नई दिल्ली18अप्रैल*तालाब संरक्षणः जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला बन गया शासनादेश*
जल संरक्षण के लिए जलाशयों को बचाने के लिए शासन-प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर अवैध कब्जे के मामले जिस गति से बढ़ रहे थे, उससे तालाबों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल थे। इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला शासनादेश बन गया। इसके तहत उत्तर प्रदेश में हजारों तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराकर जल संरक्षण के क्षेत्र में विशेष कार्य किया गया।
*यह था मामला है*
सिविल अपील संख्या- 4787/2001, हिंचलाल तिवारी बनाम कमलादेवी, ग्राम उगापुर, तालुका आसगांव, जिला संतरविदास नगर, उत्तर प्रदेश के मामले में तालाब को सार्वजनिक उपयोग की भूमि के तहत समतलीकरण कर यह करार दिया गया था कि वह अब तालाब के रूप में उपयोग में नहीं है। तालाब की ऐसी भूमि को आवासीय प्रयोजन हेतु आवंटन कर दिया गया था। इस मामले में 25 जुलाई 2001 को पारित हुए आदेश में कोर्ट ने कहा कि जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड आदि को समाज के लिए बहुमूल्य मानते हुए इनके अनुरक्षण को पर्यावरणीय संतुलन हेतु जरूरी बताया है। निर्देश है कि तालाबों को ध्यान देकर तालाब के रूप में ही बनाये रखना चाहिए। उनका विकास एवम् सुन्दरीकरण किया जाना चाहिए, जिससे जनता उसका उपयोग कर सके। आदेश है कि तालाबों के समतलीकरण के परिणामस्वरूप किए गए आवासीय पट्टों को निरस्त किए जाए। आवंटी स्वयं निर्मित भवन को 6 माह के भीतर ध्वस्त कर तालाब की भूमि का कब्जा ग्रामसभा को लौटाएं। यदि वे स्वयं ऐसा नहीं करता है , तो प्रशासन इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराये। तालाब, पोखरे के अनुरक्षण केे संबंध में सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश का संज्ञान लेते हुए परिषद ने नये सिरे से महत्वपूर्ण शासनादेश जारी किया था । आवासीय प्रयोजन के लिए आरक्षित भूमि को छोडकर किसी अन्य सार्वजनिक प्रयोजन की आरक्षित भूमि को आवासीय प्रयोजन हेतु आबादी में परिवर्तित किया जाना अत्यन्त आपत्तिजनक है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था, “तालाब, पोखर, गढ़ही, नदी, नहर, पर्वत, जंगल और पहाड़ियां आदि सभी जल स्रोत पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हैं इसलिए पारिस्थितिकीय संकटों से उबरने और स्वस्थ पर्यावरण के लिए इन प्राकृतिक देनों की सुरक्षा करना आवश्यक है। ताकि सभी संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिए गए अधिकारों का आनंद ले सकें।“
*गायब हो गए यूपी के 44 हजार से ज्यादा तालाब*
जमीन के लिए हमारी भूख ने तालाबों को निगल लिया है. लोगों की लालच और लापरवाही ने पानी के 44 हजार स्त्रोत खो दिए हैं. वे तालाब जो न सिर्फ लोगों की प्यास बुझाते बल्कि सिंचाई और निस्तारण का बड़ा जरिया होते हमने उनका वजूद ही खत्म कर दिया है. यूं तो हमारे प्रदेश में कागजों पर 7 लाख से ज्यादा तालाब-पोखर हैं. राजस्व विभाग के आंकड़े कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में 7,06,145 तालाब हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में सिर्फ 6,61,828 तालाब ही बचे हैं. 44,317 तालाबों पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है.
*उत्तर प्रदेश में तालाबों की स्थिति*
1359 फसली वर्ष (1952) से राजस्व अभिलेखों में 7,06,145 तालाब दर्ज हैं. राजस्व अभिलेखों में दर्ज इन तालाबों में से 44,317 तालाबों पर वर्तमान में भी अवैध कब्जे मौजूद हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में शासन के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 42,717 तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. इन तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के बाद तालाबों की खोदाई कर पुनर्जीवित किया गया है. वर्तमान में राजस्व अभिलेखों में दर्ज 7,06,145 तालाबों में से 6,61,828 तालाब अतिक्रमण मुक्त हैं. आंकड़े तो यही कहते हैं, लेकिन धरातल पर तालाबों के खत्म होने की हकीकत और भी भयावह है
*एंटी भू माफिया स्क्वॉड का गठन*
प्रदेश भर में हो रहे जमीनों के कब्जों की खबरों के बाद देर से ही सही पर सरकार जागी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एंटी भू माफिया स्क्वॉड का गठन किया. इस अभियान के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई. अधिकारियों का दावा है कि 42,717 तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. तमाम कार्रवाइयों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सरकारी तालाब पर अवैध कब्जे हैं
वर्ष 2001 में हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी किया था कि सरकारी तालाबों पर अवैध कब्जे नहीं हो सकते, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में लगातार तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है.1359 फसली वर्ष (1952) के अभिलेखों के तहत उत्तर प्रदेश में 7,60,000 तालाब दर्ज थे, वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 6,62,000 तालाब मौजूद हैं, जिनमें से भारी संख्या में तालाबों को रिस्टोर किया गया है. अन्य तालाबों को लेकर भी प्रभावी कार्यवाही की जा रही है- राजस्व परिषद
सिविल अपील संख्या- 4787/2001, हिंचलाल तिवारी बनाम कमलादेवी पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश यहां पढ़ें- https://www.lawyerservices.in/Hinch-Lal-Tiwari-Versus-Kamala-Devi-2001-07-25
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