जयपुर11नबम्बर*राजस्थान में बजरी खनन पर लगी रोक हटी, जनता को बडी राहत
जयपुर / राजस्थान में बजरी खनन (ग्रावेल माइनिंग ) पर 4 साल से लगी रोक आखिरकार हट गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने सुरक्षित रखे निर्णय में एम्पावर्ड कमेटी की सभी तरह की सिफारिशों को मानते हुए वैद्य खनन गतिविधियों को मंज़ूरी दे दी। शीर्ष अदालत के इस बहुप्रतीक्षित फैसले का प्रदेशवासियों को इंतज़ार था।
इस फैसले से प्रदेश की 82 बड़ी बजरी लीज़ को फिर से शुरू किए जाने से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले से प्रदेश की आम जनता को बडी राहत मिलेगी ।
बजरी खनन पर से रोक हटाने के बाद अब करीब चार साल के बाद बजरी खनन की गतिविधियां फिर से शुरू हो सकेंगी।
विदित है कि सुप्रीम कोर्ट में दीपावली पूर्व 26 अक्टूबर को बजरी खनन मामले पर सुनवाई हुई थी। उस दौरान अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष ये मामला फैसले के लिए सूचीबद्ध रहा।
बजरी खनन पर ‘सुप्रीम’ रोक लगाए जाने के बाद बजरी वेलफेयर ऑपरेटर सोसाइटी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए राहत की गुहार लगाई थी। वहीं राज्य सरकार ने भी अपना पक्ष रखा था। सरकार ने अदालत से खनन पर रोक हटाने की गुहार लगाते हुए वैध बजरी खनन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी। सरकार ने खनन गतिविधियों पर रोक से प्रदेश की जनता को महंगी बजरी मिलने और राजस्व में भी हानि होने की दलीलें दी थी। विभिन्न पहलुओं के आधार पर सरकार ने बजरी खनन पर रोक हटने के फायदे शीर्ष अदालत को गिनाये थे। वहीं बजरी लीज़ खातेदारों की ओर से भी भविष्य में वैध खनन किए जाने को लेकर सहमती जताई गई थी।
इस मामले में चली सुनवाई और विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक एम्पावर्ड कमेटी के गठन के आदेश दिए थे। जानकारी में सामने आया कि इस एम्पावर्ड कमेटी ने अपनी एक ‘सकारात्मक’ अध्ययन रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की थी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि सुप्रीम कोर्ट अपने संभावित फैसले में नवंबर 2017 से बजरी खनन पर लगी रोक को हटा सकता है।
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