निदेशक राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ अरविन्द सी. रानाडे ने कृषि में नवाचार के अवसरों पर प्रकाश डाला और किसानों को अपने नवाचार को लेकर आगे आने का सुझाव दिया, उन्होंने कहा कि कृषि में नवाचार की अपर संभावनाएं हैं अतः किसान बंधू नित्य नए खोज करते रहें और कुछ भी नया करने में कामयाब हो जाते हैं तो हमें यानि राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (NIF) को बताएं, हम आपके खोज को उचाई तक ले जायेंगे और आपको पहचान भी दिलाएंगे | किसान हितों के प्रति समर्पण के लिए बीएयू, सबौर की सराहना की। उन्होंने किसानों के खेतों में प्रौद्योगिकी के दस्तावेजीकरण और सत्यापन और इसे उनके नाम पर पंजीकृत करने में एनआईएफ के प्रयासों पर चर्चा की।
आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार डॉ वी. वी. सदामते ने किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी के अभाव की समस्या की ओर इंगित किया और कहा कि नवाचार को बढ़ावा देना हो तो सरकार की योजनायें इसमें सहायक साबित हो सकती है | उन्होंने किसान को नवाचारी बनने के लिए ICT अपनाने का सुझाव दिया जिसे बीएयू सफलता पूर्वक लागु कर रहा है | डॉ सदामते ने नवाचार करने के लिए सामुदायिक भागीदारी बढाने का सुझाव भी दिया साथ ही युवाओं को कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्रियाकलापों की रूपरेखा प्रस्तुत की। हाल ही में नवीन अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 682.29 लाख रुपये आवंटित किये गये हैं। विश्वविद्यालय ने 41 नई फसल किस्मों और 14 नए पेटेंट जारी किए हैं, जो कृषि अनुसंधान के लिए नई दिशाएं प्रदान करते हैं। डॉ. ए.के. साह, अधिष्ठाता (कृषि) ने उपस्थित लोगों को ई-लाइब्रेरी और एआरआईएस सेल जैसी सुविधाओं के परिचालन के साथ-साथ स्नातक अध्ययन के लिए आठ और स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए चौदह स्मार्ट कक्षाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी दी। 11 पाठ्यक्रमों वाला ईएलपी मॉड्यूल सफलतापूर्वक चल रहा है। 80 से अधिक छात्रों ने नेट/जेआरएफ/एसआरएफ जैसी प्रमुख परीक्षाओं के लिए अर्हता प्राप्त की है, और 600 से अधिक छात्रों ने बिहार लोक सेवा आयोग, पटना द्वारा विज्ञापित कृषि सेवा भर्ती के लिए प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की है।
उद्घाटन सत्र के उपरांत चार तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें नवाचारी किसानों ने अपने अनुभव साझा किया साथ ही वैज्ञानिकों ने अपनी प्रस्तुतीकरण दी |
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आर.एन. सिंह, सह निदेशक, प्रसार शिक्षा, बीएयू, सबौर ने दिया। डॉ. सिंह ने राज्य के किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसानों और सभी गणमान्य व्यक्तियों व इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी वैज्ञानिकों, करमचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। *सम्मलेन मेँ शामिल हुए ये सभी राष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित नावाचारी किसान*सत्यदेव सिंह , दिलीप कुमार ,बन्दना कुमारी ,
मधु देवी ,अभिषेक कुमार ,वीणा देवी ,
विनीता कुमारी।

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