November 22, 2024

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

जैसलमेर26अगस्त24*अब अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर देखना होगा आसान, BSF ने बॉर्डर देखने के लिए ऑनलाइन पास बुकिंग की शुरुआत*

जैसलमेर26अगस्त24*अब अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर देखना होगा आसान, BSF ने बॉर्डर देखने के लिए ऑनलाइन पास बुकिंग की शुरुआत*

जैसलमेर26अगस्त24*अब अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर देखना होगा आसान, BSF ने बॉर्डर देखने के लिए ऑनलाइन पास बुकिंग की शुरुआत*

*जैसलमेर:* जैसलमेर में आगामी दिनों में पर्यटन सीजन का आगाज होने वाला है. फिलहाल सामान्य रूप से पर्यटकों की आवक शुरू हो गई है. ऐसे में यहां आने वाले हर सैलानी बॉर्डर देखने की इच्छा रखता है. ऐसे में अब इंडो-पाक बॉर्डर देखने वाले सैलानियों को तनोट में बीएसएफ की चौकी पर लाइन लगाकर पास बनाने से छुट्टी मिल जाएगी. इसके लिए www. shritanotmataman dirtrust. com पर जाकर अब सैलानी ऑनलाइन ही आवेदन कर ई-पास जारी करवा सकते हैं. इसके बाद तनोट से करीब 20 किलोमीटर दूर बबलियान वाला चौकी पर जाकर बॉर्डर देख सकेंगे.

बॉर्डर टूरिज्म के भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनोट-बबलियान पर्यटन परिपथ (टूरिज्म प्रोजेक्ट) को बढ़ावा देने के लिए श्री तनोट माता ट्रस्ट ने ऑनलाइन ई-पास की सुविधा शुरू की हैं. इसमें सैलानियों को इस वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म है. जिसमें पर्यटक को अपनी पूरी जानकारी अपने आईडी कार्ड के साथ भरकर सबमिट करनी होगी. जिसके बाद ही ई-पास जारी होगा. फिलहाल जैसलमेर भ्रमण पर आए सैलानियों को बॉर्डर घूमने के लिए तनोट जाने के बाद ही बीएसएफ के काउंटर पर जाकर पास बनवाना पड़ता है. जिसमें तनोट जाने के बाद वहां भीड़ होने पर सैलानियों फिलहाल तनोट में लगानी पड़ती है. ऐसे में आमजन को सुविधा देने के लिए अब ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई हैं. इससे सैलानियों को अब तनोट पहुंचने के बाद लाइन में नहीं लगना होगा. अब ई-पास से सीधे बॉर्डर पहले बॉर्डर जाने वाले सैलानियों को तनोट जाकर पास बनवाना पड़ता था. अब ऑनलाइन पास बनने के बाद सैलानी जैसलमेर से रवाना होकर सीधे बॉर्डर स्थित अग्रिम पर जाने की मिलेगी सुविधा सीमा चौकी जाकर तारबंदी तक जा सकेंगे. इसके साथ ही प्रशासन द्वारा तैयार करवाए जा रहे सीमा शक्ति दर्शन के तहत बन रहे पर्यटन स्थलों का भी भ्रमण कर सकेंगे. 1971 के युद्ध के बाद तनोट के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई. उसका प्रमुख कारण भी है कि पाकिस्तान द्वारा इस क्षेत्र में बरसाए गए करीब 3 हजार बम फटे ही नहीं. जिसके बाद बीएसएफ द्वारा ही तनोट माता मंदिर का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया गया. जिसके बाद से बीएसएफ के जवान ही तनोट माता की पूजा अर्चना कर रहे हैं. इसके कारण ही तनोट माता मंदिर आस्था के साथ साथ शौर्य का भी प्रतीक है. मंदिर परिसर में आज भी जीवित बम इसके उदाहरण है.

About The Author

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.