पूर्णिया01फरवरी25*फाइलेरिया के लिए प्रखंड और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को किया गया प्रशिक्षित
मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।
पूर्णिया बिहार। जिले में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की समय से पहचान करते हुए उन्हें फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को सुरक्षित रखने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड के स्वास्थ्य अधिकारियों और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को फाइलेरिया मरीजों की समय पर पहचान करते हुए फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए मरीजों को एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराते हुए मरीजों को एमएमडीपी किट्स उपयोग करने की जानकारी साझा करने का प्रशिक्षण दिया गया। सभी को सम्बोधित करते हुए प्रभारी सिविल सर्जन डॉ कृष्ण मोहन दास ने कहा कि मादा क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के बाद सामान्य व्यक्ति को काटने पर संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया से ग्रसित हो जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित होने की जानकारी 5-10 साल बाद प्रभावित अंगों में लगातार सुजन होने से पता चलता है। फाइलेरिया ग्रसित होने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है। इससे सुरक्षित रहने के लिए सामान्य लोगों को साल में एक बार फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले दवाई का उपयोग करते हुए फाइलेरिया से सुरक्षित रहना चाहिए। फाइलेरिया ग्रसित हो जाने पर ग्रसित मरीजों द्वारा नजदीकी अस्पताल से जांच करवाते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए जाने वाले दवाई और एमएमडीपी किट्स का उपयोग करना चाहिए। नियमित एमएमडीपी किट्स का उपयोग करने से ग्रसित मरीज फाइलेरिया ग्रसित अंगों में होने वाले सूजन को नियंत्रित रखते हुए सामान्य जीवनयापन सुलभता से कर सकते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समुदाय स्तर पर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की समय पर पहचान करते हुए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं लाभ उठाने के लिए जागरूक करना चाहिए जिससे कि फाइलेरिया ग्रसित होने पर संबंधित मरीज शुरुआती स्टेज से चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठाते हुए फाइलेरिया ग्रसित अंगों को विकराल होने से सुरक्षित रख सकें। फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहले दिन प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों, बीसीएम, भीबीडीएस और भीडीसीओ को और दूसरे दिन सभी प्रखंड में कार्यरत समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के बाद सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र जारी किया गया। इस दौरान प्रभारी सिविल सर्जन डॉ कृष्ण मोहन दास के साथ जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मण्डल, भीडीसीओ रवि नंदन सिंह, डीभीबीडी सोनिया मंडल, भेक्टर जनित रोग नियंत्रण ऑफिस क्लर्क रामकृष्ण परमहंस, पूर्णिया पूर्व प्रखंड के प्रभारी चिकित्सिका पदाधिकारी डॉ शरद कुमार, डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार, पिरामल स्वास्थ्य जिला लीड चंदन कुमार, प्रोग्राम लीड अवधेश कुमार सहित सभी प्रखंड के स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।
ग्रसित अंगों की नियमित सफाई और आवश्यक एक्सरसाइज करने से स्टेज-2 तक नियंत्रित रख सकते फाइलेरिया : डॉ आर पी मंडल।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मण्डल ने बताया कि सामान्य व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित होने की जानकारी 5 साल बाद पता चलता है जब उनके शरीर के हाथ, पैर, महिलाओं के स्तन और पुरुषों के हाइड्रोसील में लगातार सूजन होने लगता है। पुरुषों के हाइड्रोसील फाइलेरिया ग्रसित होने पर ऑपरेशन सुविधा द्वारा इसका उपचार कराया जा सकता है। इसके अलावा शरीर के किसी अन्य अंग फाइलेरिया ग्रसित होने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो सकता। मरीजों द्वारा ग्रसित अंगों की नियमित साफ सफाई और आवश्यक एक्सरसाइज करने के ग्रसित अंगों में होने वाले सूजन को नियंत्रित रखा जा सकता है। फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित नहीं रखने पर सूजन लगातार बढ़ने लगता है जिससे कि मरीजों को हाथ-पैर के सामान्य उपयोग करने में समस्या होने लगती है। ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों को एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराई जाती है। एमएमडीपी किट्स के उपयोग से ग्रसित मरीजों द्वारा प्रभावित फाइलेरिया ग्रसित अंगों की नियमित साफ सफाई और एक्सरसाइज करते हुए होने वाले सूजन को विकराल रूप धारण करने से रोका जा सकता है। नियमित साफ सफाई और एक्सरसाइज करने से संक्रमित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित अंग को स्टेज 1 या स्टेज 2 तक नियंत्रण रख सकते हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा संबंधित क्षेत्र में ऐसे फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि उनके क्षेत्र के फाइलेरिया ग्रसित मरीज स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाते हुए अपना सामान्य जीवनयापन आसानी से कर सकें।
फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी स्पेशल चप्पल :
डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों द्वारा ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध एमएमडीपी किट्स सुविधा का लाभ उठाना सुनिश्चित करना चाहिए। ग्रसित अंगों की नियमित साफ सफाई नहीं करने से संबंधित मरीजों को एक्यूट अटैक हो जाता है जिसके बाद फाइलेरिया ग्रसित अंगों के सूजन में और इजाफा होने लगता है। ग्रसित अंगों में होने वाले सूजन को नियंत्रित रखने के लिए मरीजों द्वारा नियमित रूप से एमएमडीपी किट्स के सहयोग से आवश्यक साफ सफाई और एक्सरसाइज करना चाहिए। फाइलेरिया ग्रसित अंगों में साफ सफाई के लिए मरीजों द्वारा गर्म पानी उपयोग नहीं करना चाहिए। सूजन वाले अंगों को ब्रश का उपयोग के साथ रगड़ना नहीं चाहिए। सामान्य पानी द्वारा ग्रसित अंगों की साफ सफाई करते हुए आवश्यक दवा का उपयोग कर ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखा जा सकता है। पैर में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को खाली पैर चलने से सूजन में और इजाफा हो जाता है। सूजन में इजाफा होने पर ग्रसित मरीजों द्वारा ब्लेड से ग्रसित अंगों को काटना, चमडा को खींचकर निकालना या कोई अतिरिक्त समान जैसे गोबर आदि का उपयोग कर ग्रसित अंगों को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इससे ग्रसित अंगों में और सूजन और घाव होने लगता है। पैर में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को सुरक्षित रखने के लिए मरीजों को विशेष चप्पल सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसका उपयोग करने से मरीजों को ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने में आवश्यक सहयोग उपलब्ध हो सकेगा और मरीज ग्रसित अंगों को नियंत्रित रख सकेंगे।
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