बाँदा22अक्टूबर25*28,29 जुलाई को विधानसभा जाने से रोकी गईं जदयू उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल — बोलीं, “मेरी रुकावट ही मेरे संकल्प की ताक़त बन गई”
“मुझे रोकने वाले भूल गए — मैं जनता की बेटी हूं, और जनता की आवाज़ कभी थमती नहीं।” शालिनी सिंह पटेल
बाँदा से सुनैना निषाद की रिपोर्ट यूपीआजतक
बांदा / जनता दल (यूनाइटेड) की प्रदेश उपाध्यक्ष व बुंदेलखंड प्रभारी शालिनी सिंह पटेल ने 28–29 जुलाई की रात हुई कार्रवाई को लोकतंत्र की आवाज़ दबाने की कोशिश बताया है। उन्होंने कहा कि जब वह बांदा से लखनऊ विधानसभा के लिए बस में जनता के साथ रवाना होने की तैयारी में थीं, तभी “स्थानीय रंगबाज़ विधायक और कुछ वर्दीधारी अधिकारियों की मिलीभगत से” प्रशासन ने उन्हें रोक लिया। अगली सुबह उन पर कथित तौर पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
शालिनी ने कहा, “एक महिला नेता की शांतिपूर्ण यात्रा को रोकना इस बात का सबूत है कि रंगबाज़ नेता और अधिकारी जनता की एकजुटता से डरते हैं। मुझे रोका गया, लेकिन मेरे इरादे नहीं रुकेंगे। मैं लोकतंत्र की बेटी हूं — और लोकतंत्र में जनता की आवाज़ को न हथकड़ी लगाई जा सकती है, न रोका जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन किसी व्यक्ति या दल के खिलाफ नहीं, बल्कि अन्याय और अत्याचार की व्यवस्था के खिलाफ है। “जिस बस को तुमने रोका, उसमें जनता का विश्वास बैठा था। अब वही जनता मेरा हौसला बन गई है। अगली बार मैं अकेली नहीं निकलूंगी — पूरे प्रदेश की बेटियां, महिलाएं और नौजवान मेरे साथ होंगे। 20 नहीं, 200 बसों में जनता लेकर लखनऊ पहुँचूंगी और तब देखा जाएगा कि सच्चाई को कौन रोक पाता है।”
शालिनी ने कहा, “जिले के कुछ रंगबाज़ विधायक और वर्दी के पीछे छिपे अधिकारी सोचते हैं कि डर और दमन से वे आवाज़ दबा लेंगे। लेकिन यह भ्रम है। जिस दिन जनता खड़ी होगी, उसी दिन सच्चाई का फैसला होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें डराने या रोकने की नीति काम नहीं करेगी। “मैंने संघर्ष की राह चुनी है, सजा की नहीं। फर्जी मुकदमे और गिरफ्तारी यह साबित करते हैं कि सच बोलने वालों से व्यवस्था आज भी डरती है। लेकिन मैं हर बार अदालत, विधानसभा और जनता के बीच जाकर सच को सामने रखूंगी।”
पटेल ने 19 जनवरी 2023 को बांदा से लखनऊ इको गार्डन तक हुए ऐतिहासिक धरने का ज़िक्र करते हुए कहा कि तब भी प्रशासन ने रोकने की कोशिश की थी, लेकिन जनसैलाब को कोई दीवार नहीं रोक पाई थी। “वह धरना इस बात का प्रतीक था कि जनता के हक़ की आवाज़ जब उठती है तो उसे खामोश नहीं किया जा सकता। अब वही इतिहास दोहराऊंगी — पर इस बार और बड़े स्तर पर।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनका संघर्ष शांतिपूर्ण, संवैधानिक और जनहित आधारित रहेगा। “मैं हर मंच पर सच्चाई रखूंगी — चाहे वह अदालत का हो या विधानसभा का। जो मुझे रोक रहे हैं, वे यह भूल गए हैं कि जनता का विश्वास सबसे बड़ा आदेश होता है।”

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