November 19, 2025

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पूर्णिया बिहार 25 मार्च25* रोजा-ए-इफ्तार: सामाजिक समरसता ओर गंगा जमुना की तहज़ीब है निसार।

पूर्णिया बिहार 25 मार्च25* रोजा-ए-इफ्तार: सामाजिक समरसता ओर गंगा जमुना की तहज़ीब है निसार।

पूर्णिया बिहार 25 मार्च25* रोजा-ए-इफ्तार: सामाजिक समरसता ओर गंगा जमुना की तहज़ीब है निसार।

मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।

पूर्णिया बिहार।रमज़ान का पाक मुकद्दस महीना केवल इबादत और रोज़े तक महदूद नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, मोहब्बत और आपसी इत्तेफाक का पैगाम भी देता है रोज़ा-ए-इफ्तार का आयोजन न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह सभी धर्मों और जातियों के बीच सौहार्द और परस्पर सम्मान को बढ़ाने का एक सशक्त जरिया भी है। उक्त बातें बायसी विधानसभा के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद निसार अहमद ने कही।
मोहम्मद निसार अहमद ने कहा की डगरूआ बैरियर चौक और डगरूआ हाई स्कूल में जुनैद साहिब और अंसर साहिब द्वारा आयोजित रोज़ा-ए-इफ्तार इसी सामाजिक समरसता की एक तारीखी मिसाल है। इस दावत में हिंदू-मुस्लिम, हर जाति और हर वर्ग के लोग शामिल हुए, जिससे यह संदेश गया कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है जो आसमानों की बुलंदियों तक छूता हुआ हुआ नजर आता है
निसार अहमद ने कहा कि रोज़ा हमें संयम, धैर्य और आत्मसंयम सिखाता है, वहीं इफ्तार दावत समाज में प्रेम, समानता और भाईचारे को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। जब लोग एक साथ बैठकर इफ्तार करते हैं, तो यह न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी बढ़ावा देता है।
मोहम्मद निसार अहमद ने जुनैद साहिब और अंसर साहिब को इस नेक ख्वाहिशात के लिए तहे दिल से मुबारकबाद पेश किया हूँ। और कहां है कि ऐसे आयोजन समाज में एकता, शांति और आपसी भाईचारे को और मजबूती प्रदान करता हैं। हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि हम ऐसे आयोजनों को बढ़ावा दें और समाज में प्यार और सौहार्द की भावना को बनाए रखें ताकि मोहब्बत की खुशबू देश के फिजाओं में हमेशा महकती रहे।
मोहम्मद निसार अल अहमद ने एक शेर का कर अपनी बातों को विराम दिया।
❤️मोहब्बत से करो आगाज़ तो अजनबी भी क़रीब आते हैं ,
मोहब्बत है एक रूहानी मंजिल जहां फरिश्ते भी सर झुकाते।

Taza Khabar