April 8, 2025

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नई दिल्ली06अप्रैल25*परिवार में सुख समृद्धि का मूल मंत्र "जय हो मात पिता की - डॉ वेद प्रकाश गुप्ता 

नई दिल्ली06अप्रैल25*परिवार में सुख समृद्धि का मूल मंत्र “जय हो मात पिता की – डॉ वेद प्रकाश गुप्ता 

नई दिल्ली06अप्रैल25*परिवार में सुख समृद्धि का मूल मंत्र “जय हो मात पिता की – डॉ वेद प्रकाश गुप्ता 
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श्री देवालय संघ के चेयरमैन ने समाज से विलुप्त होते जा रहे, संस्कार एवं संस्कृति के विषय पर  पत्रकारों को सम्बोधित किया l
नई दिल्ली, 6 अप्रैल 2025 — श्री देवालय संघ के चेयरमैन श्री वेद प्रकाश गुप्ता जी ने आज एक विशेष प्रेस वार्ता के दौरान समाज में तेजी से विलुप्त होते जा रहे संस्कारों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम अपने पारंपरिक मूल्यों और सांस्कृतिक जड़ों को भूलते जा रहे हैं, जो भविष्य के लिए अत्यंत चिंताजनक है।श्री  वेद प्रकाश गुप्ता  ने कहा, कि संस्कार केवल किसी आयोजन या धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन की नींव हैं। आज की पीढ़ी मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में इतनी खो गई है कि परिवार, बड़ों का आदर, और सामाजिक जिम्मेदारियों जैसे मूलभूत संस्कार कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं।”उन्होंने यह भी बताया कि श्री देवालय संघ आने वाले समय में स्कूलों और कॉलेजों में संस्कार-शिक्षा केंद्र   शुरू करने की योजना बना रहा है, जिससे युवाओं को भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जोड़ा जा सके l संघ की इस पहल को लेकर पत्रकारों के सवालों का जबाब देते हुए श्रीवेद प्रकाश गुप्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कोई धार्मिक एजेंडा नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता की मुहिम है। उन्होंने सभी वर्गों से इस अभियान में सहयोग की अपील की। इसके साथ ही समाज मे तीन संकल्प (क)हम माता पिता की सेवा करेंगे, बहन बेटी का सम्मान करेंगे पति पत्नी व्रत का पालन करेंगे
(ख) हम किसी से जात पात ऊंच नीच धर्म के नाम पर भेद भाव नहीं करेंगे l
(ग) हम शक्तिशाली बनेंगे – राक्षसी वृत्ति को समाप्त करेंगे
और परिवार में सुख समृद्धि का मूल मंत्र “जय हो मात पिता की” जन जन तक पहुँचाने की अपील करते हुये पत्रकार बंधुओं से जुडने की अपील भी की इसके साथ ही संस्कार और संस्कृति पर कहा कि आत्मसंस्कार और संस्कृति किसी भी समाज की पहचान और उसकी आत्मा होते हैं। यह केवल परंपराओं का पालन भर नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन जीने के तरीके, हमारे व्यवहार, सोच और कार्यों में भी परिलक्षित होते हैं।संस्कार वह आधार हैं जो हमें बचपन से ही सही और गलत का भेद सिखाते हैं। ये हमें अपने माता-पिता, गुरुओं, बड़ों और समाज के प्रति सम्मान, जिम्मेदारी और प्रेम की भावना देना सिखाते हैं। वहीं, संस्कृति हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है – चाहे वह भाषा हो, भोजन हो, कला-संगीत हो या उत्सव।आज के आधुनिक दौर में जहां तकनीक और उपभोक्तावाद ने जीवन को आसान बनाया है, वहीं संस्कार और संस्कृति धीरे-धीरे पीछे छूटते जा रहे हैं। युवा पीढ़ी पाश्चात्य प्रभावों की ओर आकर्षित हो रही है, जिससे पारंपरिक मूल्य खतरे में पड़ते दिख रहे हैं।समाज को चाहिए कि वह बच्चों में बचपन से ही अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करे। परिवार, विद्यालय और धार्मिक संस्थाएं मिलकर यदि यह प्रयास करें, तो हम आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत, नैतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध आधार दे सकते हैं।संस्कार और संस्कृति केवल विरासत नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं – जिन्हें सहेजना हम सभी की जिम्मेदारी है।प्रेस वार्ता के अंत में उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम आज अपने बच्चों को सही दिशा नहीं देंगे, तो आने वाली पीढ़ी केवल भौतिक सुखों में खो जाएगी और मानवता से दूर हो जाएगी।
श्री गुप्ता ने इस अवसर पर देवालय संघ से सम्बंधित साहित्य, प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर पत्रकारों का स्वागत किया l सम्मान प्राप्त करने वाले पत्रकारों में
शिवराम वाणी के वरिष्ठ पत्रकार एवं मान्यता प्राप्त कल्याण समिति के संयोजक श्री रविंद्र गुप्ता जी वरिष्ठ पत्रकार स हरपाल सिंह भाटिया जी हिंद आत्मा के संपादक अशोक कौशिक
श्री नेशनल थॉटस के संपादक रजनीकांत तिवारी जी को किया गया ।
वेद प्रकाश जी वर्तमान मे नेशनल थोट्स वेब मीडिया के चेयरमैन भी है जो समय समय पर शक्तिशाली भारत बनाने मे डिजिटल मीडिया की भूमिका पर भी कार्यक्र्म आयोजित करते रहते है l

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