पूर्णिया बिहार 25 फरवरी 25* नवजात शिशु को जन्म के बाद एक घंटे के भीतर स्तनपान करना महत्वपूर्ण ।
मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।
डायरिया, निमोनिया व कुपोषण से बचाता है मां का दूध
20 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर में कमी लाता है स्तनपान
बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास में स्तनपान की भूमिका अहम होती है। शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ ही उसका मौलिक अधिकार भी है। जन्म के बाद नवजात शिशु को स्तनपान कराने से शिशु में बेहतर स्वास्थ्य और शारीरिक क्षमता का विकास होता है और बच्चा स्वास्थ्य और तंदुरुस्त रहता है।
डायरिया, निमोनिया व कुपोषण से बचाता है मां का दूध :
पूर्णिया बिहार।सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि माँ का दूध जहाँ शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता है वहीँ उसे डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बिमारियों से बचाता भी है। जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रसारित रिपोर्ट के अनुसार स्पष्ट किया जाता है कि अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है, जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए मिलता है। इसके अलावा स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है। बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाने से बच्चों के पोषण क्षमता का विकास होता है। नवजात शिशु को जन्म के बाद अगले छः माह तक केवल मां का दूध हीं पोषण के लिए दिया जाना चाहिए ताकि बच्चों का सम्पूर्ण विकास मौलिक रूप से हो सके और बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकें।
माता-पिता की जागरूकता है जरूरी:
नवजात शिशुओं के स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा माता के साथ पिता की जागरूकता पर बल दिया जाता है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों का सशक्तिकरण एक गतिविधि नहीं है बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय अवश्य प्रदान की जानी चाहिए। माँ बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान तभी कराती हैं जब उसे एक सक्षम माहौल और पिता, परिवार के साथ समुदायों से आवश्यक सहयोग प्राप्त होता है।
शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी के लिए आवश्यक है:
जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारम्भ किया जाए।
6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए( ऊपर से पानी भी नहीं)।
शिशु के 6 माह पूर्ण होने के तुरंत बाद अनुपूरक आहार देना शुरू किया जाए एवं कम से कम शिशु के 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखा जाए।

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