जम्मू कश्मीर17जून25*ईरान पर इज़राइल द्वारा की गई अंधाधुंध बमबारी
(जम्मू कश्मीर से योगेन्द्र यादव)
और टार्गेटेड हत्याओं से ना सिर्फ़ पूरे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है बल्कि वहाँ पर फँसे भारतीय नागरिकों पर भी संकट और गहरा हो गया है
वो मजबूर होकर सरकार से मदद की गुहार कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने अब तक सिर्फ़ हिदायतों को छोड़कर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है
यह अस्थिरता सब कुछ विनाश कर देगी, इसीलिए इसको जितनी जल्दी समाप्त किया जाये उतना अच्छा होगा. इस तनाव को ख़त्म करने के लिए भारत को एक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये
लेकिन क्या भारत खुलकर शांति बहाल करने के लिए बोलेगा? या हम एक बार फिर अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ लेंगे, जैसा कि हम हाल के दिनों में करते आए हैं
जैसा कि भारत ने 12 जून, 2025 को संयुक्त राष्ट्र में गाज़ा युद्धविराम पर मतदान से अलग रहने का निर्णय लेकर किया, जो बिल्कुल ग़लत और कायराना था. खासतौर से तब जब वहाँ पर छोटे मासूम बच्चों की हत्या हो रही है
👉 180 देशों में से 149 ने युद्धविराम के प्रस्ताव के लिए वोट किया. 12 ने इसके ख़िलाफ़ वोट किया और 19 देशों ने वोट ना करने का फ़ैसला लिया. जिसमें भारत के साथ अल्बानिया, मलावी, इक्वाडोर, डोमिनिका, किरिबाती जैसे देश शामिल हैं
👉 वैसे भारत दक्षिण एशिया में, BRICS में और SCO में वोट ना करने वाला अकेला देश है – इससे ज़्यादा सरकार का नैतिक पतन और क्या होगा?
▪️सोचिए, हमारे जिस देश ने डटकर ग़ुलामी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी और आज़ादी हासिल की थी – आज उस देश की सरकार ग़लत देखकर चूँ नहीं कर पा रही है
▪️यह हमारी विदेश नीति पर भी बड़ा प्रहार है, क्योंकि इतिहास साक्षी है कि भारत हमेशा से फिलिस्तीन के साथ मज़बूती से खड़ा हुआ है👇
🔸1974 में भारत फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश बना
🔸1983 में नई दिल्ली में आयोजित 7वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) शिखर वार्ता में यासिर अराफात को आमंत्रित किया गया
🔸1988 में औपचारिक रूप से फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी
▪️हमने हर बार विश्व में कहीं भी हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीक़े से आवाज़ उठाई है. और इसीलिए भारत ने आज़ादी के बाद अपनी एक पहचान बनायी थी – वो पहचान दुनिया भर में न्याय की धुरी है. पर आज कायर हुक्मरान उस नीति, उस इतिहास को मटियामेट कर रहे हैं
▪️अब भारत इज़राइल के आगे नतमस्तक है. एक ऐसी सरकार जो गाज़ा में छोटे छोटे बच्चों पर हो रहे ज़ुल्म, अत्याचार और बर्बरता पर स्टैंड ना ले सके उस सरकार की ना सिर्फ़ आत्मा मर चुकी है – बल्कि ऐसी सरकार का मुखिया विश्व में किसी का भी नेतृत्व करने लायक नहीं है
▪️फोटो खिंचवाना और लपक लपक के गले मिलने से दुनिया भारत की इज़्ज़त नहीं करती. दुनिया भारत के आदर्शों, हमारे मूल्यों, हमारे सत्य और साहस का सम्मान करती है
▪️हमारा देश दुनिया भर में और देशों को अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ने की प्रेरणा देता रहा है आज वही अन्याय के ख़िलाफ़ मुँह बंद कर चुका है – यह पतन नरेंद्र मोदी की सरकार का है
👉 दुनिया के किसी भी कोने में छोटे छोटे बच्चे जला दिए जायें – और हम चुप रहें, ऐसा मेरा देश है ही नहीं
👉 लेकिन आज हमारे देश की बागडोर कायरों के हाथ में है. इस देश की नीतियाँ वो बना रहे हैं जो नैतिक दिवालियापन का शिकार हैं
👉 हमें गाज़ा में युद्धविराम के पक्ष में वोट करना चाहिए था. और हमें ईरान और इज़राइल के बीच में हिंसा और तनाव को ख़त्म करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए – विश्व का नेतृत्व करने की चाह है तो कायरों की तरह मुद्दों से भागने या चुप रहने से काम नहीं चलेगा मोदी जी
आपका नैतिक पतन – मेरे देश का सिर नीचे कर रहा है
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