छिंदवाड़ा29मई*स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के विरोध के बाद राम-कृष्ण मंदिर से हटाई गई सांई बाबा की मूर्ति*
छिंदवाड़ा। जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जिन मंदिरों में साईं बाबा की प्रतिमा देखकर भड़क गए थे, उन मन्दिरों से साईं बाबा की मूर्ति हटा दी गई है. दुर्गा मंदिर में साईं बाबा का एक छोटा सा मंदिर था. राम मंदिर की दीवार में साईं बाबा का टाइल्स लगा था. दोनों जगह से उनको हटा दिया गया है. वहीं, बड़ी माता मंदिर समिति ने मूर्ति हटाने पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई, जिसके बाद सबकी सहमति से मूर्ति हटाने का फैसला लिया. समिति के अध्यक्ष संतोष सोनी का कहना है गलती से यहां साईं बाबा की प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी.
राम मंदिर में सांई बाबा का क्या काम: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद छिंदवाड़ा आए थे, जहां बड़ी माता मंदिर का निर्माण कार्य जारी है. ऐसे में मंदिर समिति द्वारा संत अविमुक्तेश्वरानंद के हाथों गर्भगृह स्थानांतरित करने को लेकर चर्चा की गई थी. उन्हें आमंत्रण भी दिया गया था. मंदिर में संत की नजर साईं बाबा की प्रतिमा पर पड़ी, जिसे देखकर वह नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि राम-कृष्ण के मंदिर में साईं का क्या काम है ? आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा. जबतक साईं बाबा की मूर्ति यहां के मंदिरों में रहेगी, तब तक हम शहर में कदम नहीं रखेंगे.
मंदिर ले जाने वाले शिष्य को लगाई फटकार: मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति देखने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने समिति सदस्यों से बात नहीं की और गुस्से में वहां से चले गए थे. पुजारी ने उन्हें रोकने की भी कोशिश की लेकिन वह नहीं रुके. जो शिष्य उन्हें मंदिर लेकर गया था, उन्होंने उसे फटकार लगाते हुए कहा कि – “हमने तुम पर विश्वास किया. हमारा संकल्प है कि जिस मंदिर में साईं है, वहां हम नहीं जाएंगे फिर भी तुमने विश्वास को तोड़ा. हमें ऐसे मंदिर में ले गए, अब दोबारा हमारे सामने मत आना, तुमने हमें धोखा दिया है”. इसी के साथ मीडियाकर्मियों से बात करते हुए संत अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि- ” यहां मां दुर्गा और भगवान श्रीराम के मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति देखकर मन दु:खी हुआ है, हम आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे. जब तक साईं बाबा की मूर्ति इन मंदिरों में रहेगी, हम यहां प्रवेश नहीं करेंगे “.
कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद: अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के विशेष प्रतिनिधि हैं, उन्होंने काशी में मंदिर तोड़े जाने का विरोध किया था. इसी के साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ के कवर्धा में सनातन धर्म के ध्वज को हटाने के विरोध में हजारों लोगों के साथ रैली निकालकर ध्वज को स्थापित भी किया था.
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