पटना30अक्टूबर25*बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन के मैनिफेस्टो तथा श्री राहुल गाँधी जी द्वारा जातिगत जनगणना के लिए किए प्रयासों पर मीडिया से गहलोत जी से बातचीत :
तेजस्वी जी, दोनों मिल के कर रहे हैं, कल भी शायद जाएंगे वो कल भी है, इस प्रकार से अभियान शुरू हो चुका है, वैसे जब हम ने तेजस्वी का नाम घोषित किया था, तमाम राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर के जो महागठबंधन में हैं और तब से ही एक प्रकार से अभियान शुरू हो गया था उस दिन से, और तेजस्वी जी भी बराबर दौरे कर रहे हैं, हमारी पार्टी के जो नेता लोग हैं तमाम लगे हुए हैं, ऑब्जर्वर भी अच्छा काम कर रहे हैं और दूसरा जो है राहुल गांधी जी की जो यात्रा शुरू हुई थी 16 दिन की उसके बाद में जो टेंपो बना, एक नैरेटिव क्रिएट हो गया कि भई इस प्रकार का 20 साल हो गए उनको सरकार में बीस साल हो गए और नीतीश कुमार जी ने कई पार्टियां बदलते गए, एलायंस करते गए, बनते बिगड़ते गए, उससे उनकी छवि भी अच्छी नहीं रही खराब, कहां तो वो प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे और कहां आज उनको बीजेपी वाले भी नहीं पूछ रहे हैं पूरी तरह से, बीजेपी चाहे वो अमित शाह जी हो चाहे कोई नेता हो कई तरह की बातें करते हैं कि हम तो चुनाव के बाद में देखेंगे कौन मुख्यमंत्री बनेगा,तो कहां तो पीएम बन रहे थे और कहां मुख्यमंत्री बनेंगे कि नहीं बनेंगे ये स्थिति बन गई, ठीक है न, उन स्थितियों में चुनाव हो रहा है, एक बात है कि इस बार धनबल का बहुत बड़ा खजाना इक्कठा हो गया है, लूट लिया है इन लोगों ने, इलेक्टोरल बांड के माध्यम से भी, वैसे भी, कोई कमी नहीं है पैसे की, वो प्रयोग देखा हम ने इनका महाराष्ट्र के अंदर, कोई कल्पना नहीं कर सकता जो पैसा बंटा वहां पर और चुनाव कैसे जीत गए एकतरफा ये पूरे देश को आश्चर्य हुआ, हार जीत की अलग बात है, पार्लियामेंट में हम लोग जीते थे और तीन चार महीने बाद में जो वहां पर सफाया हुआ सब पार्टियों का ये तो पूरे देश के लोगों को विश्वास नहीं हुआ, पूरे देश के लोगों को, हरियाणा के अंदर माइक्रो मैनेजमेंट कर लिया हम लोगों ने , चलो भई मान लेते हैं कुछ किया होगा,बराबरी पर आ गए लगभग प्वाइंटों में फर्क था पर महाराष्ट्र की तो हार जीत एक अजीबा है, मतलब एक प्रकार से रहस्य बना हुआ है तो ये जो राहुल जी का अभियान शुरू पहले ही हो गया टाइमली और मैं समझता हूं कि बिहार लोग पॉलिटिकली बहुत समझदार होते हैं, शुरू से ही मान्यता पूरे देश के लोगों की है कि बिहार में पॉलिटिकल सोच होती है अलग उनकी, उम्मीद करते हैं कि वहां बैकवर्ड भी हैं EBC वाले भी हैं, EBC का घोषणा पत्र एक प्रकार से राहुल जी ने वहां पर जारी करवाया है और जो कुछ जातिगत जनगणना की बात पहले बिहार ने करी थी, राहुल गांधी जी ने दबाव दिया सरकार पर पूरे देश के अंदर लागू होनी चाहिए, मना करते गए बीजेपी वाले पर आखिर में उनको मानना पड़ा, कैबिनेट का निर्णय हुआ दिल्ली के अंदर हम जातिगत जनगणना कराएंगे,ये राहुल जी की बहुत बड़ी विजय है। ये भी बिहारवासियों को मालूम है कि राहुल गांधी के कारण से पूरे मुल्क में जातिगत जनगणना अब प्रॉपर होगी, क्योंकि उनकी जातिगत जनगणना हुई थी बिहार की,उसको तो चैलेंज कर दिया सुप्रीम कोर्ट के अंदर, निर्णय हाईकोर्ट के सुप्रीम कोर्ट के आते गए वो लागू नहीं कर पा रहे थे और सरकार डबल इंजन की है तब भी ये सब चलता रहा, अब तो राहुल जी के दबाव से जो मोदी जी की गवर्नमेंट ने जो फैसला किया कि हम करवाएंगे बहुत बड़ी विजय उनकी है, सब जातियां उम्मीद कर रही थीं कि एक बार 1931 में हुई थी ये, 31 के बाद में कभी नहीं हुई, अब कम से कम एक आ गया मामला, मालूम पड़ेगा भई कौन जाति के कितने लोग हैं, तो जो स्कीमें बनेगी भारत सरकार की विभागों की या राज्यों की, तो एक साइंटिफिक वे से बन पाएगी तो एक अच्छा फैसला हो गया। ये तमाम बातें आपको मैं इसलिए बोल रहा हूं कि बिहार के चुनाव में एजेंडा के अंदर नैरेटिव के लिए ये काम आ रही हैं, लोगों में ये डिस्कशन होता है गांव गांव में और कस्बों के अंदर शहरों के अंदर। मैनिफेस्टो आया परसों, 28 को,कल ही , मैनिफेस्टो भी जो है पच्चीस लाख का बीमा उन्होंने कर दिया जो अपने यहां पर था, सबसे पॉपुलर स्कीम राजस्थान की ये रही है कि हर घर में इलाज फ्री हो गया, दवाइयां फ्री टेस्ट फ्री और ऑपरेशन फ्री ये बहुत बड़ा निर्णय किया बिहार के मैनिफेस्टो में महागठबंधन ने किया है, तो मैं समझता हूं कि एक मैसेज गया है, फिर जो और भी जो बिजली को लेकर पानी को लेके नौकरी को लेके, जो वादे किए गए मैनिफेस्टो में एक 35 साल का नौजवान जो है जिस प्रकार राहुल गांधी जी के साथ में दौरे किए वहां पर और अब जो है राहुल जी के दौरे के बाद में उसने जिस प्रकार से मैनिफेस्टो में अपनी भागीदारी निभाई भी है, राहुल गांधी की जो भावना थी पब्लिक क्या सोचती है उसके अकॉर्डिंग टू आप ये मैनिफेस्टो बनाओ, पब्लिक को पूछ के बनाओ, वो स्थिति बन चुकी है उसी में ये मैनिफेस्टो वहां पर बना है और उसका बड़ा इंपैक्ट रहेगा, तमाम स्कीमों का और तेजस्वी जी का मैंने कल सुना मैनिफेस्टो के बारे में भी डिस्कशन में देखा मैंने कि उनको पूरी, दो बार डिप्टी सीएम रहे हैं ,पूरी नॉलेज है उनको स्टेट की तमाम आंकड़े उनके सामने हैं साथ में हैं और वो मैं समझता हूं कि मजबूती के साथ में ये चुनाव जो है दंगल क्योंकि किसी ने ठीक कहा है कि ये तो चुनाव होता है लोकतंत्र के अंदर और ये युद्ध होता है तो चुनाव में लोकतंत्र में नॉन वॉयलेंस होता है, डेमोक्रेसी है कोई जीतो कोई हारो, और जो दंगल होता है संघर्ष होता है वहां क्या होता है वॉयलेंस होती है।
युद्ध किधर लड़ रहे हैं, क्योंकि इनका विश्वास है ही नहीं डेमोक्रेसी के अंदर। युद्ध की तरह येन केन प्रकारेण साम दाम दंड भेद उसके माध्यम से चुनाव कहीं जीते हैं, ये उनकी थ्योरी है पूरे देश के अंदर, धर्म के नाम पर और कर दिया, हिंदू धर्म हिंदू धर्म, क्या बाकी लोग हिंदू धर्म के लोग नहीं हैं क्या ? आंकड़े बताते हैं कि कोई एक, ये जो इनकी पर्सेंटेज आ रही है वोटों की, चालीस से नीचे आ रही है, सौ वोट पड़ते हैं पोलिंग,उसका एक बार इकतीस परसेंट आ गया, एक बार छत्तीस परसेंट आ गया एक बार सैंतीस परसेंट आ गया, ऐसे ही तो आ रहे हैं, इसका मतलब सत्तर परसेंट लगभग तो लोग खिलाफ वोट दे रहे हैं इनके, पर किस बात का घमंड कर रहे हैं ये लोग ? ये चाहिए डेमोक्रेसी, संविधान की जो मूल भावना है उसके अनुसार चलें और जो हालात बन गए हैं देश में अहम् घमंड के कारण से, लोग बहुत चिंतित हैं, लोग जेलों में जा रहे हैं बिचारे , आलोचना करना तो देशद्रोही हो गया है यहां पर देश के अंदर, जबकि डेमोक्रेसी का तो मुख्य भाग है नॉन वॉयलेंस और सबको साथ में लेकर चलने वाली बात है, आलोचना को सुनने का माद्दा होना चाहिए, वो इनमें नहीं है। ये तमाम बातें जो हैं ये बिहार चुनाव में नैरेटिव बनेगा हमारा ये मैं कह सकता हूं।
महागठबंधन को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में :
मैंने कहा न आपको कि इस बार चुनाव जीतना हमारे लिए बहुत जरूरी नहीं है, देश के लिए जरूरी है और ये चुनाव खाली बिहार का नहीं हो रहा है एक प्रकार से देश में मैसेज देने का चुनाव है कि हरियाणा के अंदर क्या हुआ, दिल्ली के क्या हुआ और महाराष्ट्र में क्या हुआ और इनको घमंड आ गया तो घमंड अगर रहता है, अहम् घमंड रहता है तो डेमोक्रेसी के अंदर वो उचित नहीं है, मैं मानता हूं अब इनको बीस साल के बाद में बदलाव चाहिए बिहार को, बदलाव होना चाहिए और पूरी ताकत लगाएगी महागठबंधन, तमाम हमारे महागठबंधन के पार्टनर हैं सब एकजुट हैं, लगे हुए हैं और हम लोग कामयाब हो जाएंगे।
फसल खराबे का मुआवजा न मिलने के मुद्दे पर प्रश्न का उत्तर :
क्या करें इनका, मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिए, बार बार याद दिला रहे हैं इन लोगों को हम लोग, 22- 23 का मुआवजा नहीं मिला है भरतपुर के लोग भी आते हैं, जोधपुर डिविजन के लोग आते हैं कि वहां भी 23 का मुआवजा नहीं मिल रहा है किसानों को,आज 25 चल रहा है तो आप कल्पना कीजिए कि, अब फिर बरसात हो गई है तो नुकसान क्यों हो रहा है इनको, अर्जेंटली गिरदावरी करा के, आउट ऑफ वे बात करके, आउट ऑफ बॉक्स बात करके इनको चाहिए कि मुआवजे का प्रबंधन करें और मुआवजा फसलों का दें, किसान अगली फसल कैसे बोएगा ? उनके पास तो इतने ही साधन होते हैं, क्योंकि जो मोदी जी ने कहा था डबल इनकम कर देंगे वो तो अब नाम ले नहीं रहे हैं, न डबल इनकम हुई है, डबल इनकम हुई नहीं है तो ये बेचारे परेशान हैं लोग, उनको चाहिए कि ये किस प्रकार से टाइमली मुआवजा दें ये मेरी मांग है।
 
 
 
 

 
                   
                   
                   
                  
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