November 21, 2024

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बिजनौर22अक्टूबर24*ज़िला कॉंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने ज़िलाधिकारी को दिया ज्ञापन।

बिजनौर22अक्टूबर24*ज़िला कॉंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने ज़िलाधिकारी को दिया ज्ञापन।

बिजनौर22अक्टूबर24*ज़िला कॉंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने ज़िलाधिकारी को दिया ज्ञापन।

बिजनौर से फ़हीम अख्तर की खास रिपोर्ट यूपीआजतक

बिजनौर। ज़िला कॉंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट के जज के फ़ैसले के विरोध में ज़िलाधिकारी बिजनौर द्वारा मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन दिया गया।
कर्नाटक में 24 सितंबर 2023 को हिंदुत्ववादी संगठन के लोगों ने मस्जिद में ज़बरदस्ती घुसकर जय श्री राम के नारे लगाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा किया था।
13 सितंबर 2024 को कर्नाटक हाई कोर्ट के जज एम नाग प्रसन्ना ने कीरथन कुमार व अन्य अराजक तत्वों को निर्दोष बता कर बरी कर दिया । यह फैसला आरएसएस से जुड़े अराजक तत्वों को मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों में घुसकर आतंक फैलाने के लिए प्रेरित करेगा।
इससे पहले भी देश ने देखा था कि मुसलमानों को गोली मारने का नारा लगाने वाले पूर्व केंद्रीय मन्त्री अनुराग ठाकुर को दिल्ली हाईकोर्ट के जज चंद्रधारी सिंह ने बरी करते हुए कहा था कि मुस्कुरा कर लगाया गया यह नारा धमकी की श्रेणि में नहीं आता है।ऐसे फैसलों से मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा करने वालों का मनोबल बढ़ा जिससे मुसलमानों के ऊपर हमले भी बढ़े।
अब कर्नाटक हाई कोर्ट के जज का यह कहना कि इस कृत्य से पब्लिक ऑर्डर पर कोई असर नहीं पड़ता या इससे शांति व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ता इसलिए ये सेक्शन 295 ए के तहत अपराध की श्रेणी में नही आता है और इसलिए इस मामले में कोई भी कार्यवाई क़ानून का दुरूपयोग ,न्याय की विफलता और क़ानून का मज़ाक बनाना होगा।
दंगाइयों के वकील की इस दलील को कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया जाना कि मस्जिद एक सार्वजनिक स्थल है इसलिए वहाँ घुसने को अतिक्रमण नहीं कहा जा सकता, प्रथम दृष्टया ही गलत है. ऐसे फैसले के बाद तो कोई भी दंगाई किसी भी मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थलों में घुसकर गुंडागर्दी कर सकता है।
हाल में ही बहराइच (उत्तर प्रदेश) की घटना जज प्रसन्ना के फैसले से प्ररित होकर की गई प्रतीत होती है।
न्यायालय – मामलों की सुनवाई और निर्धारण के लिए विधिवत गठित न्यायिक न्यायाधिकरण है न कि धार्मिक स्थल या संस्था तथा न्यायाधीश किसी धार्मिक पद पर नही ,बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था है जिसका कोई अधिकृत धर्म नही है एवं उसका कर्तव्य है कि वह निष्पक्ष होकर निर्णय करे।
हम ज्ञापन के माध्यम से आपको पुनः अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी याद दिलाकर आग्रह करते हैं कि न्यायालय/न्यायाधीश अपने फैसलों में विधिक भाषा व मर्यादापूर्वक कार्यवाही सुनिश्चित करें ताकि न्यायपालिका की निष्पक्षता में लोगों का भरोसा क़ायम रह सके।
इस दौरान साथ मे ज़िला अध्यक्ष कॉंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग वसीम अकरम, अल्पसंख्यक प्रदेश उपाध्यक्ष हुमांयू बेग जी, जिला उपाध्यक्ष जियाउर रहमान, जिला उपाध्यक्ष जमशेद एडवोकेट, जिला उपाध्यक्ष महफूज अहमद, जिला उपाध्यक्ष शाहिद मंसूरी, जिला उपाध्यक्ष डॉ नदीम खान, मौ.तारिक समी एडवोकेट, खुर्रम अली साहब, नौशाद मलिक, शामशाद अली, मौ. हिफजांन,माजिद अहमद, गुलाम हैदर, नौशाद अंसारी, नगर अध्यक्ष शाहबाज कुरैशी, नगर अध्यक्ष अकील सैफी, वसीम कस्सार, आमिर कस्सार, शाहबाज़ अन्सारी, नदीम मलिक, मोहम्मद अजमल, मुख्तार अंसारी, आमिर अंसारी, अशरफ मलिक, इमरान मलिक, कादिर अहमद, कॉंग्रेस अल्पसंख्यक कार्यकर्ता आदि मौजूद रहें।

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