*नई दिल्ली: पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक और 2008
_’UPA काल की कूटनीति का नतीजा, मोदी सरकार ले रही क्रेडिट’, तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर बोले चिदंबरम_*
नई दिल्ली: पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लिया गया है, क्योंकि वहां के सुप्रीम कोर्ट ने इस कदम को रोकने की राणा की अंतिम याचिका को खारिज कर दिया है. इस बीच कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मामले प्रतिक्रिया दी है.
चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू नहीं की, बल्कि इसे UPA शासन के दौरान शुरू किया था.
क्रेडिट लेने के लिए दौड़ रही मोदी सरकार
उन्होंने कहा, “यह घटनाक्रम इस बात का प्रमाण है कि भारतीय राज्य ईमानदार कूटनीति, प्रभावी कानून प्रवर्तन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से क्या हासिल कर सकता है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार चिदंबरम ने एक बयान में कहा, “मोदी सरकार इस डेवलपमेंट का क्रेडिट लेने के लिए दौड़ रही है, सच्चाई उनके दावों से कोसों दूर है.”
चिदंबरम ने कहा, ” मोदी सरकार ने इस प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की, न ही उसने कोई नई सफलता हासिल की. उसे केवल यूपीए के तहत शुरू की गई मैच्योर, कंसिस्टेंट और रणनीतिक कूटनीति से लाभ मिला.तथ्य स्पष्ट होने चाहिए.”
पूर्व गृह मंत्री ने कहा, “यह प्रत्यर्पण किसी दिखावे का नतीजा नहीं है, यह इस बात का प्रमाण है कि जब कूटनीति, कानून प्रवर्तन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ईमानदारी से और बिना किसी तरह की छाती ठोके किया जाता है, तो भारत क्या हासिल कर सकता है.”
मूंबई हमले का साजिशकर्ता
बता दें कि राणा डेविड हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है. वह एक अमेरिकी नागरिक है और 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है. 26 नवंबर, 2008 को दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर कोर्डिनेटेड हमले किए थे. लगभग 60 घंटे तक चले हमले में 166 लोगों की जान चली गई.
उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया 11 नवंबर 2009 को शुरू हुई थी, जब एनआईए ने दिल्ली में डेविड हेडली, राणा और 26/11 हमलों से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. चिदंबरम ने कहा, “उसी महीने कनाडा के विदेश मंत्री ने यूपीए की प्रभावी विदेश नीति की बदौलत भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग की पुष्टि की. एफबीआई ने कोपेनहेगन में लश्कर की एक असफल साजिश का समर्थन करने के लिए 2009 में शिकागो में राणा को गिरफ्तार किया था.”
कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि हालांकि 2011 में एक अमेरिकी अदालत ने राणा को 26/11 हमलों में प्रत्यक्ष संलिप्तता से बरी कर दिया था, लेकिन उसे अन्य आतंकवाद से संबंधित आरोपों में दोषी ठहराया गया और 14 साल की सजा सुनाई गई. चिदंबरम ने कहा कि यूपीए सरकार ने बरी होने पर निराशा व्यक्त की, लेकिन कूटनीतिक दबाव डालना जारी रखा.
कूटनीति और कानूनी तंत्र पर भरोसा
उन्होंने कहा कि असफलताओं के बावजूद UPA सरकार ने संस्थागत कूटनीति और कानूनी तंत्र पर भरोसा किया. आपसी कानूनी सहायता संधियों के तहत, एनआईए की तीन सदस्यीय टीम ने 2011 में अमेरिका में हेडली से पूछताछ की. चिदंबरम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अमेरिका ने भारत को महत्वपूर्ण सबूत हस्तांतरित किए, जिन्हें एनआईए ने राणा सहित नौ आरोपियों के खिलाफ दिसंबर 2011 की चार्जशीट में शामिल किया.
उन्होंने याद दिलाया कि 2012 में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव रंजन मथाई समेत वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने हिलेरी क्लिंटन और वेंडी शेरमेन समेत अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष इस मामले को उठाया था. जनवरी 2013 तक हेडली को 35 साल की सजा सुनाई गई और उसके तुरंत बाद राणा को सजा सुनाई गई. चिदंबरम ने कहा कि भारत ने हेडली के प्रत्यर्पण की मांग जारी रखी और अमेरिका में तत्कालीन भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने लगातार इस मामले को आगे बढ़ाया.
चिदंबरम ने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने प्रत्यर्पण का समर्थन किया और मई 2023 में एक अमेरिकी अदालत ने उसे अमेरिका-भारत संधि के तहत प्रत्यर्पण योग्य पाया. राणा ने दोहरे खतरे का हवाला देते हुए अपील की, लेकिन उसकी सभी कानूनी दलीलों को खारिज कर दिया गया,
उन्होंने कहा, “फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में में उस चीज का श्रेय लेने की कोशिश की जो अनिवार्य रूप से यूपीए-युग के वर्षों के जमीनी काम का परिणाम थी.” उन्होंने कहा कि 17 फरवरी तक भारतीय अधिकारियों ने 2005 में 26/11 की साजिश में राणा की भूमिका की पुष्टि की थी. 8 अप्रैल 2025 को अमेरिका ने उसे भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया.
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