June 28, 2025

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नई दिल्ली01मई25*मई दिवस के साथ लाल झंडे का इतिहास जुडा है।

नई दिल्ली01मई25*मई दिवस के साथ लाल झंडे का इतिहास जुडा है।

नई दिल्ली01मई25*मई दिवस के साथ लाल झंडे का इतिहास जुडा है।

मई दिवस यर शिकागो में प्रदर्शन और काम के आठ घंटे की मांग और उस पर चली गोलियां. मजदूर साथियों पर मुकदमे ओर कटघरे से कामरेडों के औजस्वी और क्रांतिकारी पथ प्रदर्शक बयान, नयी दिशा के द्योतक हैं।

यह आर्थिक मांग या सुधारवाद की पैरोकारी और इसे उत्सव या समारोह में बदलने के प्रयास के विपरीत व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव का रास्ता बताते हैं।

मई दिवस का महत्व यह है कि मजदूर वर्ग ने लाल झंडे को अपनाया। लाह झंडा पेरिस कम्यून के विद्रोह और दुनिया में प्रथम मजदूर राज का झंडा है। यह मार्क्स एंगेल्स के नेतृत्व में कम्युनिस्ट इंटरनेशनव की दिशा अंतर्राष्ट्रीय मजदूर आंदोलन द्वारा स्वीकार करना बताता है। मई दिवस का मजदूर विद्रोह कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की जगह अराजकतावादी इंटर्नेशनल (Anarcist International) द्वारा संगठित किया गया था। अंर्राष्ट्रीय मजदूर आंदोलन (यूरोप और अमरीका) में समाजवाद समर्थकों में मार्क्सवाद और अराजकतावाद के बीच सही क्रांतिकारी दिशा क्या है? यह विचारधारात्मक संघर्ष था।

मार्क्स ने पेरिस कम्यूम के क्रांतिकारी आंदोलन के सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों से सबक सीखकर यह निष्कर्ष निकाला था कि मजदूर वर्ग पूर्व स्थापित (पूंजीवादी लोकतंत्र) राज्यतंत्र पर कब्जा करके उसी तंत्र से समाजवादी व्यवस्था का निर्माण नहीं कर सकता हे बल्कि मजदूर वर्ग को लोकतंत्र के आवरण में पूंजीवाडी अधिनायकत्व वाले राज्यतंत्र (राजसत्ता) को तोडकर मजदूर वर्ग की राजसत्ता (सर्वहारा अधिनायकत्व) में समाजवाद और शनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषडः से मुक्त साम्यवादी रास्ते को अपनाना होगा।

अराजकतावादी विचारधारा आतिकारी तो थी, परंतु सर्वहारा राजसत्ता (सर्वहारा अधिनायकत्व) कायम करने से सहमत नहीं थी।

भारत में भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी संगठन हिसप्रस के साथियों ने अराजकतावाद को छोडकफ मार्क्सवादी विचार को अपनाया था। भारतीय कम्युनिस्टों में से संशोधनवादियों ने वर्ग संघर्ष को आर्थिक या आंशिक संघर्षों तक सीमित कर संसद में अघिक सीट हासिल करने के पूंजीवादी संसदीय लोकतंत्र या संबेधानिक लोकतंत्र (Constitutional Democercy) के रास्ते को अपनाया है।
1967 में मार्क्सवाठ=लोनिनवाद-माओवादी विचारधारा के अनुसार इलाके के आधार पर राजसत्ता दखल कर गांव व पिछडे इलाकों में सीमानान्तर राजसत्ता के रूप में आधार इलाके स्थापित करके शहरों को घेर कर संसदीय लोकतंत्र के पैंजीवादी रास्ते की जगह सशर्त क्रांति के रास्ते को अपनाया गपा है।

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