July 5, 2024

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चित्रकूट25अगस्त2021**लूट का अड्डा बना रजिस्ट्री दफ्तर, 30-40 फीसदी कमीशन के नाम पर रोज होती लाखों की वसूली*

चित्रकूट25अगस्त2021**लूट का अड्डा बना रजिस्ट्री दफ्तर, 30-40 फीसदी कमीशन के नाम पर रोज होती लाखों की वसूली*

चित्रकूट25अगस्त2021**लूट का अड्डा बना रजिस्ट्री दफ्तर, 30-40 फीसदी कमीशन के नाम पर रोज होती लाखों की वसूली*

 

*जिले के किसी बड़े अधिकारी ने नजरें उठाकर कभी देखने की तकलीफ नहीं की…*

चित्रकूट।जनपद के अन्तर्गत उपनिबन्धक कार्यालय राजस्व विभाग का वह ईमानदार कमाऊपूत कार्यालय है, जहां से प्रतिदिन खुलेआम लाखों रूपयों का जनता से अवैध दोहन किया जाता है। लेकिन इतिहास गवाह है कि कभी इस ईमानदार विभाग की तरफ जिले के किसी बड़े अधिकारी ने नजरें उठाकर देखने की तकलीफ नहीं की।

 

*30 से 40 प्रतिशत का सुविधा शुल्क*

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जनपद के अन्तर्गत सभी रजिस्ट्री विभाग चाहे वह सदर कर्वी हो, या मऊ तहसील का रजिस्ट्री कार्यालय हो। हर जगह का आलम यह है कि बैनामे के समय रजिस्ट्री विभाग के बाबू और सब-रजिस्ट्रार द्वारा दस्तावेज लेखकों के जरिए स्टाम्प शुल्क का 30 से 40 प्रतिशत सुविधा शुल्क के नाम पर दस्तावेज लिखते समय ही जमा करवा लिया जाता है। अगर कोई 30-40 प्रतिशत का सुविधा शुल्क देने में आनाकानी करता है तो विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा उसे नियमों का पाठ पढ़ाते हुए इतना भयभीत कर दिया जाता है कि खरीदने वाला डर के मारे 30 से 40 प्रतिशत का सुविधा शुल्क देने के लिए मजबूर हो जाता है।

 

*जिले के बड़े अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान*

सोचने वाली बात तो यह है कि रजिस्ट्री विभाग द्वारा प्रति बैनामा स्टाम्प शुल्क का 30-40 प्रतिशत सुविधा-शुल्क के नाम पर बेखौफ वसूला जा रहा है, वो आखिर जाता कहां है ? क्या विभाग की अवैध वसूली के बारे में जिले के उच्चाधिकारियों को जानकारी नहीं है या फिर जानबूझकर उच्चाधिकारियों द्वारा इस विभाग को नजर-अंदाज किया जाता है? अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व और जिलाधिकारी द्वारा भी कभी औचक निरीक्षण कर मौके पर मौजूद लोगों से पूछताछ नहीं की गई।

 

*प्रशासन क्यों है मौन*

हैरानी वाली बात तो ये है कि एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 56 इंची का सीना ठोंककर आए दिन अखबारों और न्यूज चैनलों पर भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करते हैॆं। वहीं जनपद के इस रजिस्ट्री विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा खुलेआम किये जा रहे भ्रष्टाचार और जनता के दोहन पर आखिर प्रशासन क्यों मौन धारण किये है। वहीं जब इस मुद्दे पर चित्रकूट के जिलाधिकारी से टेलीफोन के द्वारा बात करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। जिसके चलते मामले में उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।

*रिपोर्ट-सुरेन्द्र सिंह कछवाह ब्यूरो चित्रकूट*

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