गोहाटी30मई25*यूआरएमसीए और भाकपा (माले) मास लाइन ने दुलियाजान और जोरहाट की घटनाओं में साजिश के खिलाफ चेतावनी दी।
असम में हजारों अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म का विरोध करने का आह्वान।
“स्थानीय लोगों के हाथ में बंदूक लेकर मुख्यमंत्री द्वारा गृहयुद्ध की साज़िश रची जा रही है”!
जनता को सुरक्षा प्रदान करने में असफल गृहमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।
गोहाटी, जोरहाट, नलबाड़ी, चिराईदेव : 29 मई 2025
एकीकृत क्रांतिकारी आन्दोलन परिषद, असम (यूआरएमसीए) और भाकपा (माले) मास लाइन की असम राज्य कमेटी ने आरएसएस-भाजपा पार्टी और उनकी सरकार द्वारा असम को संकीर्ण-हिन्दुत्व साम्प्रदायिक हिन्सा की आग में झोंकने के लिए चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ एक बार फिर चेतावनी दी है। यूआरएमसीए और भाकपा (माले) मास लाइन ने उक्त साजिश की कड़ी निन्दा की है। यूआरएमसीए की ओर से अध्यक्ष कृष्णकांत गोगोई, उपाध्यक्ष प्रोफेसर अबु बकर सिद्दीकी, महासचिव व झारखण्डी नेता बिन्दु गंजू, आदिवासी नेता रवि रावा तथा भाकपा (माले) मास लाइन की ओर से राज्य सचिव मंडल के सदस्य और पूर्व विधायक चंद्रधर कलिता ने आज एक बयान जारी कर कहा है कि असमी अंधराष्ट्रवाद से प्रेरित असम आन्दोलन का श्रापित और खूनी अध्याय संकीर्ण हिन्दुत्व साम्प्रदायिकता के सामने आत्मसमर्पण के साथ खत्म हो गया है। किन्तु यहां अब भी भिन्न-भिन्न रंगों के कई किस्म के संकीर्णतावादी हैं, नरम-गरम-चरम किस्म के अंध-राष्ट्रवादी हैं जो आज बाजार में अपनी-अपनी दुकान खोल रहे हैं। ये सभी हेमंत-हिन्दुत्व के जाल में फंसकर बंधक बन गए हैं। जोरहाट में श्रृंगाल चालिहा द्वारा पैदा की गई अराजकता, दुलियाजान में माफिया-बनिया के पक्ष और विरोध में शंकराओं की दादागिरी और इन सब पर भाजपा के वरदहस्त के पीछे के रहस्य को जनता को समझने की जरूरत है। असम आन्दोलन जैसी भावनाओं में बहकर असम को एक बार फिर स्थाई शवगृह और कब्रगाह बन जाने की साज़िश को हम सहन नहीं कर सकते हैं। न ही हम अपने हाथों को अपने भाइयों और बहनों के खून से रंग सकते हैं। हम असम को चापलूसों और भड़कावेबाजों की चाहत की बलि नहीं चढ़ने दे सकते हैं।
अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्मों का विरोध करो।
यूआरएमसीए और भाकपा (माले) मास लाइन ने अपने बयान में आगे कहा कि हाल के समय में राज्य के एक कोने से दूसरे कोने तक अल्पसंख्यकों पर दमन-उत्पीड़न के एक नये अध्याय की शुरुआत हुई है। कई स्रोतों से मियां मुस्लिमों के बारे में, जो असम की एक सबसे अधिक मेहनती और बलिदानी समुदाय है, ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें अत्यंत घृणित तरीके से मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है और शारीरिक रूप से यातनाएं दी जा रही है। ऐसा व्यक्ति जिनके पास अंतरराष्ट्रीय पासपोर्ट था, एक ही माता-पिता के तेरह भाई-बहनों में से एक, नौ माह के बच्चे के साथ एक मां…. और कई अन्य लोगों को रात के अंधेरे में बांग्लादेश की सीमा पर दुर्गम इलाकों में पहुंचा दिया गया।
शासक गिरोह द्वारा कानून को रौंदकर अराजकता की स्थिति पैदा कर दी गई है। यूआरएमसीए और भाकपा (माले) मास लाइन, दोनों संगठन मांग करते हैं कि राज्य के एक बड़े मेहनतकश समुदाय पर यह घृणित हमला बन्द किया जाए और असम की जनता से आह्वान किया है कि इस साम्प्रदायिकता के प्रति सजग रहें और इसका प्रतिरोध करें।
भाजपा द्वारा बंदूक वितरण का विरोध। गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग
असम के मुख्यमंत्री ने दक्षिण और मध्य असम के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में कथित ‘स्थानीय’ लोगों को आत्मरक्षा के लिए बंदूक देने का निर्णय लिया है। यूआरएमसीए और भाकपा (माले) मास लाइन ने अपने इस बयान में इस निर्णय को हास्यास्पद, भड़काऊ, हत्यारा और विनाशकारी बताया है। बयान में कहा गया है कि यदि मुख्यमंत्री, जो राज्य के गृहमंत्री भी हैं, अपने नागरिकों की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो उन्हें सबसे पहले इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें नागरिकों के एक समूह के खिलाफ दूसरे समूह को हथियार देकर साम्प्रदायिक गृहयुद्ध छेड़ने के आरोप में जल्द ही इतिहास के कठघरे में आरोपी बनकर खड़ा होना होगा।
बयान में आगे कहा गया है कि “जहां उत्पीड़न है, वहां प्रतिरोध है।” दोनों संगठनों ने कहा कि अन्याय के खिलाफ समझौताहीन प्रतिरोध जारी रहेगा।
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