मैन ऑफ़ टाइम-अंतर्राष्ट्रीय सदभावना मंच द्वारा होली महोत्सव-2024
होली मिलन-कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह
भागलपुर बिहार से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता यूपी आजतक
“रंग-रूप-रस-राग हो, मन में आस उमंग।
जीवन में चलते रहें, राम नाम के संग।।”
— कवि संदीप कपूर वक़्तनाम
मैन ऑफ़ टाइम-अंतर्राष्ट्रीय सदभावना मंच के तत्वावधान में 133 वाॅं आयोजन होली महोत्सव-2024 के शुभ अवसर पर कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन 24 मार्च रविवार शाम 07 से 09 बजे तक अंतर्राष्ट्रीय पटल गूगल मीट पर किया गया। संस्थापक कवि संदीप कपूर वक़्तनाम की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार ऑल इंडिया रेडियो आकाशवाणी भागलपुर के कार्यक्रम अधिशासी श्री अतुल प्रियदर्शन, विशिष्ट अतिथि संस्कार न्यूज के प्रधान संपादक कवि विजय कुमार शर्मा एवं पूर्वांचल राज्य के ब्यूरो प्रमुख कवि निशिकांत राय, कार्यक्रम निर्देशक डॉ० कृष्णा सिंह, कला निर्देशक डॉ० तृप्ति कुमारी तान्या, संरक्षक रक्षा मंत्रालय भारत सरकार के सेवा निवृत्त वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी कवि ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, अध्यापक ब्रजेश कु० प्रसाद गौरव एवं अधिवक्त़ा अविनाश कु० पाण्डेय ने होली महोत्सव के शुभ अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दिया। संस्थापक कवि संदीप कपूर वक़्तनाम ने कहा कि सत्य और धर्म की विजय के साथ हर्ष-उल्लास, प्रेम और आनंद का पवित्र पर्व होली हमें अध्यात्म-मानव धर्म और विश्व़ कल्याण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का संदेश देता है।
आयोजन में सामाजिक-सांस्कृतिक- आध्यात्मिक-साहित्यिक और पत्रकारिता जगत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों को प्रशस्ति-पत्र/सम्मान-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सम्मान पाने वालों में “पत्रकार श्री” कवि विजय कुमार शर्मा, कवि आशीष पाण्डेय, श्री निशिकांत राय, श्री कमलेश दुबे विद्रोही, श्री हेमंत शर्मा, श्री शैलेन्द्र कुमार गुप्ता, श्रीकांत यादव और श्री राज किशोर साह हैं। “काव्य श्री” डॉ० तृप्ति कुमारी तान्या, डॉ० कृष्णा सिंह, कवि ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, डॉ० सुनील कुमार उपाध्याय एवं डॉ० राज कुमार अरोड़ा हैं। “समाज श्री” अधिवक्त़ा कवि अविनाश कु० पाण्डेय एवं श्री कैलाश ठाकुर हैं।
“नवांकुर कवि” श्रेयस सुयश तथा “नवांकुर कवयित्री” ब्राह्मी कपूर और विश्व़ांगी कपूर हैं।
इस अवसर पर शानदार कवि सम्मेलन में कविता-गीत और ग़ज़ल का दौर शुरू हुआ। कवि विजय कुमार शर्मा ने होली पर अलग-अलग रंग, व्यंग्य, विरह आदि रस पर दोहे प्रस्तुत किए।
“जो सबको देखे समझे उसे वक़्त कहते हैं।
जो वक़्त को न समझे उसे कमबख्त कहते हैं।।” सुनाकर कवि संदीप कपूर वक़्तनाम ने सबों को हास्य व्यंग से सराबोर कर दिया। डॉ० सुनील कुमार उपाध्याय- “आईं आईं ए गणेश जी पधारीं अंगना रऊआ आईं ना अकेले वाणीं लाईं संग ना।”
डॉ० कृष्णा सिंह – इस होली पर न जाने क्यों आंखें मेरी भर भर आई, डॉ० तृप्ति कुमारी तान्या- आ गई होली सखे आओ खेलें होली सखे, कवि ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान- अबीरो- रंग गुलालों से सजा बाज़ार होली में, कवि राज कुमार अरोड़ा – जिंदगी के हर मोड़ पर मैं जिंदगी से मिलता रहा, कवयित्री ब्राह्मी कपूर – रंगीन समां हसीन नजारा रंग लगाना फ़र्ज़ हमारा, कवि श्रेयश सुयश- अरे मेरे देश के वीर जवानों, कवयित्री विश्व़ांगी कपूर- होली प्रेम का उत्सव है हम प्रेम से इसे मनाते हैं… सुनाकर सबों को मुग्ध कर दिया। कवयित्री नीलिमा नीलम भोजले एवं सुनील कु० आर्य की रचना प्रशंसनीय रही। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम निर्देशक डॉ० कृष्णा सिंह ने किया।
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