September 28, 2024

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मथुरा 19 जून 2024 - न्यूरो सर्जरी ने आयुष्मान के जरिए निःशुल्क किया  इलाज, मरीज के परिजनों ने दिया डाक्टर्स को साधुवाद

मथुरा 19 जून 2024 – न्यूरो सर्जरी ने आयुष्मान के जरिए निःशुल्क किया  इलाज, मरीज के परिजनों ने दिया डाक्टर्स को साधुवाद

मथुरा 19 जून 2024 – न्यूरो सर्जरी ने आयुष्मान के जरिए मुफ्त किया इलाज, मरीजों के मरीजों ने दिया डॉक्टरों को साधुवाद

 

 

संवाददाता:- मथुरा से रिपोर्टर कुमारी सोनम की ख़ास ख़बर, न्यूज़ यूपीआजतक।

 

 

 

मथुरा 19 जून 2024 – मथुरा के एक निजी अस्पताल से हरे राम कुमार को केएम ने नया जीवन दिया। न्यूरो सर्जरी ने आयुष्मान के जरिए मुफ्त इलाज किया, मरीज के मरीजों ने डॉक्टरों को साधुवाद दिया। रामकुमार के पूरे शरीर में आंत होने से हो गया था बेजान। मथुरा। विश्वस्तरीय इलाज के लिए जाने वाले केएम सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में असंभव इलाज भी संभव हो रहा है। केएम की न्यूरो सर्जरी के विशेषज्ञ डा. संदीप चौहान ने आयुष्मान योजना के तहत सर्जरी के जरिए रामकुमार के न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस से निपटने के लिए नया जीवन दिया है। इस सफलता के लिए केएम यूनिवर्सिटी के कुलपति किशन चौधरी, वाइस चालंसर डा. डीडी गुप्ता, एडिशनल मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डी.डी. आरपी गुप्ता, मेडिकल वर्क डा. पीएन भिसे, सीएसआइ पूरन सिंह ने न्यूरो सर्जरी की डॉक्टर्स टीम को बधाई दी है। इस कठिन ऑपरेशन पर डा. संदीप चौहान ने बताया कि न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस बीमारी पूरे शरीर में आंत्र (न्यूरोफाइब्रोम) होने की समस्या लाखों लोगों में से एक होती है।
बताया जा रहा है कि 31 वर्षीय रामकुमार पुत्र दीन दयाल निवासी कृष्णा बिहार कॉलोनी कोसीकलां को एक जून को रीढ़ में कमजोरी और धीरे-धीरे उसके पूरे हाथ पैर सब जगह (न्यूरोफाइब्रोम) (गांठें) होती चली गई। रामकुमार की यह हालत हो गई कि वह जिंदा होते हुए भी मरणासन हालत थी, उसके हाथ-पैर मूमेंट नहीं कर पा रहे थे। परेशान रामकुमार के मरीज ने न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस बीमारी का इलाज कराने के लिए जयपुर, नोएडा, आगरा, फरीदाबाद, दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन किया, जहां सभी ने उसका इलाज करने से राहत दी। इसके बाद मथुरा के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां भी उसे निराशा हाथ लगी, वहां भी मरीजों ने उसका इलाज करने से मना कर दिया। बेहतरीन इलाज के लिए लोगों ने केएम हॉस्पिटल की सलाह दी तो उन्होंने न्यूरो सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डा. संदीप चौहान ने बताया कि ऑपरेशन जोखिम भरा था लेकिन फिर भी डॉक्टर ने सारे टेस्ट होने के बाद 6 घंटे की सर्जरी की और वह सफल रही। आज उसकी हालत में सुधार है वह हाथ-पैरों से मोमेन्ट कर रहा है। इस ऑपरेशन में डा. संदीप का सहयोग डा. नवसंगीत, डा. भूपेन्द्र, डा. सौम्या, डा. नेहा के अलावा नर्सिंग और ओटी के प्रभारी विश्वेंद्र और शिवकुमार की टीम ने भी काम किया।

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