October 16, 2025

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कौशाम्बी8अक्टूबर25*धनुष यज्ञ ,सीता स्वयंवर और परशुराम लक्ष्मण संवाद का हुआ मंचन*

कौशाम्बी8अक्टूबर25*धनुष यज्ञ ,सीता स्वयंवर और परशुराम लक्ष्मण संवाद का हुआ मंचन*

कौशाम्बी8अक्टूबर25*धनुष यज्ञ ,सीता स्वयंवर और परशुराम लक्ष्मण संवाद का हुआ मंचन*

*अझुवा कौशाम्बी* आदर्श नगर पंचायत अझुवा के गांधी चबूतरा मैदान में हो रही रामलीला के तीसरी रात्रि को धनुष यज्ञ ,सीता स्वयंंबर,परशुराम लक्ष्मण संवाद का मंचन श्री राम जानकी मंडल चित्रकूट (बांदा) के कलाकारों द्वारा सम्पन्न हुआ।

रामलीला कथानक के अनुसार मिथिला नरेश जनक जी अपनी पुत्री जानकी (सीता मैया )के विवाह के लिए सीता स्वयंवर का आयोजन करते हैं जिसमें भाग लेने के लिए रावण_ बाणासुर सहित तमाम बलवान राजा आते हैं जिनके समक्ष राजा जनक एक शर्त रखते हैं भगवान शिव के पिनाक धनुष की जो बलवान प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा तमाम बलवान राजा पिनाक धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास करते हैं लेकिन प्रत्यंचा तो छोड़िए कोई धनुष ही नहीं उठा पाता! यह देख राजा जनक मायूस होकर कहते हैं यह धरती वीरों से खाली है इतना सुनकर लक्ष्मण को क्रोध आता है जिसे श्री राम शांत करते हैं । गुरु विश्वामित्र के साथ स्वयंवर देखने के लिए भगवान राम ने धनुष में प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए गुरु से आज्ञा मांगी जिस पर राम जी को उन्होंने आज्ञा दी और पलक झपकते ही श्री राम ने धनुष उठाया ज्योंहि प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया धनुष टूट गया सीता ने श्री राम के गले में जयमाला डाल दी रामलीला प्रांगड़ में मौजूद दर्शकों ने जय श्री राम ,सियावर राम चंद्र की जय के गगन भेदी नारे लगाए हैं।पिनाक धनुष टूटने की गूंज सुदूर महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे भगवान शिव के शिष्य परशुराम को धनुष टूटने का आभास हो गया और वह भागे भागे महाराजा जनक की सभा में आ जाते हैं जहां भगवान शंकर के टूटे हुए धनुष को देखकर अत्यंत क्रोधित होकर राजा जनक से पूछते हैं कि जिसने मेरे आराध्य भगवान शंकर का धनुष तोड़ा है उसे अब धरती पर जीने का अधिकार नहीं है अय मूढ़ जनक तू सच बतला यह धनुष किसने तोड़ा है इस भरी स्वयंवर में सीता से नाता किसने जोड़ने का प्रयास किया है जल्दी उसकी सूरत बतला दे वरना जितना राज तेरी पृथ्वी पर है सब उलट पलट कर दूंगा मैने इस फरसे से खून की नदिया बहाइं हैं।इतने में शेषावतार लक्ष्मण व्यंग्यात्मक शब्दों को बोल बोल कर आक्रोशित करते हैं, परशुराम और लक्ष्मण का भीषण वार्तालाप होता है जो रामलीला प्रांगड़ में सूरज उगने तक चलता रहता है जिसे दर्शक देख सुनकर आह्लादित होते रहे हैं कलाकारों के दमदार अभिनय और संवादों को देख सुन दर्शकों का दिल खुश हो गया,उक्त भावपूर्ण मंचन देखने के लिए मंजू केसरवानी,राजू केसरवानी,आशीष मोदनवाल,विपिन मोदन वाल,रोहित केसरवानी,संजय केसरवानी,चंद्रिका प्रसाद अग्रहरि,विमल पुच्ची, आशीष सहित तमाम महिला पुरुष बच्चे मौजूद रहे हैं।

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