*नई दिल्ली:*
नई दिल्ली25जनवरी25*भारत इस बार कौन सा गणतंत्र दिवस मना रहा है। 76 या 77 जाने सबकुछ।*
✍️भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर साल गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इसकी वजह से भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। गणतंत्र दिवस ही वह दिन है जब भारत का संविधान लागू हुआ था। सबसे पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया था। गणतंत्र दिवस की परेड 26 जनवरी को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित की जाती है। इस साल सभी लोगों को मन में एक ही सवाल है कि इस बार देश कौन सा गणतंत्र दिवस मना रहा है यानी कि यह 76वां रिपब्लिक डे है या 77वां है।
*76वां या 77वां कौन सा गणतंत्र दिवस:*
गणतंत्र दिवस को लेकर भ्रम की स्थिति होना कोई नई बात नहीं है। यह समझना बेहद ही जरूरी है कि वर्षगांठ की गिनती कैसे की जाती है। भारत ने पहली बार 1950 में गणतंत्र दिवस मनाया था। इसलिए तब से इसकी गिनती की जानी चाहिए। दूसरा गणतंत्र दिवस समारोह 1951 में मनाया गया और तीसरा 1952 में और इसी तरह आगे भी मनाया गया। 2025 में भारत 76वां गणतंत्र दिवस मनाएगा, क्योंकि भारत ने एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पूरे 75 साल पूरे कर लिए हैं और साल 2025 में यह अपने 76वें वर्ष में एंट्री करेगा। इसलिए 77वें वर्ष की बजाय 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जाएगा। भ्रम की स्थिति इसलिए पैदा होती है क्योंकि कुछ लोग इसकी गिनती करने के दौरान गलती से एक साल ज्यादा जोड़ देते हैं।
*गणतंत्र दिवस की थीम क्या है और मुख्य अतिथि कौन हैं:*
गणतंत्र दिवस के समारोह में हर साल बेहद ही सांस्कृतिक परेड होती है। इसमें भारत की विविधता की झलक दिखाई देती है। इस साल अगर थीम की बात करें तो इसकी थीम स्वर्णिम भारत-विरासत और विकास। यह थीम भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत और इसके निरंतर विकास की यात्रा पर जोर देती है। हर एक गणतंत्र दिवस पर एक चीफ गेस्ट भी होता है। इसमें राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हो सकते हैं। इस साल के चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो हैं।
*गणतंत्र दिवस का इतिहास%*
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अनेक घटनाओं ने 26 जनवरी को अहम दिन बनाया। यही वजह है कि इस दिन को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के दिन के तौर पर चुना। कांग्रेस पार्टी (INC) ने 19 दिसंबर 1929 को अपने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की गई थी। भारत के डोमिनियन दर्जे को लेकर ब्रिटिश और स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के बीच बातचीत बेनतीजा होने के बाद यह प्रस्ताव पारित किया गया था। यह पूरी तरह से इरविन समझौते की विफलता थी। इसके कारण पूर्ण स्वराज प्रस्ताव की घोषणा की गई और जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर तिरंगा झंडा फहराया। इसी प्रस्ताव में घोषणा की गई कि भारत 26 जनवरी को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। इसको 17 साल तक पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया गया था। गणतंत्र दिवस पर दुनिया देखेगी भारत की ताकत।
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