जोधपुर05नवम्बर24*कांग्रेस की सबला योजना से मिला देश की करोड़ों बेटियों के सपनों को उड़ान*
*कांग्रेस सरकारों का इतिहास इस देश में महिला सशक्तीकरण का सबसे बेहतरीन मिसाल है। कांग्रेस ने महिलाओं के लिए बिना ढोल पीटे वो सब कर दिया, जो और पार्टियों के बस की बात नहीं थी।*
➡️आजादी के बाद चाहे पहले प्रधानमंत्री नेहरू रहें हो, फिर इंदिरा हो, राजीव हो या पिछले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह….सभी ने अपने कार्यकाल के दौरान बेटियों-महिलाओं के उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए।
➡️कांग्रेस का फोकस हमेशा महिलाओं और बेटियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना रहा है। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस ने नगर निकायों में महिलाओं को आरक्षण दिया, महिलाओं को घरेलू हिंसा से संरक्षण के लिए कानून बनाया। इसके अलावा कई सरकारी योजनाएं बनाई, जिससे बेटियों-महिलाओं को मदद मिल सके।
➡️आज ऐसे ही एक योजना की बात करते हैं, जिसका नाम था- सबला योजना (किशोरियों के विकास के लिए राजीव गांधी योजना)। इसे 1 अप्रैल 2011 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत शुरू किया।
➡️इस योजना के अंतर्गत देश के 11 से 18 साल तक की उन करोड़ों बेटियों को फोकस में रखा गया… जो उचित पोषण, प्रशिक्षण एवं जानकारी के अभाव में अपने लक्ष्य को पाने में असफल हो जाती थी। कुपोषण के कारण गंभीर रोगों के जाल में फंस जाती थी।
➡️सबला योजना शुरू होने के बाद इन बेटियों को बिना पैसे के आयरन और प्रोटीन की गोलियाँ एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्व दिये जाने लगे। बेटियों के स्वास्थ्य देखभाल, यौन जागरूकता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी सरकार ने गंभीरता से ध्यान दिया। इसी का नतीजा है कि ये योजना अब तक की सबसे सफल योजनाओं में से एक साबित हुई।
➡️इससे राष्ट्रीय स्तर पर करोड़ो बेटियों को शारीरिक, मानसिक और मनौवैज्ञानिक रूप से लाभ पहुंचा। देश के कोने-कोने में रहने वाली मध्यम और गरीब परिवार से आने वाले बेटियों का सर्वांगीण विकास हुआ।
➡️पहले हर साल भारत की लाखों बेटियां खून की कमी वाली बीमारी यानी एनीमिया का शिकार हो जाती थी, मगर सबला योजना के बाद इस पर काफी हद तक कंट्रोल हुआ।
➡️बेटियों की तरक्की और देखभाल के लिए कांग्रेस की सरकारों ने सिर्फ सबला नहीं….बल्कि ऐसी कई योजनाएं चलाई, जिसका फायदा करोड़ो परिवारों को मिला।
*मगर आज की सरकार बेटियों के नाम पर जो कुछ भी कर रही है, वो जमीन पर दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। शायद यही कांग्रेस और अन्य पार्टियों के सोच में फर्क है।*
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