पूर्णिया बिहार29मई25* अनीमिया मुक्त भारत और बाल संवर्धन कार्यक्रम के लिए एकदिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन
मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक न्यूज़ चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट
यूनिसेफ अधिकारियों द्वारा सभी प्रखंड स्वास्थ्य, आईसीडीएस और शिक्षा अधिकारियों को दी गई अनीमिया से सुरक्षा के आवश्यक दवा उपलब्ध कराने की जानकारी।
किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है अनीमिया : सिविल सर्जन।
-लक्षण के आधार पर चिन्हित किया जा सकता है अनीमिया ग्रसित व्यक्ति की पहचान : यूनिसेफ
पूर्णिया बिहार। आयरन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो शरीर में विशेष तत्व हीमोग्लोबिन के निर्माण में योगदान देता है। आहार में आयरन की कमी के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। ऐसी स्थिति को रक्त अल्पता या अनीमिया कहते हैं। अनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है। इससे सुरक्षा के लिए समय पर अनीमिया ग्रसित व्यक्ति की समय पर पहचान करते हुए आवश्यक उपचार उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की प्रमुखता में शामिल हैं। इसके लिए विभिन्न विभागों द्वारा आपसी समन्यवय स्थापना करते हुए अनीमिया ग्रसित व्यक्ति की पहचान कर समय पर उपचार उपलब्ध कराने से संबंधित व्यक्ति अनीमिया से स्वस्थ्य और सुरक्षित रह सकेंगे।” उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया द्वारा सभी प्रखंड के स्वास्थ्य, आईसीडीएस और शिक्षा के अधिकारियों को “अनीमिया मुक्त भारत” और “बाल संवर्धन कार्यक्रम” कार्यक्रम के प्रशिक्षण के दौरान कही गई। बच्चों, किशोर-किशोरियों और गर्भवती-धात्री महिलाओं में अनीमिया के रोकथाम के लिए ‘अनीमिया मुक्त भारत’ और ‘बाल संवर्धन कार्यक्रम’ स्वास्थ्य, शिक्षा एवं समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) अधिकारियों को विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षित करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के होटल सेंटर प्वाइंट में सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया की अध्यक्षता में एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान सभी अधिकारियों को विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा समय पर अनीमिया ग्रसित व्यक्ति की पहचान करते हुए इससे सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई गई। आयोजित प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया के साथ साथ डीपीएम स्वास्थ्य सोरेंद्र कुमार दास, डीएम&ई आलोक कुमार, डीपीओ शिक्षा शशि रंजन, मिड डे मील अधिकारी के साथ यूनिसेफ राज्य पोषण अधिकारी डॉ संदीप घोष, यूनिसेफ राज्य सलाहकार प्रकाश सिंह, यूनिसेफ जिला समन्यवक निधि भारती, यूनिसेफ सहयोगी समन्यवक शुभम गुप्ता और सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, फार्मासिस्ट, आईसीडीएस सीडीपीओ और प्रखंड शिक्षा अधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।
किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है अनीमिया : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि किसी भी उम्र के लोगों को शरीर में उपलब्ध रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी होने पर संबंधित व्यक्ति अनीमिया ग्रसित हो सकते हैं। अनीमिया कई प्रकार के होते हैं। बच्चों में अनीमिया पोषण से संबंधित हो सकता है जबकि वयस्कों में अनीमिया अधिक या गंभीर रक्त स्राव, संक्रमण, अनुवांशिक रोग अथवा कैंसर के कारण हो सकता है। लक्षण के अनुसार ऐसे व्यक्ति की पहचान होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा आवश्यक जांच करते हुए उपचार सुविधा उपलब्ध कराने से संबंधित व्यक्ति अनीमिया ग्रसित होने से सुरक्षित हो सकते हैं। अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति की समय पर पहचान करते हुए आवश्यक उपचार सुविधा उपलब्ध कराने से संबंधित व्यक्ति अनिमिया से सुरक्षित रहते हुए स्वस्थ जीवनयापन का लाभ उठा सकते हैं।
सूचक के आधार पर संबंधित व्यक्ति हो सकता है अनीमिया से ग्रसित :
यूनिसेफ पोषण विशेषज्ञ डॉ संदीप घोष ने बताया कि अनीमिया से पीड़ित होने की पुष्टि खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच के आधार पर ही की जा सकती है। अनीमिया सूचक के रूप में संबंधित व्यक्ति के आँखों के पालपेब्रल कंजक्टिवा का पीलापन, पीली त्वचा, नाखुनो में काइलोनीकिया, हाथों का पीलापन, जीभ की सूजन आदि होता है। ऐसा सूजक दिखाई देने पर संबंधित व्यक्ति अनीमिया ग्रसित हो सकते हैं। अनीमिया ग्रसित होने के सूचक दिखाई देने पर संबंधित व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच करवाते हुए ग्रसित पाए जाने पर आवश्यक उपचार सुविधा का लाभ उठाना चाहिए। समय पर जांच और उपचार कराने से संबंधित व्यक्ति अनीमिया ग्रसित होने से सुरक्षित होकर सामान्य जीवन का लाभ उठा सकते हैं।
अनीमिया के लक्षण :
•जल्दी थक जाना व सांस फूलना
•पढ़ाई, खेल व अन्य कार्यों में मन नहीं लगना
•सुस्त व नींद आते रहना
•जल्दी-जल्दी बीमार पड़ना
•भूख नहीं लगना
बाल संवर्धन के लिए समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन के दस चरण की विस्तार से दी गई जानकारी :
प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों द्वारा बाल संवर्धन के लिए समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन के दस चरण की विस्तार से जानकारी दी गयी। समुदायिक अधिकारियों को वृद्धि निगरानी और दोनों पैरों में सूजन की जांच, कुपोषित बच्चों के भूख का परिक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, देखभाल के स्तर का निर्णय, पोषण प्रबंधन, चिकित्सीय प्रबंधन, पोषण, साफ-सफाई पर परामर्श, नियमित निगरानी और गृह भ्रमण, समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम से डिस्चार्ज, डिस्चार्ज के बाद वीएचएसएनडी स्तर पर मासिक फॉलोअप के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञों द्वारा सभी अधिकारियों को बच्चों के विकास निगरानी और जनजागरूकता में आंगनबाडी सेविका एवं आशा के सहयोग, कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में रेफर करने में मदद, परिवारों और देखभाल करने वालों को परामर्श, उचित आहार प्रथाओं और साफ-सफाई से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान चिन्हित सभी गंभीर रूप से कम वजन और गंभीर रूप से दुबले बच्चों के भूख के परीक्षण की जानकारी दी गई। इसके साथ ही हर महीने आंगनवाड़ी द्वारा पहचान किये गये गंभीर रूप से दुबले बच्चों की सूची अनुसार प्रत्येक बच्चे का वजन और उंचाई का पूर्ण सत्यापन कर रिकॉर्ड रखना एवं स्वास्थ्य जाँच कर उनकी स्थिति का आँकलन कर उनका प्रबंधन करने का सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
एनीमिया के लक्षणों एवं उपचार के बारें में समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी रखेंगे जानकारी :
मातृत्व एनीमिया को दूर करने के लिए प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि गर्भवती महिला में एनीमिया के लक्षणों की पहचान कैसे करें। इनमें त्वचा, चेहरे, जीभ और आंखों की ललिमा की कमी, काम करने पर जल्दी ही थकावट हो जाना, सांस फूलना या घुटन होना, काम में ध्यान न लगना और, चक्कर आना, भूख न लगना और चेहरे और पैरों में सूजन आदि शामिल हैं। स्वास्थ्यकर्मी महिलाओं को इस बात की जानकारी दिया जाए कि खून में आयरन की सही मात्रा होने से बच्चे का उचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है। शरीर चुस्त रहता है और मन में फुर्ती रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसके लिए आयरन युक्त लाभार्थियों को आई.एफ.ए. खुराक के साथ भोजन में विटाामिन सी युक्त चीजें शामिल करने से आयरन का बेहतर अवशोषण होता है। इसके लिए 06-59 माह के बच्चों को 01 एम.एल. आइ०एफ०ए० सिरप सप्ताह में दो बार, 05-09 वर्ष के बच्चों को प्रति सप्ताह 01 आइ०एफ०ए० की गुलाबी गोली, 10-19 वर्ष के किशोर-किशोरियों को प्रति सप्ताह 01 आई०एफ०ए० की नीली गोली, प्रजनन उम्र की महिलाओं (20-24 वर्ष) को प्रति सप्ताह 01 आई०एफ०ए० की लाल गोली जबकि गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान चौथे माह के प्रारंभ से एवं प्रसव के उपरांत अगले 180 दिनों तक रोजाना 01 आई०एफ०ए० की लाल गोली का सेवन करना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य और आईसीडीएस अधिकारियों को अनीमिया ग्रसित लोगों के खाने में आयरन युक्त खाद्य सामग्री जैसे हरे पत्तेदार साक सब्जी , चौलाई, पालक, सरसो की साक , सहजन , मेथी, कच्चा केला, सोयाबीन, काला चना , मूग, मछली , चिकन कलिजे आदि खाने की सलाह एनीमिया प्रभावित महिला को अवश्य देने की जानकारी दी गई। सभी को बताया गया कि ग्रसित लोगों को जंक फूड या तला आहार, सोडा, चाय, कॉफी व नशीले पदार्थ से परहेज जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दिया गया की कैसे गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की जांच डिजिटल हेमोग्लोबिनोमीटर के माध्यम से किया जाना है। एनीमिया की उपचार हेतु पूर्णिया जिले के सभी प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र/रेफरल अस्पताल/समूदायिक स्वास्थ्य केंद्र/अनुमंडलीय अस्पताल में गर्भवती महिलाओं में गंभीर एनीमिया की उपचार हेतु आयरन सुक्रोज के माध्यम से इलाज किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को बताया गया एनीमिया की जांच पश्चात मध्यम एवं गंभीर एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओ को प्रखंड स्वास्थ केंद्रों में रेफर किया जाए। जांच के बाद उपचार के लिए गर्भवती महिला को उपलब्ध कराने वाले आइवी आयरन सूक्रोज का पूर्ण खुराक लगवाना सुनिश्चित किया जाए जिससे कि संबंधित लाभार्थी एनीमिया से सुरक्षित हो सके।
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