May 1, 2025

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पूर्णिया बिहार30मार्च25* ईद का उत्सव: पूर्णियां में हर्षोल्लास और भाईचारा: तौसीफ रज़ा अजहरी ।

पूर्णिया बिहार30मार्च25* ईद का उत्सव: पूर्णियां में हर्षोल्लास और भाईचारा: तौसीफ रज़ा अजहरी ।

पूर्णिया बिहार30मार्च25* ईद का उत्सव: पूर्णियां में हर्षोल्लास और भाईचारा: तौसीफ रज़ा अजहरी ।

मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक न्यूज़ चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।

पूर्णिया बिहार । ईद-उल-फित्र इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो रमज़ान के पवित्र महीने के बाद चांद के दीदार के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश फैलाने का एक अवसर भी है। इस वर्ष पूर्णियां, बिहार में ईद की नमाज बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ अदा की गई।

पूर्णियां में ईद की नमाज़ और भाईचारा

पूर्णियां के प्रसिद्ध खजांची मस्जिद, ईदगाह और मदरसों में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए और ईद की नमाज अदा की। नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई दी। इस मौके पर बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में खासा उत्साह देखा गया। सभी ने नए कपड़े पहने, विशेष व्यंजन बनाए और अपने रिश्तेदारों व मित्रों के साथ खुशियां बांटी।

ईद सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देता है कि हम सबको एकता और भाईचारे के साथ रहना चाहिए। इस साल पूर्णियां में यह संदेश और अधिक मजबूत दिखा, जब विभिन्न समुदायों के लोग भी एक-दूसरे को शुभकामनाएं देने पहुंचे। इस भाईचारे के माहौल ने साबित किया कि बिहार की गंगा-जमुनी तहज़ीब अभी भी जीवंत है।

प्रशासन की भूमिका और सहयोग

इस वर्ष प्रशासन ने भी ईद के मौके पर विशेष तैयारियां कीं। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया, मस्जिदों और ईदगाहों के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। यातायात को सुगम बनाने के लिए कई मार्गों को व्यवस्थित किया गया ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। पुलिस प्रशासन की सतर्कता के कारण किसी भी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं आई।

पूर्णियां के जिलाधिकारी कुंदन कुमारऔर पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय के शर्मा ने अपने वरीय पदाधिकारी के साथ स्वयं विभिन्न ईदगाहों का दौरा किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी ईद की बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि सभी समुदायों को मिलजुल कर ऐसे त्योहार मनाने चाहिए।

वक्फ बिल: समुदाय की उम्मीदें और प्रधानमंत्री से अपील

ईद के इस हर्षोल्लास के बीच, एक बड़ा मुद्दा भी चर्चा में रहा – वक्फ बिल। मुस्लिम समुदाय की बड़ी संख्या इस बिल को लेकर चिंतित है और सरकार से अपील कर रही है कि इसे वापस लिया जाए। वक्फ संपत्तियां समाज के कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं में उपयोग होती हैं। ऐसे में अगर इस बिल में कोई ऐसा प्रावधान आता है जो वक्फ संपत्तियों के अधिकारों को प्रभावित करता है, तो यह समुदाय के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन सकता है।

इस पावन अवसर पर, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वक्फ बिल को वापस लेने की घोषणा कर दें, तो यह पूरे समुदाय के लिए खुशी को दोगुना कर देगा। इससे सरकार के प्रति विश्वास और अधिक मजबूत होगा और देश में सांप्रदायिक सौहार्द भी बढ़ेगा।

ईद का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

ईद का त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का संदेश देता है। इस दिन फित्रा (दान) देने की परंपरा है, ताकि हर कोई इस खुशी में शामिल हो सके। पूर्णियां के विभिन्न हिस्सों में भी लोगों ने ज़रूरतमंदों को आर्थिक सहायता दी, कपड़े और भोजन बांटे, जिससे इस त्योहार का असली उद्देश्य सार्थक हुआ।

ईद-उल-फित्र का यह पर्व प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है। पूर्णियां में इस बार का ईद उत्सव न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। जहां एक ओर लोगों ने मिलकर खुशियां बांटीं, वहीं दूसरी ओर वक्फ बिल को लेकर सरकार से उम्मीदें भी जताईं। प्रशासन की सराहना करनी होगी, जिसने त्योहार को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाने में अहम भूमिका निभाई।
अंततः, यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, हमें हमेशा प्रेम, एकता और इंसानियत के मार्ग पर चलना चाहिए। अगर समाज इसी तरह आपसी सौहार्द से जुड़े रहे, तो न सिर्फ बिहार बल्कि पूरा देश एक नई ऊंचाई तक पहुंच सकता है।

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