June 22, 2025

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बहराइच29सितम्बर*यूपीआजतक न्यूज़ से खास खबरे

बहराइच29सितम्बर*यूपीआजतक न्यूज़ से खास खबरे

[29/09, 5:13 PM] +91 91619 16128: सुल्तानपुर-

सपा विधायक अबरार अहमद के अमर्यादित बयान वाला वीडियो वायरल होने के बाद अब ऑडियो बम हुआ वायरल,

एक शख्स से बातचीत में अबरार अहमद ने मीडिया वालों को कहा अपशब्द,

ठाकुर-ब्राह्मणों के बाद अब मीडिया को लेकर सपा विधायक अबरार अहमद ने दिया विवादित बयान,

वायरल आडियों में विधायक अबरार अहमद का दिखा यूटर्न-बोले मजाक में कह दिया ठाकुर ब्राह्मणों के लिए ,

मीडिया वाले कर रहे कमीना पन,

वायरल आडियो में विधायक से बात करने वाला शख्स उनकी विधानसभा का निवासी,

सुल्तानपुर से इसौली के सपा विधायक है अबरार अहमद।?
[29/09, 5:13 PM] +91 91619 16128: Lucknow breaking
नौजवान मनीष बहुत मन से सीएम योगी जी के गोरखपुर को देखने और धूमने आया था ! उसे पता नहीं था कि शराब के नशे में धुत्त पुलिस वालों होटल में इतना पीटेंगे कि उसकी जान ही चली जायेगी ! किसी सीएम के अपने जनपद में क़ानून व्यवस्था का यह हाल हो तो यूपी का तो खुद ही सोचा जा सकता है !
[29/09, 5:13 PM] +91 91619 16128: लखनऊ

कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं पर टाइम्स आफ़ इंडिया के ऑफिस में की तोड़ फोड़ करने का आरोप

मौके ADCP राजेश श्रीवास्तव पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर मौजूद

कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे बाजी करते हुए ऑफिस से निकले बाहर पुलिस ने कराया शांत

पुलिस जांच जुटी हुई है
हजरतगंज थाना क्षेत्र का मामला
[29/09, 6:29 PM] Mirja Server Husain Sultanpur: *सपा विधायक अबरार अहमद पड़े अलग-थलग पार्टी ने किया किनारा*

*राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष ले जाया जाएगा मामला, अनुशासनात्मक कार्यवाही की की जाएगी सिफारिश:शफदर रजा़*

*सुलतानपुर* सपा विधायक अबरार अहमद के द्वारा क्षत्रिय व ब्रह्ममण के लिए की गई अशोभनीय टिप्पणी से सपा के कद्दावर नेताओं ने भी अबरार अहमद के बयान को गलत करार देते हुए कहाकि समाजवादी पार्टी डाॅ. राम मनोहर लोहिया और पं. जनेश्वर मिश्र की विचारधारा वाली पार्टी है, सभी जातियों और सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। सोशल मीडिया पर सपा विधायक अबरार अहमद के आडियो और विडियो पर अभद्र टिप्पणी को लेकर पूर्व विधायक शफदर रजा़ ने सख्त लहजे में कहा की ये बयान अबरार अहमद के निजी बयान हो सकते हैं, इससे समाजवादी पार्टी का कोई लेना-देना नही, बल्कि विधायक अबरार अहमद के द्वारा दिए गए कुछ सभ्य समुदाय व जातियों पर बयान की मैं निंदा करता हूँ, साथ ही इस प्रकरण को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक प्रस्तुत किया जाएगा, और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश की जाएगी। पूर्व विधायक ने कहाकि सपा सभी का प्रतिनिधित्व करती है, उन्होने कहाकि समाजिक जीवन में रह रहे किसी भी व्यक्ति को इस तरह के असंसदीय व अभद्र भाषा का प्रयोग करना उचित नहीं है। समाजवादी पार्टी देश व प्रदेश के हर वर्ग हर समुदाय वर्ग एवं जाति का सम्मान करने में विश्वास रखती है।
[29/09, 7:07 PM] +91 94508 91258: भारत के सबसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद भगत सिंह ने अपने लेखों में कई तरह से पूंजीपतियों को अपना शत्रु बताया है। उन्होंने लिखा कि किसान-मजदूरों का शोषण करने वाला चाहें एक भारतीय ही क्यों न हो, वह उनका शत्रु है और आज भारत देश की वर्तमान स्तिथि भी कुछ ऐसी ही है।आज भी पूँजीपतियों का रुख़ देश के किसानों-मज़दूरों की ज़मीन की तरफ़ है।

उस समय अंग्रेज सरकार दिल्ली की असेम्बली में ‘पब्लिक सेफ़्टी बिल’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ पास करवाने जा रही थी।ये दो बिल ऐसे थे जो भारतीयों पर अंग्रेजों का दबाव और भी बढ़ा देते।फ़ायदा सिर्फ़ अंग्रेजों को ही होना था इससे क्रांति की आवाज़ को दबाना भी काफ़ी हद तक मुमकिन हो जाता।अंग्रेज सरकार इन दो बिलों को पास करवाने की जी-तोड़ कोशिश कर रही थी।वो इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहते थे।
उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए भगत सिंह ने असेम्बली में बम फेंकने का बीड़ा उठाया। इस बम विस्फ़ोट का उद्देश्य किसी को भी चोट पहुंचाना नहीं था, भगत सिंह ने तो जान बूझकर उस जगह बम फेंका जहां सबसे कम लोग मौजूद थे।विस्फ़ोट से कोई भी मारा नहीं, बम फोड़ने के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त वहां से भागे नहीं बल्कि खुद को गिरफ़्तार करवाया।उनका प्लान ही ये था कि बम फेंकने और गिरफ्तार होने के बीच उन्होंने वहां पर्चे बांटे,पर्चे पर लिखा था – “बहरों को सुनाने के लिए बहुत ऊंचे शब्द की आवश्यकता होती है।”

आज शहीद भगत सिंह की जयंती है। 28 सितंबर, 1907 को अविभाजित भारत में लायलपुर जिले के बंगा में भगत सिंह का जन्म हुआ था।“शहीद भगत सिंह साहसी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिंतक थे। अपनी जिंदगी के बारे में परवाह किये बगैर भगत सिंह ने ऐसे पराक्रमिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में सबसे बड़ा योगदान रहा।

सरदार भगत सिंह का नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप में लिया जाता है। उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलाँ है जो पंजाब, भारत में है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह सन्धू और माता का नाम श्रीमती विद्यावती जी था।
शहीद भगत सिंह हिंदुस्तान देश की महान ताकत है जिन्होंने हमें अपने देश पर मर मिटने की ताकत दी है और देश प्रेम क्या है ये बताया है।

भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह और श्‍वान सिंह भारत की आजादी में अपना सहयोग दे रहे थे। ये दोनों करतार सिंह सराभा द्वारा संचालित गदर पाटी के सदस्‍य थे। भगत जी के चाचा जी के नाम 22 केस दर्ज थे। जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन उनके पिता सरदार किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह की जेल से रिहाई हुई थी। इस पर उनकी दादी जय कौर के मुँह से निकला ‘ए मुंडा ते बड़ा भागाँवाला ए’ (यह लड़का तो बड़ा सौभाग्‍यशाली है)।
भगत सिंह पर इन दोनों का गहरा प्रभाव पड़ा था। इसलिए ये बचपन से ही अंग्रेजों से घृणा करने लगे थे।

सरदार भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी किसानों के हित के लिए ब्रिटिश हुकूमत से लड़ने में गुजार दी,40 साल का हुआ था देश निकाला।उन्होंने ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ आंदोलन चलाया था।

भगत सिंह के चाचा अजीतसिंह के बारे में बाल गंगाधर तिलक ने कहा था ये स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने योग्य हैं । भगत सिंह करतार सिंह सराभा को अपना गुरु मानते थे।
16 नवंबर 1915 को करतार सिंह सराभा को मात्र 19 वर्ष की आयु में फाँसी हुई थी। पर करतार सिंह सराभा की इस क्रांति को शहीद-ऐ-आज़म भगत सिंह ने जीवित रखा।वे करतार सिंह सराभा की तस्वीर हमेशा अपनी जेब में रखते थे।

भगत सिंह पहले महात्‍मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन और भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्‍य थे। 1921 में जब चौरा-चौरा हत्‍याकांड के बाद गांधीजी ने किसानों का साथ नहीं दिया तो भगत सिंह पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। उसके बाद गदर दल का हिस्‍सा बन गए।

भगत सिंह क्रांतिकारी देशभक्त ही नहीं बल्कि एक अध्ययनशीरल विचारक, कलम के धनी, दार्शनिक, चिंतक, लेखक, पत्रकार और महान मनुष्य थे। उन्होंने 23 वर्ष की छोटी-सी आयु में फ्रांस, आयरलैंड और रूस की क्रांति का विषद अध्ययन किया था।

1 साल और 350 दिनों में जेल में रहने के बावजूद, भगत सिंह का वजन बढ़ गया था।उन्हें खुशी इस बात की कि अपने देश के लिए कुर्बान होने जा रहे थे,लेकिन जब इन्हें फांसी देना तय किया गया था, जेल के सारे कैदी रो रहे थे।इसी दिन भगत सिंह के साथ ही राजगुरु और सुखदेव की फांसी भी तय थी,पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे थे,लाहौर में भारी भीड़ इकठ्ठा होने लगी थी।अंग्रेजों को इस बात का अंदेशा हो गया कि कहीं कुछ बवाल न हो जाए,इस कारण उन्हें तय दिन से एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया।

#इंक़लाब जिंदाबाद ??

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