पटना4जुलाई25*बिहार में BJP को जिताने के लिए इलेक्शन कमीशन की खतरनाक मोडस आपरेंडी……..अगर बिहार बचाना है तो बिहारियों को इसके खिलाफ लड़ना पड़ेगा*
*बिहार में इलेक्शन कमीशन की नई नौटंकी का नाम है- विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025। ये BJP को फायदा पहुंचाने के लिए और कांग्रेस-RJD के वोटरों को अवैध घोषित करने की मोडस आपरेंडी है। अगर बिहारियों ने इसका विरोध नहीं किया तो उनके वोट देने का अधिकार भी छीन लिया जाएगा।*
👉इलेक्शन कमीशन कह रहा है कि 01 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों को अपनी जन्म तिथि और जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाला कोई भी दस्तावेज़ प्रस्तुत करना होगा।
👉और 1987 के बाद पैदा हुए लोगों को अपने माता-पिता के जन्म की तारीख और स्थान के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
मतलब, आप समझ रहे हैं न…..कि ये बिहारियों के साथ कितना बड़ा मजाक है।
जिस बिहार का लगभग हर दूसरा आदमी अनपढ़ है, जिस बिहार में आज भी एंबुलेंस और अस्पताल के अभाव में हर साल लाखों लोग मर जाते हैं, जहां आज भी ज्यादातर बच्चों की डिलीवरी घर पर ही होती है। अब आप खुद बताइये कि वो लोग 40 साल पहले का जन्म प्रमाण पत्र कहां से लाएंगे……
*जन्म और जन्मस्थान का प्रमाणपत्र तो तब न मांगोगे जब इनका जन्म किसी अस्पताल में हुआ होता, जब इनके मां-बाप पढ़े-लिखे होते।लेकिन इलेक्शन कमीशन को चाहिए क्योंकि वो नहीं चाहता कि कोई गरीब, दलित, पिछड़ा या मुसलमान इस चुनाव में वोट कर पाए। ये NRC से ज्यादा खतरनाक है।*
*इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, बिहार के करीब 2.93 करोड़ मतदाताओं यानी कुल 7.80 करोड़ वोटरों के करीब 38 फीसदी वोटरों को इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। अगर प्रमाणपत्र नहीं दिखा पाए तो आपको घुसपैठिया और रोहिंग्या मान लिया जाएगा।*
बस आपको ये करना है कि अगर आपके घर इलेक्शन कमीशन का कोई अधिकारी, कर्मचारी या BLO आता है तो उससे बात नहीं करना है, वर्ना आप रोहिंग्या घोषित हो जाएंगे।
➡️चुनाव से पहले इस खेल का मतलब इससे समझिए कि जिन क्षेत्रों में भाजपा को परंपरागत रूप से समर्थन नहीं मिलता, वहाँ मतदाता सूची में अधिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इलेक्शन कमीशन टारगेट कर मुस्लिम, दलित, और पिछड़े वर्गों के मतदाताओं के नाम बिना पर्याप्त जाँच के हटा रहा है।
➡️आप इसके खिलाफ इसलिए भी आवाज उठाइये क्योंकि घर-घर जाकर सत्यापन करने वाले बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। BLO के पास पक्षपात की गुंजाइश रहती है, और उन्हें राजनीतिक दबाव के अधीन किया जा सकता है।
➡️आधार लिंकिंग और फेसियल रिकग्निशन तकनीक के बहाने, वास्तविक मतदाताओं को “डुप्लिकेट” बताकर हटाया जा सकता है। ये तकनीकें पारदर्शी नहीं हैं और इनका जमकर दुरुपयोग हो सकता है।
➡️तमाम ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि कई BLO और सुपरवाइज़र ऐसे हैं जिनका संबंध भाजपा या संघ से जुड़े रहे हैं। इससे निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
➡️भाजपा कार्यकर्ता कई स्थानों पर मतदाता पहचान अपडेट और सूची संशोधन के लिए शिविर लगवा रहे हैं – जो कि इलेक्शन कमीशन का काम है। इससे पक्षपात का संकेत मिलता है। कुछ जिलों में विरोधी दलों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में 10-20% तक नाम हटाए गए हैं, जबकि भाजपा प्रभाव वाले इलाकों में ऐसा नहीं हुआ।
*अगर बिहार को नीलाम होने से बचाना है तो आपको इस खेल के खिलाफ खड़े होना पड़ेगा। आपको अपने हक और अपने बच्चों के भविष्य के लिए भाजपा-इलेक्शन कमीशन के तंत्र से लड़ना पड़ेगा।*
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