May 12, 2024

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झाँसी30अगस्त*मित्रता में गरीबी अमीरी नहीं देखी जाती आचार्य रोहित कृष्ण शास्त्री

झाँसी30अगस्त*मित्रता में गरीबी अमीरी नहीं देखी जाती आचार्य रोहित कृष्ण शास्त्री

झाँसी30अगस्त*मित्रता में गरीबी अमीरी नहीं देखी जाती आचार्य रोहित कृष्ण शास्त्री

झांसी 30 अगस्त। मित्रता में कभी भी गरीबी अमीरी नही देखी जाती है। और जब मित्र पर जब संकट आए तो उसकी सहायता अपनी सामर्थ्य अनुसार करनी चाहिए यह उद्गार ग्राम बरुआमाफ में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत पुराण के वक्त आचार्य रोहित कृष्ण शास्त्री ने कहे। उन्होंने कहा कि सभी पंथ सतसंग की ओर ले जाते है। शास्त्री जी ने सुदामा चरित्र का मनोहारी वर्णन करते हुए कहा कि मित्र कितना भी गरीब हो लेकिन जब वह है किसी अपने से मिलने जाए तो उसके पास जो भी देने के लिए उपलब्ध हो उसे जरूर ले जाना चाहिए। द्वापर युग में जब सुदामा बेहद गरीबी में गुजारा कर रहे थे तभी उनकी पत्नी सुशीला ने कहा कि आपके बचपन के बाल सखा द्वारकाधीश के पास जाकर अपनी परेशानी के बारे में उन्हें बताएं जिससे वह आपकी सहायता कर सके। लेकिन सुदामा जी वहां जाना नहीं चाहते थे। फिर भी मजबूरी बस चार मुट्ठी चावल फटे कपड़े की पोटली में बांधकर द्वारकाधीश के महल पर पहुंचे लेकिन द्वारपाल ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया। जिससे उन्होंने कहा कि मेरे प्रभु से कह दो कि तुम्हारे बचपन के बाल सखा सुदामा आए है। जैसे ही भगवान को सुदामा के आने की जानकारी हुई वैसे ही शरीर पर आधे अधूरे पीतांबरा वस्त्र धारण किए नंगे पैर दौड़ते हुए महल से बाहर आए और प्रेम में वशीभूत होकर सुदामा की दीन दशा को देखकर उनसे लिपटकर रोने लगे यह देख सभी लोग अचंभित हो गए। और आपस में कहने लगे कि ऐसा कौन सा मित्र है जिससे भगवान इतना प्रेम कर रहे है। द्वारकाधीश सुदामा को महलों में ले गए और उन्हें नहला कर भोजन प्रसादी ग्रहण कराई तथा बचपन की यादों को ताजा करते हुए कहा कि भाभी जी ने मुझे कुछ उपहार भेजा होगा। जिससे संकोच बस सुदामा ने चावल की पोटली भगवान को सुपुर्द कर दी। जिससे द्वारकाधीश ने चावलों को मुंह में डालते ही सुदामा की सारी विपत्तियों को दूर कर दिया। जिससे कथावाचक ने कहा कि मित्रता में कभी भी गरीबी अमीरी नहीं देखी जाती है और मित्र वही जो हर पल परेशानी में काम आए। श्रीमद्भागवत पुराण की मंगला आरती यजमान खरगी बाई सीताराम कुशवाहा ने उतारी। पूजन, हवन एवं विशाल भंडारे के साथ श्रीमद्भागवत की कथा संपन्न हुई। इस दौरान मुख्य आचार्य शीतल प्रसाद शास्त्री धायपुरा, उपाचार्य राजेश तिवारी, उमेश शुक्ला, प्रदीप, चिंटू नायक ,नरेंद्र कौशिक, लखनलाल, लक्ष्मी प्रसाद, बिहारीलाल, हरीओम, बाबूलाल, रघुबीर, संतोष कुशवाहा, कडोरे कुशवाहा, राजू कुशवाहा, दयाराम कुशवाहा, रामकुमार कुशवाहा, शिवदयाल कुशवाहा, आशाराम आर्य, पूर्व शिक्षक श्यामलाल, पंचमलाल सुरेन्द्र द्विवेदी, करन कुशवाहा, प्रताप, खरगाई पाल, अमृत कुशवाहा, टंटू मौजूद रहे।

संवाददाता सुरेन्द्र द्विवेदी यूपी आजतक झांसी।

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